लोरमी/मुंगेली। ग्रामीण बच्चों के खेल प्रतिभा को निखारने के लिए राज्य शासन के द्वारा खेल बढ़िया कार्यक्रम के अंतर्गत सभी शालाओं को खेल सामग्री क्रय करने के लिए राशि प्रदान किया गया है राजीव गांधी शिक्षा मिशन के राज्य कार्यालय द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि खेल घड़िया की राशि का उपयोग प्रदत शालाओं के द्वारा खेल सामग्री के करने के लिए किया जाना है और इसमें किसी भी प्रकार का दबाव नहीं किया जाना है लेकिन अपनी आदतों से मजबूर अधिकारी इसमे कमीशनखोरी के लिए तैयारी करना शुरू कर दिए हैं। लोरमी विकासखंड में कुल 23 संकुलों में बंटा है. जिनके अंतर्गत 276 प्राथमिक शाला है, जहां 3-3 हजार एवं 108 माध्यमिक शाला को 5-5 हजार और 43 शासकीय हायर सेकेंड्री स्कूल को 25-25 हजार रुपए खेलगढ़िया कार्यक्रम के तहत दिया गया है. स्कूलों में बच्चों के भविष्य को ध्यान को रखते हुए खेल सामाग्री खरीदने राज्य शासन से बजट प्रदान किया गया है. जिसके लिए मुख्य रूप से राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर से लिखित में आदेश भी जारी किया गया है.
इस आदेश के तहत जिले में शालाओं के माध्यम से इस प्रक्रिया को बिना किसी दबाव के अपनी आवश्यकतानुसार इस बजट का उपयोग करने एवं बच्चों के लिए बेहतर खेल सुविधाओं की व्यवस्था करने जिला कलेक्टर को कहा गया है. साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ी पाए जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला मिशन समन्वयक जिम्मेदार होंगे.
अधिकारी खेलगढ़िया कार्यक्रम की राशि में कमीशन पाने के लिए खुलकर बच्चों के हक को मारने की योजना बनाई गई और सभी संकुल समन्वयकों को शाला प्रबंधन एवं विकास समिति से 3-3 और 5-5 हजार रुपए की राशि को वसूलने की बात कहते हुए मुंगेली के एक फर्म के नाम का कोटेशन दिया गया. जिसके आधार पर ही सभी प्राचार्यों से राशि को वसूल किया जाए।
इस मामले में राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला समन्वयक एस के अम्बस्ट का कहना है कि उन्होंने खेल गढ़िया कार्यक्रम में किसी तरह गड़बड़ी नहीं होगी। हमने पहले ही अपने स्तर पर बिना दबाव के खरीदी करने कहा है।लेकिन हैरान करने वाली बात है कि उनके अधीनस्थ एपीसी कैसे बिना उनकी जानकारी के ब्लाक में संकुल समन्वयकों एवं प्रधान पाठकों को निर्देश जारी किये हैं।आगे इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा बच्चों के हित को देखते हुए क्या जांच कराए जाएगी या फिर इस मामले को दबा दिया जाएगा।.