कोरबा, 28 मई 2020। हर परिस्थितियों में कर्मचारी अपने शासकीय कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होकर कार्य करता है। कर्मचारी के अपने परिवार के रोजी-रोटी पर असर न पड़े अतः वह प्रतिकूल परिस्थिति में भी कर्तव्य पथ पर डटा रहता है।
कर्मचारियों के इस कर्तव्यनिष्ठा के फल स्वरुप शासन द्वारा प्रत्येक वर्ष कर्मचारियों को पारितोषिक स्वरूप वेतन वृद्धि का लाभ प्रदान किया जाता है। वर्तमान में वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है जिसका अनेक कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है इसी तारत्म्य में संयुक्त शिक्षक संघ के संभाग अध्यक्ष मुकुंद उपाध्याय ने मुख्यमंत्री के नाम विनती पत्र जारी करते हुए लिखा है, जिसे हम जस का तस प्रकाशित कर रहे हैं।
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*🙏🙏विनती पत्र🙏🙏*
*प्रति,*
*माननीय मुख्यमंत्री जी*
*छ.ग.शासन*
*विषय – शासकीय कर्मचारियों के जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 में रोके गए वार्षिक वेतन वृद्धि के संबंध में पुनः विचार करने विषयक।*
*महोदय,*
उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कि वित्त विभाग द्वारा जारी *निर्देश क्रमांक 12/20200 दिनांक 27 मई 2020* के तहत शासकीय कर्मचारियों के जुलाई 2020 एवं जनवरी 2021 के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई है।
📌 माननीय मुख्यमंत्री को मैं अवगत कराना चाहूंगा कि करोना संकटकाल में शासकीय कर्मचारियों ने पूरे मनोभाव से शासन प्रशासन के साथ अपनी जान की परवाह किए बगैर जूझकर कार्य किया है।
परंपरा रही है कि जब कोई अच्छा कार्य करता है तब बड़े उसकी पीठ थपथपाते हैं।
📌 आप के आह्वान के पूर्व ही शिक्षकों ने अपने 1 दिन का वेतन देने की न केवल पहल की थी बल्कि दिया भी था।
📌 मजदूरों को घर तक पहुंचाने का कार्य हो या क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों की देखभाल करने का काम हो,चाहे चेकपोस्ट में ड्यूटी हो या घर- घर जाकर चावल बांटने का कार्य हो शिक्षकों ने अपने दायित्व का निर्वहन भली-भांति किया है वही अन्य विभाग के कर्मचारी भी लगातार इस आपदा काल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं ऐसे में *शासकीय कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाते हुए उनके पीठ थपथपाने उन्हें शाबाशी देने का समय है* किंतु इसके विपरीत शासकीय कर्मचारियों के वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गई जो कि *शासकीय कर्मचारियों के लिए आर्थिक क्षति तो है ही साथ ही साथ उनके मनोबल को तोड़ने वाला भी है।*
📌 क्योंकि शासकीय कर्मचारियों के आय के साधन निश्चित होते हैं ऐसे में वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा देने से कर्मचारियों को भारी नुकसान होगा । महंगाई बढ़ रही है बच्चे अगली क्लास में जाने वाले हैं उनका फीस बढ़ जाएगा उनके कॉपी किताब के खर्चे बढ़ जाएंगे और ऐसे अनेक चीजें जो समय के साथ आवश्यक होगी और उनके दाम बढ़े हुए होंगे। ऐसे में वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक कर्मचारियों के लिए आर्थिक बोझ लेकर आया है जो उनके मनोबल को तोड़ने का कार्य करेगा।
📌 *वार्षिक वेतन वृद्धि कर्मचारियों के 1 वर्ष के अच्छे कार्य कुशलता का पारितोषिक है* किसी कर्मचारी का कार्य संतोषजनक नहीं पाए जाने पर उच्च अधिकारियों द्वारा इस वेतन वृद्धि पर दंड स्वरूप रोक लगाई जाती है ऐसे में *हम क्या समझें की कोरोना वैश्विक महामारी के विरुद्ध कर्मचारियों के अच्छे कार्यों के फल स्वरुप वेतन वृद्धि रोक कर उन्हें दंड दिया गया है।*
‼️ माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से मैं विनती पूर्वक आग्रह करता हूं कि आप हमारे प्रदेश के मुखिया हैं, आप बड़े हैं,
‼️ अतः आप वेतन वृद्धि पर रोक का जो निर्णय लिया गया है उस पर *पुनः विचार करते हुए इस आदेश को निरस्त करने की कृपा करें।*
प्रदेश के समस्त कर्मचारी आपके *आभारी* रहेंगे।
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*💦मुकुंद उपाध्याय💦*
*संभाग अध्यक्ष*
*संभाग बिलासपुर*
*संयुक्त शिक्षक संघ छत्तीसगढ़*
*पंजीयन क्रमांक 2571*
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*क्या हो सकता है इस पत्र का असर…*
जानकार बताते हैं कि वेतन वृद्धि रोके जाने का निर्णय कर्मचारी संगठनों द्वारा 1 दिन के वेतन काटे जाने के विरोध का परिणाम है। ऐसे में बार-बार सरकार के निर्णय का विरोध करने के कारण कर्मचारी संगठनों के कार्यशैली से सरकार में नाराजगी हो सकती है, अतः मुख्यमंत्री के नाम मुकुंद उपाध्याय का यह विनती पत्र सरकार को सोचने पर विवश कर सकती है। पत्र की भाषा एवं विनम्रता से हो सकता है सरकार अपने निर्णय को वापस ले ले। असर चाहे जो भी हो किंतु मुकुंद उपाध्याय के इस विनती पत्र की कर्मचारियों अधिकारियों के बीच काफी प्रशंसा हो रही है।