रायपुर, 25 जनवरी 2020। छत्तीसगढ़ के सभी शासकीय स्कूलों में शिक्षा की समान गुणवत्ता और प्रत्येक बच्चे तक शिक्षा की पहुंच के उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा पहली से आठवीं तक बच्चों का राज्य स्तरीय आकलन किया जा रहा है। यह आकलन तीन स्तरों पर रचनात्मक (फारमेटिव) आकलन, सावधिक (पेरियोडिक) आकलन और सत्र में दो बार योगात्मक (समेटिव) आकलन किया जा रहा है। राज्य में कक्षा पहली से आठवीं तक होने वाले द्वितीय सावधिक, योगात्मक आकलन के प्रश्न पत्र स्कूलों में टीम्स-टी एप के माध्यम से भेजे जाएंगे। प्रश्न पत्र में सुरक्षा के उपाय भी किए गए हैं। प्रश्न पत्र खोलने के लिए निर्धारित पासवर्ड होगा। पासवर्ड को एप पर भेजा जाएगा। प्रश्न पत्र विशिष्ट कोड में रूपांतरित होंगे। यह प्रश्न पत्र encrypted होंगे। जो निर्धारित पासवर्ड से ही प्राप्त किए जा सकेंगे। प्रश्न पत्र पासवर्ड के बिना नहीं खुलेंगे। विद्यालयीन आकलन प्रभारी इन्हें फोटो कॉपी करवा सकते हैं या सुविधानुसार ब्लैक बोर्ड पर लिखवा सकते हैं। इस प्रकार प्रश्न पत्रों की पहुंच समय पर सुनिश्चित की जा सकेगी।
शिक्षा में गुणवत्ता के लिए लागू एक नयी व्यवस्था के माध्यम से प्रत्येक बच्चे का कक्षावार एक-एक विषय का आकलन किया जा रहा है। कक्षाओं में नियमित रूप से दिन-प्रतिदिन सीखने की प्रगति के लिए किया जाने वाला रचनात्मक (फारमेटिव) आकलन शिक्षकों की सहायता हेतु सुझावात्मक गतिविधियां विद्यालयों में प्रेषित करना। राज्य स्तर से एक निश्चित अंतरात से सीखने के प्रतिफल आधारित सावधिक आकलन किया जाता है। पूरे राज्य में आकलन में एकरूपता के लिए एक निर्धारित समय-सारणी और समान प्रश्न पत्रों से आकलन हो रहा है।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राज्य के सर्वागीण विकास के लिए शिक्षा के सभी आयामों पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षा में प्रारंभ से ही विकास मूलक परिवर्तन हुए हैं। प्रत्येक बच्चे तक इसकी पहुंच हो सके, इसके लिए प्रयोग और कार्य भी होते रहे हैं। इसके लिए यह ध्यान देना जरूरी है कि सभी बच्चे सीखने के क्रम में आगे बढ़े और आकलन भी सीखने के लिए हो। प्रत्येक बच्चे के सीखने की प्रगति का रिकार्ड कैसे रखा जाए ? इस आधार पर प्रत्येक बच्चे के लिए शिक्षण योजना कैसी हो, शिक्षण एवं आकलन में आई.सी.टी. का उपयोग कैसे किया जाए ?
आकलन यदि सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का आवश्यक अंग बन जाता है तो बच्चे की प्रगति की नियमित जानकारी ली जा सकेगी, इस जानकारी के विश्लेषण के आधार पर यह पता लगाना संभव हो सकेगा कि कहां और किन क्षेत्रों में किस तरह के उपचार या सुधार कार्याें की आवश्यकता है।
राज्य स्तरीय आकलन में एकरूपता लाने के लिए शिक्षकों को नियमित आकलन प्रक्रिया (एसएलए) से अवगत कराया गया, जिसमें माहवार, विषयवार, कक्षावार सीखने के प्रतिफलों की जानकारी, रूब्रिक्स, प्रश्न पत्र, प्रश्न पत्रों में अंको का वितरण (टास्क डिस्ट्रीब्यूशन मैट्रिक्स), प्रगति पत्रक का नमूना आदि शामिल है। विभिन्न कमजोर परिणाम देने वाले ‘सीखने में प्रतिफलो‘ पर समझ बनाने के लिए सहायक सामग्री, ओडियो-विजुअल सामग्री एवं पाठ्य पुस्तकों में क्यूआर कोड़ के माध्यम से मल्टीमीडिया सामग्री स्कूलों और बच्चों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।