डीए या डर किसी एक को चुनिए…. DA के आंदोलन के लिए सभी संगठनों से आह्वान….अपने हक की लड़ाई में सभी साथ दें

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में साढ़े चार लाख कर्मचारी, अधिकारी लगातार डीए व एच आर ए की बात कर रहे है, दो कर्मचारी या अधिकारी जहाँ भी मिल रहे है, बस एक ही बात “इस हड़ताल से DA मिलेगा क्या?” फिर बात बढ़ती ही जाती है और अनुमान लगाते है कि “मुख्यमंत्री जी शायद DA नही देंगे”

बात और बढ़ने पर कर्मचारी महंगाई को कोसने लगते है और फिर महंगाई भत्ता नही दे रहे है बोलकर मुख्यमंत्री जी को ही कोसने लगते है, पर यह सब नक्कार खाने में तूती की आवाज वाली बात है।

छत्तीसगढ़ में हड़ताल और संघर्ष के पर्याय तो शिक्षा कर्मी संवर्ग ही है, सरकार से लगातार संघर्ष करते कई बार निलंबित और बर्खास्त होने के बाद डेढ़ लाख अशासकीय शिक्षक – शासकीय शिक्षक बन गए, यह भारत मे पहला और अब तक अंतिम उदाहरण है, संविलियन के बाद के संघर्ष से पुरानी पेंशन प्राप्त कर लिया, यह संघर्ष का पैनापन ही है।

पर अब महत्वाकांक्षा व धड़ेबाजी और सिगूफेबाजी कि भेंट चढ़कर इस संवर्ग का धार भी कम हो रहा है, दिशाहीनता या तथ्य की कमी तथा अज्ञानता से विषय भटकाव की स्थिति है।

फिर भी संघर्ष की सीख ये अब भी दे रहे है, अशासकीय पंचायत पद पर भर्ती हुए शिक्षा कर्मियों ने सरकार के सामने हड़ताल कर 2 सत्ता को पलट दिया, और दिखाया कि शिक्षक को चाणक्य यूं ही नही बोलते, घनानंद और चन्द्रगुप्त को लोग अब भी न भूलें।

आज DA का यह संघर्ष कर्मचारी वर्ग का संयुक्त सबसे बड़ा हड़ताल होगा, क्योकि दो धड़े की एक एक दिन हड़ताल हो चुकी, एक का 3 दिन भी हो चुका, अब दूसरे के 5 दिन की बारी है। 3 दिन व 5 दिन में एक दूसरे का साथ नही देने से सुफल नही मिला,,,एक वर्ग आगामी माह में अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे बोले है पर तिथि तय नही,,क्योकि व्व अनिश्चितकालीन होना ही नही है, इसी बीच शिक्षक वर्ग ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया, जिसमे मूल सोच यही है कि सभी कर्मचारी एकजुट होकर हड़ताल करें, जिससे कर्मचारियो को लंबित सम्पूर्ण DA व HRA मिल जाये,,पर दो धड़े कर्मचारियो की नही बैनर के लिए लड़ रहे है, ये अभिशाप है कर्मचारियो के लिए।

इससे बड़ा अवसर अब कर्मचारियो के हिस्से कभी नही आएगा, जब सरकार पर 100% दबाव बनाया जावे, क्योकि तब आगे दो पाटन के बीच कोई तीसरा नही आने वाला है, याद कीजिए कर्मचारी इतिहास व परम्परा को जब कोई एक बैनर हड़ताल में हो तो उसी मांग के लिए कोई और बैनर उसी समय मे समांतर हड़ताल करे, यह कभी हुआ नही है, इसी असंभव को घोषित किया गया है।

कर्मचारी इस बार ईमानदारी से लंबे हड़ताल कर सम्पूर्ण डीए ले सकते है या बैनर व सरकार के डर से सीमित हो सकते है, सरकार से लड़ना व प्राप्त करना यही तो संगठन का मूल मंत्र है, पर लड़ाई ही तबियत से न करें यह तो धोखा भी है।

एकजुट कर्मचारी, संगठित कर्मचारी संघर्ष को सफल बनाते है, पूर्ण एकजुटता ही सम्पूर्ण सफलता है, बिखराव व अलगाव से आफत व आहत मिलती है, इस बार का संयोग कभी दोबारा नही होगा, अब कर्मचारी अपने लिए डीए या डर में किसी एक को चुन सकते है।

 

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