प्रयोग के लिए बदनाम शिक्षा विभाग का एक और प्रयोग…..स्कूल खुलने का समय किया प्रातः 9:45 बजे….टीचर्स एसोसिएशन ने प्रातः 10:30 से 4:30 के समय को बताया उपयुक्त

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सुकमा। नित नए अव्यवहारिक प्रयोग करने के लिए बदनाम शिक्षा विभाग ने स्कूल खुलने के समय को लेकर एक और प्रयोग किया है. वर्तमान में स्कूल खुलने के लिए निर्धारित प्रातः 10 बजे के समय को परिवर्तित करते हुए प्रातः 9:45 बजे से ही स्कूल खोलने का अव्यवहारिक निर्देश दिया है. इस समय को लेकर शिक्षक, पालक व बच्चों में नाराजगी साफ देखा जा सकता है. छग टीचर्स एसोसिएशन ने एक पाली में संचालित स्कूलों को प्रातः 10:30 से अपरान्ह 4:30 बजे तक संचालित करने की मांग किया है. इस संबंध में एसोसिएशन के प्रांतीय इकाई ने मुख्यमंत्री व मुख्यसचिव को पत्र भी लिखा है.*
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*👉6 घंटे की अवधि में ही प्रार्थना से लेकर अध्यापन का कालखंड तय किया जावे. वर्तमान में दो पाली वाले स्कूलों में प्रथम पाली प्रातः 7:30 बजे से 11:30 बजे व द्वितीय पाली अपरान्ह 12 बजे से 5 बजे तक का समय तय है, जिसमें शाला लगने का समय 5 घंटे है. इसी प्रकार एक पाली में प्रातः 10 बजे से 4 बजे तक शाला लगने का समय 6 घंटे है. इससे अधिक समय तय किये जाने पर अध्ययन समय में असंतुलन की स्थिति उतपन्न होगी.*
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*👉शिक्षा विभाग में यह विडंबना है कि अधिकारी बदलते ही शाला लगने के समय में परिवर्तन कर दिया जाता है. प्रातः 9 बजे से 3 बजे के समय में शाला लगाने का आदेश पहले जारी किया गया था वह सफल नही हुआ. इसी तरह अभी 9.45 से शाला लगाने का निर्देश भी अव्यवहारिक है. कई शाला आंतरिक क्षेत्रों में भी संचालित है, जहाँ बच्चों को स्कूल पहुंचने एवं स्कूल से वापस आने में समय लगता है. अतः प्रातः 10.30 बजे से 4.30 बजे का समय आने व जाने के लिए उपयुक्त है.*
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*👉एक पाली की शाला में 6 घन्टे की अवधि में सभी कार्य किया जाता रहा है. इसके लिए 10.30 से 4.30 बजे तक स्कूल को पूर्वअनुसार संचालित करने का निर्णय लिया जावे. प्रार्थना सभा के नाम पर 15 मिनट पूर्व अर्थात प्रातः 9:45 बजे स्कूल खोलने निर्देश दिया गया है, जो तर्कसंगत व व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि पहले से निर्धारित 6 घंटे के स्कूल समयावधि में भी प्रार्थना सभा होते आया है.*

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि केवल शिक्षकों, बच्चों व पालकों को परेशान करने की नीयत से स्कूल समयावधि को बढ़ाकर शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता. एक ओर जहां सप्ताह में कार्यालयीन कार्यो की अवधि को घटाकर 6 से 5 दिन किया गया, वहीं दूसरी ओर सप्ताह में 6 दिन लगने वाले स्कूलों के समयावधि में वृद्धि हतोत्साहित करने वाला है.।

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