रायपुर छ ग सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा शाला भवन होने के बाद भी विभाग ने लगातार मोहल्ला क्लास पारा मोहल्लों में लगाने के लिए फरमान जारी किया जिसके चलते सुविधा जनक स्कूल भवनों को छोड़कर गांव की गलियों व अन्य बन्द पड़े सामुदायिक भवनों पर पारा क्लास लगाने का फरमान विभाग के द्वारा दिया गया जिसके चलते हुआ बड़ा हादसा।
बालक की मौत के लिए जवाबदार कौन अधिकारी या सरकार।
छत्तीशगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष ने जारी बयान में कहा कि उच्च अधिकारी जमीनी हकीकत को जाने बिना एसी कमरे में बैठकर बेतुका आदेश निकालते है ।
मोहल्ला क्लास की जमीनी हकीकत अगर देखना है तो उच्च अधिकारियों को गांव का वास्तविक दौरा करना चाहिए ।
बिना किसी सुविधा के गांव के बन्द पड़े भवनों पर मोहल्ला क्लास का लगाने के लिए टीचरों को विवश किया गया आज उसी का परिणाम है कि एक बच्चे को अपनी जान गवानी पड़ी।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह घटना से विभाग को सबक लेना चाहिए और तत्काक प्रदेश की मोहल्ला क्लास बन्द कर देना चाहिए।
अगर बच्चो की पढ़ाई की शिक्षा विभाग को इतनी ही चिंता है तो सभी बन्द पड़ी स्कूलो को खोलने का स्पस्ट आदेश देना चाहिए।
शिक्षको को दबाव डालकर स्कूल भवनों को बन्द करके गांव के सामुदायिक भवनों चौक चबूतरों में क्लास लगाने का फरमान जारी करने वाले अधिकारी सरकार को गुमराह कर झूठी वाहवाही बटोरने का काम कर रहे है।
फेडरेशन के प्रांतीय पदाधिकारी शिव मिश्रा सुखनंदन यादव अजय गुप्ता सी डी भट्ट बलराम यादव रंजीत बनर्जी कौशल अवस्थी रंजीत बनर्जी श्रीमती प्रेमलता शर्मा रवि लोहसिह श्रीमती उमा पांडेय छोटे लाल साहू आदित्य गौरव साहू विकास मानिकपूरी राजकुमार यादव राजू यादव चन्द्र प्रकाश तिवारी छबि पटेल बी पी मेश्राम श्रीमती खिलेस्वरी शांडिल्य श्रीमती दुर्गा वर्मा श्रीमती बनमोति भोई जलज भूपेंद्र पाणिग्रही जलज थवाईत सहित समस्त पदाधिकारियों ने कहा प्रदेश के ग्रामीण अंचलों की वास्तविकता को जाने बिना शिक्षा विभाग ने बड़ा अजीबो गरीब आदेश का पालन करवाया है ।
सुविधाजनक भवनों को छोड़कर गांव के सालों बन्द रहने वाले सामुदायिक भवनों और चौक चौराहों को नवनिहलो के पढ़ने के लिए चुना ।बड़े बड़े आफिस में बैठे ये आला अधिकारी झूठी वाहवाही कमाने के लिए इस तरह का बेतुका आदेश निकालते है।
इस धटना के लिए पूरी तरह से मोहल्ला क्लास का आदेश निकालने वाला आला अधिकारी जवाबदार है अगर इस घटना के लिए सजा मिलनी चाहिए तो ऐसे बेतुका आदेश निकालने वाले अधिकारियों को मिलनी चाहिए।
अगर इस घटना के लिए किसी शिक्षक पर कार्यवाही हुई तो फेडरेशन बर्दास्त नही करेगा।
अगर कार्यवाही हो तो उच्च अधिकारियों पर होनी चाहिए जिनके आदेश से स्कूलों के भवनों को छोड़कर असुविधाजनक भवनों में शाला लगाने के लिए टीचरों को विवश किया गया।