रायपुर । क्रमोन्नति अधिकार मंच के प्रमुख सूत्रधार छत्तीसगढ़ व्यख्याता (पं/एल बी) संघ के प्रांताध्यक्ष कमलेश्वर सिंह राजपूत ने 1 लाख 30 हजार से अधिक सहायक शिक्षक ,शिक्षक एवम व्यख्याता (एल बी) जो पूर्व में पंचायत/नगरीय निकाय के अधीन कार्य करते हुए ही एक ही पद में 10 -20 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके है या सविलयन के बाद 10 वर्ष पूर्ण कर रहे है और उन्हें अभी तक उच्च पद में पदोन्नति नही दी गयी है और ना ही राज्य शासन दुवारा वर्तमान में प्रचलित समयमान /क्रमोन्नति वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड एवम ग्रेड पे दिया जा रहा है जिसे प्रत्येक शिक्षक (एल बी)सवर्ग को उच्च पद में पदोन्नति के अधिकार का हनन हो ही रहा है साथ ही क्रमोन्नति नही दिये जाने से प्रत्येक माह 12-15 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है ।वहीं जिन लोगो को 7 पूर्ण तिथि या उससे अधिक की सेवाअवधि में पदोन्नति मिली या निम्न पद से त्याग पत्र देकर उच्च पद धारण करने वालो को उच्च पद का वेतन बैंड और ग्रेड पे देने से वे 10-12 हजार रुपया अपने वरिष्ठ साथी से ज्यादा वेतन प्राप्त कर रहे है इससे वेतन विसंगति उतपन्न हुई है इस बात को 2013 से प्रमुखता के साथ उठाया गया परन्तु किसी भी संघ ने क्रमोन्नति की मांग को प्रमुखता ना देकर अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारने का काम किया है परन्तु देर आये दुरुस्त आये सभी संघ प्रमुखों ने अब एक सूत्रीय मांग को अपना आंदोलन का हथियार बनाया है जो शिक्षक सथियो के लिए शुभ संकेत है परन्तु यह आंदोलन केवल श्रेय लेने के चक्कर मे धूमिल ना हो जाये यह चिंतनीय है ।
श्री कमलेश्वर सिंह राजपूत ने फेसबुक एवम वाट्सप समूहों में वीडियो के माध्यम से राज्य के समस्त विधायको ,मंत्रियों और संसदीय सचिवों को तथा राज्य शासन से मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघठनो से भी मार्मिक अपील कर शिक्षक (एल बी)सवर्ग को पूर्व सेवा की गणना कर एक ही पद में 10 वर्ष पूर्ण तिथि से प्रथम 20 वर्ष में दुवितीय 30 वर्ष में तृतीय समयमान /क्रमोन्नति वेतनमान के आधार पर उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवम ग्रेड पे प्रदान करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री को समर्थन पत्र प्रेषित करने की अपील की है ।
श्री सिंह ने समस्त कर्मचारी संगठनों से अपने तरीके से समयमान/क्रमोन्नति।वेतनमान की मांग को ही लेकर शासन पर दबाव बनाए जिससे वेतन।विसंगति की समस्या का समाधान हो सके और 1लाख 30 हजार से शिक्षको उसका वाजिब अधिकार मील सके ।