पेंशन नियम 1976 के तहत लाभ देने लगाए गए याचिका में माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को जारी किया नोटिस

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बिलासपुर। सोनसिंह कश्यप सुकमा Versus राज्य शासन व सुधीर दुबे जगदलपुर Versus राज्य शासन के दो अलग अलग मामले में पुरानी पेंशन के प्रकरण में शासन को 6 सप्ताह व 4 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का नोटिस जारी हुआ है।

शिक्षा कर्मी के पद पर प्रथम 1998 से नियुक्त एल बी संवर्ग के शिक्षकों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर विधिवत सभी तथ्यों के साथ शासन को पहले आवेदन देने के बाद माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया है।

पेंशन नियम 1976 के तहत 2004 के पूर्व नियुक्त कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिए जाने का तथ्य व तर्क रखते हुए NPS योजना को उपयुक्त नही मानते हुए याचिका दायर की गई है।

याचिका की प्रथम सुनवाई
सोनसिंह कश्यप सुकमा के मामले में 19 मार्च 2021 को हुआ जिसमें शासन को 6 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का नोटिश जारी हुआ है, तथा सुधीर दुबे जगदलपुर के मामले 19 मार्च 2021 को हुआ जिसमें शासन को 4 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का नोटिश जारी हुआ है।

शासन से जवाब आने के बाद याचिकाकर्ता सोनसिंह कश्यप सुकमा एवं 109 अन्य की ओर से अधिवक्ता बी डी गुरु पैरवी करेंगे। तथा याचिकाकर्ता सुधीर दुबे जगदलपुर एवं 118 अन्य की ओर से अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव पैरवी करेंगे।

याचिकाकर्ताओ  ने कहा है कि नवीन अंशदायी पेंशन योजना छत्तीसगढ़ में नवंबर 2004 के बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए लागू किया गया है, जबकि वर्तमान एल बी संवर्ग के शिक्षक जिनकी नियुक्ति 2004 के पूर्व 1998 में शिक्षा कर्मी के पद पर हुई थी वे पेंशन नियम 1976 के तहत पुरानी पेंशन के पात्र होंगे।

जब 8 वर्ष की सेवा पर संविलियन किया गया मतलब शासन ने स्वयं पूर्व सेवा को ही संविलियन के लिए आधार बनाया तो पेंशन के लिए पुरानी सेवा को अमान्य किया ही नही जा सकता।

जब स्वयं शासन निम्न से उच्च पद का लाभ देने आदेश कर चुकी है तो पुरानी सेवा को अमान्य किया ही नही जा सकता।

दैनिक वेतन भोगी के मामले में भी निर्णय को आधार बनाया गया है।

जब 1998 के प्रथम नियुक्ति के आधार पर समतुल्य दिया गया, और समतुल्य वेतन के आधार पर सातवां वेतनमान दिया गया तो 1998 के आधार को मान्य किया जाना युक्ति युक्त संगत है।

विद्वान अधिवक्ताओ द्वारा अनेक तर्क व तथ्य के साथ पक्ष रखा गया है।

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