1998 से नियुक्त कोंडागांव जिले के 333 शिक्षकों ने पुरानी पेंशन के लिए अधिवक्ता प्रतीक शर्मा के माध्यम से हाई कोर्ट में दायर की याचिका

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बिलासपुर। पेंशन नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन का लाभ देने जिला कोंडागांव से Rishidev Singh एवं अन्य 92 व Karn Singh Baghel एवं अन्य 119 ने तथा Ram Singh Marapi एवं अन्य 119 ने लगाया हाईकोर्ट में याचिका*

*उच्च न्यायालय ने शासन को जारी किया नोटिश*

*Rishidev Singh एवं अन्य 92*
*जिला – कोंडागांव* *WPS 5699 /2021*
*Karn Singh Baghel एवं अन्य 119*
*जिला – कोंडागांव* *WPS 5655 /2021*
*Ram Singh Marapi एवं अन्य 119* द्वारा दायर की गई पुरानी पेंशन बहाली हेतु याचिका में दिनांक 06 अक्टूबर 2021 को हुए सुनवाई में शासन को जवाब प्रस्तुत करने का नोटिश जारी हुआ है। अगला सुनवाई 01 दिसम्बर 2021 को होगी।

शिक्षा कर्मी के पद पर 1998 से नियुक्त एल बी संवर्ग के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर विधिवत सभी तथ्यों के साथ शासन को पहले आवेदन देने के बाद माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया है।

पेंशन नियम 1976 के तहत 2004 के पूर्व नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने का तथ्य व तर्क रखते हुए NPS योजना को उपयुक्त नही मानते हुए याचिका दायर की गई है।

*अधिवक्ता श्री प्रतीक शर्मा ने न्यायालय में पक्ष रखा है कि* जब कार्यभारित स्थापना में 2004 के बाद नियमित हुए दैनिक वेतन भोगी शासकीय सेवको को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा पेंशन नियम 1979 के अंतर्गत पेंशन भुगतान का आदेश माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर किया गया है। तो 2004 के पूर्व नियुक्त व 2018 में संविलियन हुए शिक्षकों को पेंशन नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन की पात्रता से वंचित नही किया जा सकता। याचिकाकर्ताओं की प्रारंभिक नियुक्ति के समय यानी वर्ष 1998 में मध्य प्रदेश सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1976 लागू था। यह प्रस्तुत किया जाता है कि कानूनी रूप से याचिकाकर्ता अपने नियमितीकरण और संविलियन के बाद पेंशन योजना के हकदार हैं जो उनकी प्रारंभिक नियुक्ति के समय प्रचलित है अर्थात पेंशन नियम, 1976

अंशदायी पेंशन योजना में ही प्रावधान है कि पेंशन योजना 2004 उन नियुक्त व्यक्तियों के लिए होगी जो 1 /11/2004 के बाद नियुक्त किए गए हैं और इसलिए याचिकाकर्ता जो वर्ष 1998 के नियुक्त व्यक्ति हैं अर्थात वर्ष 2004 से बहुत पहले पेंशन योजना के लिए पात्र हैं।

यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि नियमितीकरण और संविलियन के बाद स्टॉपगैप व्यवस्था को संपूर्ण सेवा अवधि और सेवा की अवधि के साथ विलय कर दिया जाएगा, जिसकी गणना सभी उद्देश्यों के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से की जाएगी, अर्थात पेंशनरी, सेवानिवृत्ति लाभ, आदि। और इसलिए याचिकाकर्ता वर्ष 1998 के नियुक्त व्यक्ति हैं, वे पेंशन नियम, 1976 के अनुसार पेंशन योजना के लाभ के हकदार हैं और उन्हें पेंशन योजना 2004 को स्वीकार करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है

आकस्मिक वेतन वाले कर्मचारियों और यहां तक ​​कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के मामले में, इस माननीय न्यायालय/सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन नियम, 1976 के प्रावधानों को उनकी नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से उनकी सेवा की गणना करने पर लागू करने का निर्देश दिया था,

उल्लेखनीय है कि प्रतिवादी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा याचिकाकर्ताओं के वेतन का भुगतान शुरू से ही किया जा रहा है और वे प्रतिवादी स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूल में ही पढ़ा रहे हैं और नियुक्ति को छोड़कर सभी सेवाएं प्रदान की जाती हैं। याचिकाकर्ताओं द्वारा केवल स्कूल शिक्षा विभाग के लिए और शुरुआत से ही शिक्षक की तीन श्रेणियां शिक्षा कर्मी ग्रेड I, II, III के रूप में सहायक शिक्षक, उच्च श्रेणी शिक्षक और स्कूल शिक्षा विभाग के व्याख्याता के समकक्ष शिक्षा कर्मियों द्वारा समकक्ष कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए बनाई गई थीं और अंततः याचिकाकर्ताओं की सेवा को 01.07.2018 से प्रतिवादी स्कूल शिक्षा विभाग में समाहित कर लिया गया था।

वर्ष 1998 में पंचायत शिक्षा कर्मी (भर्ती एवं सेवा शर्त) नियमावली, 1997 एवं वर्ष 1998 में कार्यभार ग्रहण करने के बाद आज तक एक ही सेवा पुस्तिका के साथ निरंतर कार्य कर रहे हैं। प्रतिवादी राज्य ने विभिन्न नीतिगत निर्णयों के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को लाभ प्रदान किया क्योंकि 7 साल की सेवा पूरी करके समयमान वेतनमान प्रदान किया गया था, तथा 8 साल की सेवा पूरी करने पर समतुल्य वेतनमान प्रदान किया गया था।

यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि पेंशन योजना 2004 में ही यह निर्धारित किया गया है कि पहली नियुक्ति तिथि का उल्लेख करना आवश्यक है, वेबसाइट में पेंशन फॉर्म ऑनलाइन भरते समय वर्ष 2004 से पहले कोई नियुक्ति वर्ष स्वीकार नहीं किया जाता है, इसलिए याचिकाकर्ताओं को आदेश दिनांक 14.02.2014 के मद्देनजर अपनी पहली कार्यभार ग्रहण तिथि 01.04.2004 के रूप में उल्लेख करने के लिए मजबूर किया गया था। यहां यह भी उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि प्रथम नियुक्ति वर्ष 2004 का उल्लेख करते हुए वर्ष 1998 में याचिकाकर्ताओं की प्रारंभिक नियुक्ति के तथ्य को बदला नहीं जा सकता है और यह यथावत रहेगा।

दैनिक वेतन भोगी के मामले में भी निर्णय को आधार बनाया गया है, ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग द्वारा आदेश क्रमांक 79, दिनांक 28 /02/2018 को जारी आदेश में 1 /11/2004 के पश्चात कार्यभारित स्थापना में नियमित हुए शासकीय सेवको को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा पेंशन नियम 1979 के अंतर्गत पेंशन भुगतान का आदेश किया गया है।

विद्वान अधिवक्ता श्री प्रतीक शर्मा जी द्वारा अनेक तर्क व तथ्य के साथ पक्ष रखा गया है।

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