8 वर्ष का बंधन, शोषण पूर्ण व्यवस्था क्रमोन्नति, वेतन विसंगति व पदोन्नति का हो शीघ्र निराकरण शिक्षकों की भर्ती नियम में सुधार कर भेदभाव, असमानता व विसंगति को दूर किया जावे

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प्रदेश में शिक्षकों के बीच भेदभाव करने के लिए 8 वर्ष का बंधन रखा गया है,,यह कोई मान्य नियम नही है,,और न ही शिक्षा संहिता में ऐसी कोई व्यवस्था है,,इस प्रदेश में सभी शिक्षकों की भर्ती की योग्यता, पात्रता व अर्हता समान होती है,,फिर संविलियन, शासकीयकरण के लिए 8 वर्ष का बंधन क़्यों,,?
*यह पूर्णतः शोषण की व्यवस्था है, इसे सरकार अपने जन घोषणा पत्र के वादा अनुसार तत्काल दूर करे*

1998 से सेवारत शिक्षा कर्मियो के पदोन्नति के पद नही है,,ऐसे में क्रमोन्नति के नियम का उल्लेख होता है,,20 वर्षों से एक ही पद पर न्यूनतम वेतन में कार्य करने को बहुसंख्यक शिक्षाकर्मी मजबूर है,,भर्ती नियम में पदोन्नति से वंचित शिक्षकों के लिए क्रमोन्नति का उल्लेख ही नही है,,क़्यों,,?
*निश्चित अवधि में पदोन्नति के पद नही होने पर वंचित के लिए क्रमोन्नति,समयमान वेतनमान की व्यवस्था होती है, 10 व 20 वर्ष के आधार पर 2-2 पदोन्नति से वंचित है शिक्षक,,यह अन्यायपूर्ण है*

शिक्षाकर्मी वर्ग 01 एवं 02 को 9300-34800 वेतनमान के साथ में 4300 व 4200 ग्रेड पे दिया गया जबकि वर्ग 03 को 5200-20200 वेतनमान के साथ में 2400 ग्रेड पे का निर्धारण किया गया था।
जिससे संविलियन के बाद भी सातवें वेतनमान निर्धारण में पुनरीक्षित वेतन संरचना में वर्ग 01 का लेवल 09, वर्ग 02 का लेवल 08 में निर्धारण किया गया। 01मई 2013 से स्वीकृत किये गए पुनरीक्षित वेतनमान के निर्धारण में वर्ग 03 के लिए विसंगति युक्त किये गए वेतन निर्धारण की वजह से वर्ग 03 का लेवल 06 में निर्धारित किया गया।
*वर्गवार अनुपातिक तुलनात्मक आधार पर भी वर्ग 01 व 02 के वेतन में अंतर की तुलना में वर्ग 02 एवं वर्ग 03 के वेतन में अत्यधिक अंतर विद्यमान है, इसलिए आज भी हमारा संघ वर्ग 03 के साथ हुए विसंगति युक्त वेतन निर्धारण के निराकरण के लिए संघर्षरत हैं*

20 वर्ष से व्याख्याता के पद पर कार्य कर रहे वर्ग 1 के लिए पदोन्नति के प्रावधान ही नही है, उन्हें पूरे सेवा काल मे एक ही पद पर सेवा देना है,,उत्साहहीन बनाते हुए षड्यंत्र कर प्रतिभा ही समाप्त कर दिया गया,,
*समकक्ष पद पर कार्यरत हजारो शासकीय शिक्षक प्राचार्य बन गए,,इन्हें वरीयता न देकर प्राचार्य के पद नही दिए गए*,,प्रधान पाठक मिडिल, प्रायमरी के हजारों पद रिक्त है,,जिसमे पदोन्नति कर प्रधान पाठक नही बनाया गया,,
*प्रतिभा का उपयोग न कर ऐसे हजारो शिक्षकों की वरिष्ठता की उपेक्षा की गई है*

छत्तीसगढ़ पंचायत नगरीय निकाय शिक्षक संघ के प्रांतध्यक्ष संजय शर्मा  ने कहा है कि सरकार अपनी जन घोषणा पत्र के मुद्दे के आधार पर अब शिक्षकों के भर्ती नियम में अवैधानिक, शोषण पूर्ण व अन्यायपूर्ण व्यवस्था को तत्काल सुधार करे,,जिसमें संविलियन के 8 वर्ष का बंधन समाप्त हो, पदोन्नति से वंचित वर्ग को क्रमोन्नति वेतनमान मिले, वर्ग 3 के शिक्षकों को अनुपातिक तुलनात्मक वेतन दिया जा सके, और पदोन्नति के पद देकर उनके कार्य क्षमता का उपयोग किया जा सके।

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