मुख्यमंत्री के बयान पर शिक्षाकर्मियों को नहीं है विश्वास…. सोशल मीडिया पर शिक्षाकर्मियों की आ रही कड़ी प्रतिक्रिया
रायपुर :- मुख्यमंत्री के शिक्षाकर्मियों के संकल्प सभा को लेकर दिए गए बयान पर भले ही शिक्षाकर्मी मोर्चा के संचालक वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत और अलग-अलग गुटों के कई नेताओं ने इसे बेहतर संकेत माना है लेकिन आम शिक्षाकर्मियों की राय इससे बिल्कुल ही अलग है । मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि शिक्षाकर्मियों के मामले को लेकर समाधान तैयार हो चुका है और मुख्य सचिव और उनकी टीम इसकी तैयारियों में लगी हुई है जिस पर मीडिया में खबर आने के बाद शिक्षाकर्मी नेताओं ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए इसे अच्छा संकेत बताया लेकिन जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ यह स्पष्ट हो गया कि मुख्यमंत्री ने कहीं पर भी संविलियन का जिक्र नहीं किया है उन्होंने केवल और केवल कमेटी द्वारा समस्याओं के समाधान की बात कही है और यदि कमेटी पर ध्यान दिया जाए तो नियमानुसार तो कमेटी केवल और केवल वेतन भत्ते,अनुकंपा नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण को लेकर बनी है जिसके बाद आम शिक्षाकर्मियों का आक्रोश फूट पड़ा और सभी एकमत से यह कहते नजर आए कि जब तक आदेश हाथ में नहीं आ जाता किसी भी बयान पर विश्वास करना बेकार है । अधिकांश शिक्षाकर्मियों ने 2007 में मुख्यमंत्री के द्वारा शिक्षाकर्मियों के मंच पर की गई घोषणा को याद दिलाते हुए लिखा- अब घोषणा नहीं आदेश चाहिए, वहीं विधानसभा में मुख्यमंत्री जी के द्वारा 5 तारीख को हर माह वेतन दिए जाने और 3 महीने में कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंप दिए जाने के बयान को भी कई शिक्षाकर्मी अपने साथियों को याद दिलाते हुए नजर आए। दरअसल शिक्षाकर्मियों के साथ यह स्थिति कई बार बन चुकी है कि उन्हें संविलियन को लेकर आश्वासन तो मिला पर आदेश नहीं और लगभग लगभग हर कैबिनेट की बैठक के पहले यह खबर निकल कर आ जाती है कि शिक्षाकर्मियों के विषय में कोई बड़ा निर्णय होगा लेकिन बैठक समाप्त होते ही हर बार यह खबर झूठी साबित हो जाती है और बैठक के बाद खबर निकल कर आती है कि शिक्षाकर्मियों के विषय में कोई चर्चा ही नहीं हुई जिससे शिक्षाकर्मी भी अब मीडिया में आई खबरों को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहते। इस बार भी ऐसे ही कुछ खबरें निकल कर आई थी की महापंचायत के पहले सरकार द्वारा संविलियन की घोषणा की जा सकती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और रही जिसके चलते धीरे-धीरे शिक्षाकर्मियों का विश्वास ऐसी खबरों पर से उठने लगा है और यही कारण है कि अब वह केवल और केवल आदेश पर ही विश्वास करने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं ।