रायपुर। राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर के एक पत्र की प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसी व्याख्या कर उस पर आदेश और अमल के लिए ऐसी सख्ती दिखाई की उस फरमान से शिक्षकों में इस कदर बेचैनी बढ़ गई है कि उसके सामने मौसम का पारा जो 46 पर पहुंच चुका है वह भी कम लगने लगा है।
दरअसल सारा वाकया राज्य परियोजना कार्यालय के इस पत्र से उत्पन्न हुआ जिसमें इस बात का उल्लेख है कि *अवलोकन के पश्चात विद्यार्थियों में शिक्षा गुणवत्ता का विकास करने एवं शिक्षकों में क्षमता विकास करने के उद्देश्य से समर कैंप का आयोजन किया जाए* जिसके लिए शिक्षकों को *शालाओं में आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया जावे।* इस आदेश का आशय स्पष्ट है। जिसके संदर्भ में यह बतलाना आवश्यक है कि वास्तव में आकलन क्या है? तो आकलन वर्तमान में एक (SLA) स्टेट लेवल एसेसमेंट प्रोग्राम चलाया जा रहा है उसका हिस्सा है। जिसके तहत कक्षा एक से आठ तक समस्त विद्यार्थियों की एक ही तिथि, एक ही समय और एक ही पैटर्न पर आधारित वार्षिक परीक्षाएं आयोजित की गई। जिसका मूल्यांकन कार्य पूरे छत्तीसगढ़ में एक साथ वर्तमान में संचालित है, जिसमें उत्तर पुस्तिकाएं अलग-अलग संकुलों में बदलकर जांची जा रही है तथा इन उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य के पश्चात इनकी ऑनलाइन डेटा प्रविष्टि की जानी है। तत्पश्चात राज्य शासन अंतर्गत एससीईआरटी द्वारा अपलोड प्राप्त अंकों का 40% रेशयो के अनुपात में पुनः प्राप्त अंकों को ऑनलाइन माध्यम से जारी किया जावेगा जिसे प्राप्त कर संबंधित शिक्षक शालाओं में प्रमाण पत्रों पर प्राप्तांक अंकित करने के पश्चात विद्यार्थियों को इस वर्ष परीक्षा परिणाम प्रदान करेंगे। नियमत: 30 अप्रैल की स्थिति में विद्यार्थियों के हाथ में प्रमाण पत्र पहुंच जाने थे। परीक्षा परिणाम घोषित हो जानी थी लेकिन जो प्रक्रिया अपनाई गई और SLA कार्य जिस तरह से जिस प्रकार गतिमान हैं जिसमें कि एक करोड़ से भी अधिक कॉपियों का ऑनलाइन प्रविष्टि किया जाना है और साथ में शासन द्वारा जो समय सीमा तय किया गया है, उसके अंतर्गत 10 मई तक मूल्यांकन कार्य और 20 मई तक ऑनलाइन प्रविष्टि का समय दिया गया है। इसको देखते हुए अभी नहीं लगता कि 10 मई या 15 मई से पूर्व परीक्षा परिणाम घोषित किए जा सकेंगे। अब जबकि वर्ष भर मेहनत करने वाले विद्यार्थी टकटकी लगाए अपने परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे हैं और इस इंतजार में भली-भांति अपने परिवार के वैवाहिक कार्यक्रम या परिवार के अन्य रिश्तेदारों से मिलने के लिए कहीं दूर दराज गांव में भी नहीं जा पा रहे हैं या बहुत से विद्यार्थी ऐसे हैं जो अपने निजी कार्यों में परिवारजनों के साथ व्यस्त हो चुके हैं तब की स्थिति में समर वेकेशन का आदेश किया जाना समझ से परे है। शिक्षाविद यही नहीं समझ पा रहे हैं कि जब सारे शिक्षक मूल्यांकन और ऑनलाइन प्रविष्टि के कार्य में लगे हैं तो समर वेकेशन का फरमान किसके लिए जारी किया गया है। और तो और भरी दुपहरी जैसी झुलसती गर्मी जो सुबह से ही प्रारंभ हो जाती है और अधिकांश शाला भवनों का हाल ऐसा जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव, विद्युत की कटौती से पानी के लिए तरसते लोग और कहीं हैंडपंप है भी तो वह पानी पीने के लायक नहीं रह गया है तथा सुनसान रास्ते जहां पर यदि बच्चे अपने घर से निकलते हैं समर वेकेशन के लिए और बालपन में कहीं वह स्कूल आने के बजाय कहीं और खेलने के उद्देश्य से निकल जाता है, तो इस प्रकार की परिस्थितियों में कहीं भी कोई अप्रिय घटना घटित होने से कोई इनकार नहीं कर सकता। इन सब तथ्यों को नजरअंदाज कर कक्षा 1 से 8 के लिए भी समर वेकेशन का आदेश जारी किया गया है। जबकि कई जिलों में कलेक्टर महोदय के द्वारा भीषण गर्मी को देखते हुए 1 मई से 15 जून तक के लिए अवकाश घोषित कर दिया गया है, और यह स्पष्ट कर दें कि इस संबंध में इस आशय का पत्र स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर द्वारा पहले ही जारी किया जा चुका है और वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग रायपुर द्वारा ना तो इस ग्रीष्मावकाश 1 मई से 15 जून को समाप्त करने का कोई आदेश है और ना ही इस ग्रीष्मकालीन समय में शाला संचालन का कोई आदेश है। फिर भी कुछ अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने एकला चलो की तर्ज पर समर वेकेशन के लिए मौखिक और अस्पष्ट आदेश जारी कर शिक्षकों, पालकों, छात्रों और पूरी शिक्षा व्यवस्था की नींव हिला कर रख दी है। इससे पूरे शिक्षा जगत में, शिक्षाविदों में, बेचैनी है और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण अंग के प्रति भविष्य में खिलवाड़ की आशंका से सभी भय ग्रस्त है।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांत अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि