बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बिलासपुर से शिक्षको का दल पांच दिवसीय यात्रा पर महाराष्ट्र में शिक्षा व्यवस्था और इस ओर शासन के द्वारा उठाए गए कदमों को समझने और छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था से तुलनात्मक अध्ययन कर कुछ अच्छा करने की सोच लेकर महाराष्ट्र रवाना हुए शिक्षकगण !
भारत में सबसे ज्यादा कोरोना का संक्रमण महाराष्ट्र में था। अब जब वहां परिस्थितियां सामान्य हो रही है तो वहां के लोगों का रहन सहन, दैनिक दिनचर्या और स्कुल की पढ़ाई व्यवस्था कैसी चल रही है? इस दो साल में वहां के लोगों की सोच और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का प्रभाव कितना है? शासन की शिक्षा के विकास के लिए कौन कौन से कदम उठाए गए हैं? धार्मिक स्थलों में लोग कितना कोरोना गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं और पालक और जनप्रतिनिधियों का सहयोग कितना मिल रहा है तथा वो क्या सोचते हैं? इन सभी बातों को समझने छत्तीसगढ़ से शिक्षकों का दल 5 दिवसीय शैक्षणिक एवं धार्मिक यात्रा पर निकले हैं।
अपने इस यात्रा की शुरुआत वे शिरडी में साईं बाबा जी के दर्शन से करेंगे। फिर शनि शिंगणापुर में शनि देव का आशीर्वाद लेंगे। उसके बाद वे ऐतिहासिक एलोरा की गुफाओं और दौलताबाद के किलों एवं औरंगाबाद स्थित मिनी ताजमहल की वास्तुकला का अवलोकन करेंगे।
यात्रा में भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंग यथा घृष्णेश्वर, भीमाशंकर और त्रयंबकेश्वर के दर्शन कर शिव जी का आशीर्वाद लेंगे।
अवकाश के दिनों का शैक्षणिक गतिविधियों में उपयोग करते हुए बिलासपुर से 6 शिक्षक जिसमे व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तिफरा से जय कौशिक, संकुल समन्वयक सेंदरी से विजय तिवारी, प्रोफेसर रहे सहायक शिक्षक मुढ़ीपार बिल्हा डा.महेंद्र साहू, जिला पंचायत बिलासपुर अध्यक्ष के निज सहायक बलभद्र वर्मा, विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा से लिपिक धनंजय कर्ष एवं सहायक शिक्षक लालजी साहू शनिवार को शाम की ट्रेन से महाराष्ट्र के लिए रवाना हुए।
शिक्षक इस यात्रा में महाराष्ट्र के अहमदनगर, औरंगाबाद, पुणे और नासिक जिले में भ्रमण के दौरान वहां की शैक्षणिक स्थिति तथा कोरोना काल में शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव एवं प्रयोगों की जानकारी लेंगे। महाराष्ट्र के शिक्षकों एवं छात्रों से मिलकर चर्चा करेंगे और बिलासपुर वापस आकर शिक्षा एवं शैक्षणिक गतिविधियों के विकास हेतु सूझाये हुए नए रास्तों का प्रचार प्रसार कर उसे अमल में लायेंगे।