वर्तमान में छत्तीसगढ़ के स्कूल कब से खुले, इसकी व्यापक चर्चा की जा रही है, यह बेमानी है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजीद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रदेश सचिव मनोज सनाढ्य, प्रदेश कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा है कि करोना के आपातकाल के दौर में मास्क, सेनेटाइजर के बिना घर से लोग नहीं निकल रहे हैं, ऐसी स्थिति में नौनिहाल बच्चे अपने पठन सामग्री के साथ स्वयं की देखरेख कर शाला में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे बना पाएंगे??
देश और प्रदेश में अभी भी सिनेमाघर, माल, वैवाहिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रम संचालित नहीं हो रहे हैं, क्योकि कोरोना का संक्रमण तेज गति से बढ़ रहा है।
इस दौर में भी छोटे बच्चों को स्कूल भेजने की चर्चा करना षडयंत्र का ही एक हिस्सा है, शासकीय शालाओं मैं अध्यापन 16 जून से आरंभ होता था, और उसके बाद जनवरी में कोर्स पूरा कर परीक्षा लिया जाता था, जब शासन स्तर में ही 25% कोर्स कम कर पाठय वस्तु को पूर्ण करने की बात चर्चा में है तो कम समय देकर पाठ्यक्रम पूर्ण कर लिया जाएगा।
निजी स्कूल मार्च-अप्रैल से अपना सत्र आरंभ कर देते हैं, जिससे छोटे बच्चों का बचपन खो सा गया है, वस्तुतः 10 महीने के शिक्षा सत्र को 12 महीने बनाने का कार्य निजी स्कूलों द्वारा किया जाता है, ताकि प्रबंधन अपने फीस का निर्धारण कर सकें। शासकीय स्कूल में उसी पाठ्यक्रम को 10 महीने के शिक्षा सत्र में पूर्ण किया जाता है।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा 60 वर्ष से अधिक और 10 वर्ष से कम के बच्चों को इस कोरोना काल में अभी भी घर से बाहर निकलने की मनाही है, इस समय में स्कूल खोलने की चर्चा बेमानी है, छोटे बच्चों को अगर संक्रमण होता है तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा??
पालकों के मन में अभी भी करोना की बढ़ती संख्या को लेकर बड़ी चिंता है, वे चाहते हैं की स्कूल देर से खुले और अध्ययन अध्यापन का दौर बाद में ही प्रारंभ हो।
यहां यह बात भी विशेष उल्लेखनीय है की निजी स्कूल आखिर शाला खोलने पर अमादा क्यों है? इस विषय पर शासन को स्पष्ट आदेश जारी करने की आवश्यकता है कि कोई भी निजी शाला या प्रबंधन शासन के गाइडलाइन की अवहेलना न कर सके, पिछले कई वर्षों से ज्यादा फीस निजी स्कूलों द्वारा लिए जाने की शिकायतें की जा रही हैं, पर दुर्भाग्य है कि हर बार शासन शुल्क की गाइडलाइन बनाने की बात कहकर कड़ी कार्यवाही नहीं करती है, इस वर्ष भी फीस नियामक आयोग के द्वारा सुझाव लिया जा चुका है, पर अब तक निजी शालाओं के लिए फीस का निर्धारण नहीं किया गया है, इससे प्रबंधन मनमानी कर रहा है और पालक निजी स्कूल में बढ़ी हुई फीस या प्रबंधन द्वारा मनमानी पूर्वक तय किए गए फीस देने के लिए बाध्य हो जाता है।
छत्तीसगढ़ शासन स्कूल खोलने के पहले निजी स्कूल की फीस निर्धारित कर पालकों को अवगत कराएं और इसके बाद ही स्कूल खोलने के आदेश जारी किए जाएं।
जून माह में शाला खोलने की बात बेमानी है, वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कोरोना की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है 15 जुलाई के बाद समीक्षा कर अनुकूल स्थिति में 1 अगस्त से बच्चों के लिए स्कूल खोलना हितकारी निर्णय होगा।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन की शासन से यह मांग है की निजी शालाओं के लिए स्कूल खोलने के पूर्व फीस का निर्धारण कर सार्वजनिक किया जावे और तदानुसार ही शाला प्रबंधन पालकों से शुल्क ले, यह सुनिश्चित हो कि अन्य मद से अधिक शुल्क की वसूली न हों।