रायपुर।शिक्षकों द्वारा अपने कार्य के अतिरिक्त अन्य कार्य में संलग्न होने का यह मामला नया नहीं है। शिक्षा विभाग में वर्षों से गैर शैक्षणिक कार्य में प्रदेश में हजारों शिक्षक संलग्न रहते हैं। कहीं मंत्री, विधायक के निज सचिव के रूप में तो कहीं कार्यालय में अन्य कार्य के लिए शिक्षकों का गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न रहना आम बात हो गया है।मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सर्वे के अनुसार में शिक्षक अपने कुल समय का केवल 19% ही मूल कार्य मतलब शैक्षणिक कार्य में लगा पाते हैं, शेष 81% समय उनका गैर शैक्षणिक कार्य में खर्च हो जाता है। नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न शिक्षकों की सूची मंगाई जा रही है । ज्ञात हो कि इसके पहले भी स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न शिक्षकों के संलग्न करण को समाप्त कर मूल शाला में भेजने के निर्देश दिए थे। किंतु उस पर स्थानीय अधिकारियों का रवैया निराशाजनक रहा है, और आज भी प्रदेश में हजारों शिक्षक गैर शिक्षण कार्य में संलग्न बताए जा रहे हैं। लोक शिक्षण संचालक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर कहा है कि माननीय शिक्षा मंत्री के प्रवास के दौरान संज्ञान में आया है कि विभाग के अंतर्गत विभिन्न शैक्षणिक संवर्ग प्राचार्य,व्याख्याता, शिक्षक ,शिक्षिकाओं को संलग्न कर गैर शैक्षणिक कार्य कराया जाता है । संलग्नीकरण समाप्ति के लिए पूर्व में भी आदेश जारी किए गए थे कि किसी भी शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य के अंतर्गत संलग्न नहीं किया जाए। पत्र में कहा गया है कि E संवर्ग एवं T संवर्ग के किसी भी शिक्षक शिक्षिकाओं को गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न किया गया है तो उनकी सूची 1 सप्ताह के अंदर तत्काल कार्यालय को उपलब्ध कराया जाए।