“ग्रीष्मावकाश में समर क्लास के मुद्दे पर फेडरेशन आगबबूला, कहा हर स्तर पर करेंगे घोर विरोध” “शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर विभाग को प्रयोगशाला बनाना बन्द करे सरकार”—-“फेडरेशन” “समर क्लासेस व गुणवत्ता के नाम पर शिक्षकों का शोषण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं…..”

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“रायपुर”। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन” पंजीयन क्रमांक 122201859545 के प्रांतीय संयोजक मण्डल ने सभी प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर प्रदेश में शिक्षकों का शोषण किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष ग्रीष्मावकाश में भी समर क्लास लगाने का आदेश जारी किया गया है।
“छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन” के प्रांतीय संयोजकद्वय जाकेश साहू, रंजीत बनर्जी, छोटेलाल साहू, इदरीस खान, अश्वनी कुर्रे, हुलेश चन्द्राकर, बसंत कौशिक, राजेश पाल, संकीर्तन नंद एवं शंकर नेताम ने कहा है कि प्रत्येक शिक्षा सत्र के बाद, भीषण गर्मी के समय दो माह, मई और जून में ग्रीष्मावकाश की परंपरा आदि-अनादि काल से चली आ रही है जिसके तहत भयंकर गर्मी की तपिश से राहत देने के लिए प्रतिवर्ष मई और जून में दो माह ग्रीष्मावकाश दिया जाता है।
गर्मी के दिनों में स्कूली बच्चे सालभर की पढ़ाई-लिखाई से मुक्त होकर दो माह रिफ्रेश होते है जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहोत ही जरूरी है। इस दौरान स्कूली बच्चे अपने नाना-नानी के यंहा घूमने जाते है, गर्मी के समय अपने रिश्तेदारों के यंहा शादी व्याह घूमते है। बाग-बगीचों में उछलकूद कर आम व चार-तेंदू खाते है। ऐसे में भीषण गर्मी के इस प्रतिकूल मौषम में बच्चे स्कूल आना कतई पसंद नहीं करते।
प्रांतीय संयोजक मण्डल के सदस्यगण सुखनन्दन यादव, नोहर चंद्रा, तरुण वैष्णव, अशोक नाग, मुकेश सिन्हा, शिव सारथी, मनीष मिश्रा, भारती साहू, अजय गुप्ता, सीडी भट्ट एवं माहिर सिद्दीकी ने शासन द्वारा मई-जून माह में समर क्लास लगाए जाने के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता के नाम पर छोटे-छोटे नैनिहाल बच्चों व शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना तत्काल बन्द करें अन्यथा उक्त आदेश का प्रदेश के समस्त 27 जिलों व 146 विकासखण्डों में जमकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
फेडरेशन के सम्भाग संयोजकगण सिराज बख्स, शिव मिश्रा, दिलीप पटेल, कौशल अवस्थी एवं रविप्रकाश लोहसिंह ने कहा कि प्राचीनकाल से ही गुरु-शिष्य की यह परंपरा रही है कि गर्मी के दिनों में ग्रीष्मावकाश दिया जाता था जिससे कि शिष्य आश्रम व गुरुकुल छोड़कर गर्मी की छुट्टियां बिताने अपने घर आते थे। आजादी के पूर्व समय से गर्मी के दिनों में ग्रीष्मावकाश की परंपरा रही है अतः इस पुराने परंपरा के साथ छेड़छाड़ किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
फेडरेशन प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने कहा कि गुणवत्ता के नाम पर शासन-प्रशासन शिक्षा विभाग के पीछे हाथ-धोकर पड़कर आखिर क्या साबित करना चाहता है …??????? फेडरेशन ने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि राज्य में अनेक सड़के टूटी-फूटी, गड्ढे-युक्त पड़ी हुई है, सड़को में जगह-जगह गड्ढे बने हुए है, इन सड़कों के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार होता है, सड़क बनती है और साल भर में उखड़ जाती है लेकिन आज तक सड़क गुणवत्ता अभियान क्यों नहीं चलाया गया ..?????
इसी प्रकार सरकारी बिल्डिंगों के निर्माण में भारी भ्रष्टाचार होता है, बिल्डिंग बने सालभर नहीं होते और भवनों में दरार आ जाता है इनके लिए गुणवत्ता अभियान आखिर क्यों नहीं…???? स्वास्थ विभाग, बिजली विभाग में एवं अन्य विभागों में गुणवत्ता अभियान क्यों नहीं…?????? क्या अन्य विभागों को गुणवत्ता की आवश्यकता नहीं..??????
फेडरेशन ने कहा कि अन्य विभागों में राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों को प्रतिवर्ष दो से तीन माह तक का अर्जित अवकास दिया जाता है जबकि शिक्षकों के लिए सिर्फ दस दिनों का ही अर्जित अवकास स्वीकृत होता है क्योंकि हमें दो माह का ग्रीष्मावकाश दिया जाता है ऐसे भी प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मावकाश को दो माह की जगह मात्र डेढ़ माह कर दिया है क्योकि पहले एक जुलाई से प्रारम्भ होने वाला शिक्षा सत्र अब पन्द्रह दिन पहले अर्थात 16 जून से ही शुरू हो जाता है।
इधर अब यदि 45 दिनों के ग्रीष्मावकाश में भी कटौती कर समर क्लास लगाया जाता है तो प्रदेश स्तर पर इसका घोर विरोध किया जाएगा क्योंकि यह छात्र व शिक्षक दोनो के हितों के विपरीत है।

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