चाइल्ड केयर लीव महिला कर्मचारियों का संवैधानिक अधिकार इससे वंचित रखना उनके अधिकारों का हनन

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अम्बिकापुर।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के महिला प्रकोष्ठ के प्रांतीय प्रतिनिधि विनीता सिंह, जिलाध्यक्ष कंचन श्रीवास्तव जिला सचिव नीतू सिंह,अनीता तिवारी,सविता सिंह,नीलम सोनी,कुमुदिनी मिंज ,संगीता सिंह,इत्यादि नें बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश के महिला कर्मचारियों के बच्चों के पोषण एवं देखरेख हेतु दिए जाने वाले चाइल्ड केयर लीव को बच्चों के देख रेख एवं उनके पोषण के संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में उठाया गया एक बेहद कारगर कदम बताया, गौरतलब है कि शासकीय महिला कर्मचारियों को पूरे सेवाकाल में 730 दिनों का चाइल्ड केयर लीव प्रदान किया जाता है जो उनके ज्येष्ठ दो बच्चों के 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक आवश्यकतानुसार कभी भी लिया जा सकता है इसको स्वीकृत करने के नियम अर्जित अवकाश की स्वीकृति नियम अनुसार ही प्रत्यायोजित है तथापि विशेष परिस्थितियों में सक्षम अधिकारी तत्काल स्वीकृति दे सकते हैं चूंकि यह बच्चों के देखरेख एवं पोषण से संबंधित महिला के संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में बनाया गया नियम है इसके बावजूद कतिपय अधिकारियों द्वारा अकारण और द्वेषवश महिला कर्मचारियों को पात्रता होनें के बावजूद इस अवकाश को दिए जाने में टालमटोल और परेशान करने की बातें अक्सर सामने आती हैं,जो कि अनुचित है।
संघ पदाधिकारियों ने कलेक्टर, संभागीय संयुक्त संचालक एवं जिला शिक्षा अधिकारी से मांग की है कि ऐसे प्रकरण यदि संज्ञान में आते हैं तो उन्हें मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए तत्काल निराकृत किया जाए साथ ही ऐसे अधिकारियों को इस प्रकार निर्णय हेतु हतोत्साहित किया जाए, उन्होनें अवकाश स्वीकृति हेतु सक्षम अधिकारियों से भी आग्रह किया गया कि वे इस प्रकार के अवकाश आवेदन को प्राथमिकता से स्वीकृति प्रदान करें।
जिलाध्यक्ष कंचन श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि जिले में यदि ऐसे प्रकरण संज्ञान में आते हैं जिसमें महिला कर्मचाचारियों को पात्रता रखने के बावजूद अवकाश से वंचित किया जा रहा है तो संगठन इसका विरोध करेगा तथा उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखने के साथ ही महिला आयोग तक ले जाने हेतु तत्पर रहेगा।
प्रदेश प्रतिनिधी श्रीमती विनीता सिंह ने बताया कि अधिकांश महिला कर्मचारी या तो शासन द्वारा दिए जा रहे दिए जाने वाले इस अवकाश से या तो अनभिज्ञ हैं या फिर सक्षम अधिकारियों द्वारा इसके स्वीकृति के संबंध में जटिलताएं उत्पन्न करने के कारण इससे वंचित हो रही है उन्होंने महिला कर्मचारियों से अपने मूलभूत अधिकारों के प्रति जागरूक होने का आह्वान किया।
जिला सचिव श्रीमती नीतू सिंह नें बताया कि इस अधिनियम का नियम 38(3)(ख) इसे और भी विशिष्ट बनाता है जिसके तहत सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16 -18 /97-एन,1-1 दिनांक 1 जून 2001 में यथा विनिर्दिष्ट न्यूनतम 40% निशक्तता वाली संतान के लिए आयु सीमा का कोई बंधन नहीं है।
श्रीमती अनिता तिवारी ने बताया किसी भी महिला कर्मचारी को अपने कार्यस्थल एवं परिवार के दायित्वों के मध्य सामंजस्य यथापि करनें की महती जिम्मेवारी होती है।ऐसी परिस्थिति यह अवकाश नियम बेहद उपयोगी साबित हुआ है उन्होनें कहा कि छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन महिला कर्मचारियों के हितों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है।

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