जानिए OPS पर क्या है न्यायालय का निर्णय?

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छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रथम नियुक्ति 1998 के आधार पर पेंशन नियम 1976 के आधार पर पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में अनेकों प्रकरण लंबित है, जिसमें केवल शासन को अभ्यावेदन देकर शासन निर्णय लेवे यह याचिका नही है बल्कि शासन को नोटिश देकर शासन का जवाब के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता व शासन के पक्ष को सुनकर निर्णय करें यह याचिका अनेकों जिलों से अधिवक्ता मतीन सिद्दकी, प्रतीक शर्मा, अनूप मजूमदार, अजय श्रीवास्तव, बीडी गुरु, के माध्यम से लगाया गया है।

जिस पर शासन की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया है जिसमें शासन ने पक्ष रखा है कि माननीय न्यायालय की माननीय खण्डपीठ ने रिट अपील संख्या 215/2017 हरनारायण यादव बनाम. छत्तीसगढ़, पीएससी और अन्य ने आदेश पारित किया है और माना है कि शिक्षाकर्मी/शिक्षक पंचायत सरकारी कर्मचारी नहीं हैं और उनके पास कोई सिविल पद नहीं है, इसलिए वे सरकारी कर्मचारी या सरकारी कर्मचारी के बराबर का दावा नहीं कर सकते क्योंकि उनकी नियुक्ति एमपी/सीजी पंचायत शिक्षाकर्मी भर्ती 1997 नियमों के तहत है। इसलिए याचिकाकर्ता 01/11/2004 से पहले पुरानी योजना के अनुसार अन्य के बराबर पेंशन लाभ के हकदार नहीं हैं।

इस शासन के जवाब के पश्चत याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा बहस किया जाएगा, जिसमें जो निर्णय माननीय उच्च न्यायालय का होगा वही असली फैसला रहेगा, अभी एक भी बार सुनवाई नही हुआ है, अर्जेंट हियरिंग लगाने प्रयास जारी है, इस बीच सभी याचिकाओं को क्लब किया जा रहा है जाहिर है कि सुनवाई सभी याचिका पर एक साथ होगी।

याचिकाकर्ता Mohammad Alim के अभ्यावेदन में 6 माह में शासन निर्णय ले क्या है इसका अर्थ👇

WPS No. 1329 of 2024, Mohammad Alim एवं अन्य के याचिका पर लंबी बहस के बाद, याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को सचिव के समक्ष नए सिरे से अभ्यावेदन देने की स्वतंत्रता देकर याचिका का निपटारा किया जा सकता है। स्कूल शिक्षा विभाग इस याचिका में उठाए गए सभी आधारों को उठा रहा है और बदले में सचिव को इस न्यायालय द्वारा तय की गई निर्धारित अवधि के भीतर इस पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया जा सकता है।

2, याचिकाकर्ता के वकील द्वारा की गई प्रार्थना का राज्य के वकील ने विरोध नहीं किया है।

3, पक्षों के वकील द्वारा की गई उपरोक्त दलीलों पर विचार करते हुए, याचिकाकर्ता को आज से 04 सप्ताह की अवधि के भीतर सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग के समक्ष एक नया अभ्यावेदन देने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा किया जाता है और सचिव बदले में उस पर विचार करेंगे और अभ्यावेदन की प्राप्ति की तारीख से 06 महीने के भीतर निर्णय लेंगे।

जब शासन खुद न्यायालय में जवाब प्रस्तुत कर चुका है तो ओ वही निर्णय लेकर अभ्यावेदन अमान्य कर देगा।

क्या इसके पहले भी अभ्यावेदन अमान्य हो चुका है❓

हा

श्री राजकुमार कुर्रे WPS 4371/2020 के मामले में शासन के समक्ष अभ्यावेदन देने का निर्णय हुआ था जिस पर शासन द्वारा निर्णय लिया जा चुका है, छ ग शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिनांक 16/02/2021 को अभ्यावेदन की अमान्य करते हुए जो निर्णय लिया है जिसमें 👇

दिनांक 30.06.2018 की कंडिका 4, 5 एवं 6 अनुसार “शिक्षक (एल.बी.) सवंर्ग को देय समस्त लाभ के लिए सेवा की गणना संविलियन दिनांक 01 जुलाई 2018 से की जाएगी। इस आधार पर प्रकरण का पूर्ण परीक्षण किया जाकर निर्णय लिया जाता है कि समस्त शिक्षक संवर्ग (पंचायत/नगरीय निकाय) का संविलियन दिनांक 01 जुलाई, 2018 से स्कूल शिक्षा विभाग में होने के पूर्व उन्हें पेंशन की पात्रता नहीं होगी।

क्या होगा आगे👇

माननीय उच्च न्यायालय में दोनों पक्षों के बहस के बाद न्यायालय का निर्णय जो आएगा वही असली फैसला होगा, विपक्ष में फैसला आने पर आगे याचिका लगाने की तैयारी की जाएगी।

क्या शासन प्रथम नियुक्ति से लाभ देने का निर्णय ले सकती है👇

हा, शासन बिल्कुल निर्णय ले सकती है इसके लिए संघ के माध्यम से निरन्तर ज्ञापन / चर्चा के माध्यम से प्रयास जारी है।

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