रायगढ़। लगता है अब शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन अवकाश नसीब होने वाला नहीं है एक तरफ स्कूल विभाग के द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश में समर कैंप एवं विशेष कक्षा का आयोजन करने का निर्देश जारी हो चुका है तो वहीं रायगढ़ जिले में शिक्षकों को तेंदूपत्ता के निगरानी और पर्यवेक्षण कार्य मे लगाया जा रहा है। तेंदूपत्ता के निरीक्षण व पर्यवेक्षण के लिए कलेक्टर के निर्देश पर प्रधान पाठक, शिक्षक और शिक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी है। जिन शिक्षकों की ड्यूटी लगायी गयी है, उन्हें डेढ़ महीने के लिए 15 जून तक फारेस्ट विभाग के अंदर काम करना होगया। कलेक्टर ने शिक्षकों को वन विभाग के दफ्तर में उपस्थिति देने का निर्देश दिया है।
इस आदेश के जारी होने के बाद शिक्षकों में हड़कंप मच गया है छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष गिरजा शंकर शुक्ला ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि
शिक्षको को ग्रीष्मावकाश मिलता है ,इसलिए ही वर्ष में अन्य कर्मचारियों से आधा अर्जित अवकाश मिलता है। शिक्षिकीय कार्य मानसिक कार्य है, स्वस्थ्य मानसिकता में ही शिक्षा का कार्य सम्पन्न हो सकता है। इसलिए भीषण गर्मी के चलते मानसिक रूप से स्वस्थ्य होकर नए सत्र की तैयारी के साथ कार्य प्रारंभ करने के लिए छात्रों समेत शिक्षको को ग्रीष्मावकाश दिया जाता है। लेकिन इतने भीषण गर्मी में ग्रीष्मावकाश को बंद कर वन विभाग के तेंदूपत्ता कार्य मे शिक्षको का ड्यूटी लगाना अमानवीय के साथ अनुचित भी है। जिससे निश्चित ही शिक्षकीय जैसे पेशे में छात्रों के अध्ययन अध्यापन में इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। साथ राज्य शासन का शिक्षको को गैर शिक्षकीय कार्य मे नही लगाए जाने का स्पष्ट व कड़ा निर्देश है जिसका उल्लखन भी हैं। छ ग प न नि शिक्षक संघ रायगढ़ मांग करता है कि इस ड्यूटी को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए”