रायपुर। शिक्षाकर्मी एक ऐसा नाम है जो कभी परेशानियों से अपना पीछा नही छुड़ा सका है। अभी वर्तमान में सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षाकर्मियों का क्रमोन्नति वेतनमान का है जिस के कारण से शिक्षा कर्मियों को हजारों रुपयों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। और उसकी वजह से वेतन विसंगति भी झेलना पड़ रहा है ।जानते हैं आखिरकार शिक्षाकर्मियों की आर्थिक परेशानी की शुरुआत कहां से हुई? जिसका खामियाजा उन्हें आज तक भुगतना पड़ रहा है। सरकार चाहे जिसकी भी हो हमेशा से वादा करते आ रहे हैं कि शिक्षाकर्मियों की मांगों का निराकरण उनके द्वारा किया जाएगा। वर्तमान सत्ता पर काबिज सरकार ने भी शिक्षा कर्मियों की मांगों को घोषणा पत्र में जगह देते हुए क्रमोन्नति को पूरा करने का संकल्प दोहराया था। सरकार के ऊपर भरोसा जता रहे शिक्षा कर्मियों को उम्मीद है कि बजट सत्र में इस बार क्रमोन्नति का लाभ मध्यप्रदेश की तरह मिल जाएगा। अब देखने वाली बात होगी कि क्या सरकार इस बजट में क्रमोन्नति का लाभ औऱ वेतन विसंगति को दूर करेगी या अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
शिक्षा कर्मियों को हो रहा है हजारों का नुकसान। शिक्षा कर्मियों का कहना है कि”क्रमोन्नत /समयमान वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे में वेतन निर्धारण की पात्रता शिक्षक एल बी होने से पूर्व शिक्षक(पं/ननि)सवर्ग को है परन्तु बीच में टाँग अड़ाने का काम कर रही है स्थानीय निधि सपरिक्षा कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी।शिक्षक (पं/ननि)संवर्ग को राज्य शासन पंचायत एवम् ग्रामीण विकास विभाग एवम् नगरीय प्रशासन एवम् विकास विभाग ने 2.11.2011 को जिन शिक्षक (पं/ननि)संवर्ग एक ही पद में दस वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है उन्हें उच्च पद का क्रमोन्नत वेतनमान दिया जायेगा ।इस आदेश के तहत 10 वर्ष पूर्ण करने वाले शिक्षक(पं/ननि) संवर्ग का क्रमोन्नत वेतनमान के वेतनमान में उपग्रेड कर दिया गया जिसका सत्यापन स्थानीय निधि सपरिक्षक ने कर दिया था ।राज्य शासन ने 1.4.2012 को जिन शिक्षक (पं/ननि) ने एक ही पद में 7 वर्ष की सेवा पूर्ण (स्नातक को) कर ली हो इनका वेतन समयमान वेतन के उच्च वेतनमान में अपग्रेड कर दिया गाइड्स स्नातक को 10 वर्ष में समयमान वेतन में अपग्रेड किया गया ।इसका भी सत्यापन स्थानीय निधि ने किया। दोनों आदेश के तहत शिक्षक(पं/ननि)सवर्ग का वेतन उन्नय्यन किया गया ।
अब प्रश्न यहाँ आ रहा कि राज्य शासन ने 8 वर्ष की सेवा पूर्ण करने वाले शिक्षक(पं/ननि) को 8 वर्ष की पूर्ण तिथि से शासकीय शिक्षको के समान वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के अनुसूची 1 का वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे स्वीकृत किया गया। चूँकि शासकीय शिक्षको को वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 लागु होने से पूर्व 12 वर्ष में एक क्रमोन्नत वेतनमान मिल रहा था । जब 1 जनवरी 2006 से वेतन पुनरीक्षण 2009 लागु किया गया यह नियम लागु होने से पूर्व शासकीय शिक्षको का क्रमोन्नत वेतनमान में वेतन उन्नय्यन हो गया था ।शासकीय शिक्षको का वेतन निर्धारण क्रमोन्नत/समयमान वेतनमान में प्राप्त कर रहे उन्नयित वेतनमान के आधार पर वेतन निर्धारण किया गया वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 5 में स्प्ष्ट लिखा है कि जिन कर्मचारियों का 2009 वेतन पुनरीक्षण लागु होने से पूर्व क्रमोन्नत /समयमान/स्तरोन्नयन /वरिष्ठ वेतनमान में वेतन उन्नय्यन हो गया है उनका वेतन निर्धारण क्रमोन्नत /समयमान वेतनमान में प्राप्त कर रहे उन्नयित वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतन में वेतन निर्धारण किया जायेगा ।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संचालक ने भी पत्र जारी कर कहा है कि क्रमोन्नति वेतनमान 30 अप्रैल 2013 तक प्रभाव से रहा है 1998-99 के शिक्षाकर्मियों का कहना है कि यदि 30 अप्रैल 2013 तक क्रमोन्नति प्रभाव शील रहा है तो उसके पूर्व में 10 वर्ष पूर्ण करने वाले शिक्षाकर्मियों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ पंचायत विभाग क्यों नहीं दे रही है? संविलियन प्राप्त शिक्षाकर्मियों का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने बाकायदा आदेश जारी कर कहा है कि क्रमोन्नति /समयमान वेतन का लाभ पूर्व नियोक्ता द्वारा प्रदान किया जाएगा और पूर्व नियोक्ता पंचायत एवं नगरीय प्रशासन विभाग इस मामले में मौन साधे हुए हैं।इससे शिक्षा कर्मियों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
अतः शिक्षक (पं/ननि)सवर्ग कर्मचारियों को 8 वर्ष की पूर्ण तिथि से शासकीय शिक्षको के समान पुनरीक्षित वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे में वेतन प्रदान करने का आदेश जारी हुआ जो दिनांक 1.5.2013 से प्रभावशील हुआ कहने तातपर्य यह है शिक्षक (पं/ननि)सवर्ग कर्मचारियों का इससे पूर्व क्रमोन्नत/समयमान वेतनमान में वेतन उन्नीयन हो गया था उनका भी वेतन निर्धारण क्रमोन्नत /समयमान वेतनमान में प्राप्त कर रहे मूल वेतन को 1.86 से गुणा कर परिगणित राशि को पूर्णांकत करना था तथा प्रथम क्रमोन्नत वेतनमान का वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे देना था ।अर्थात शिक्षक(पं/ननि)सवर्ग कर्मचारियों का वेतन निर्धारण 1.5.2013 को7/10 वर्ष पूर्ण तिथि में समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान में प्राप्त कर रहे मूल वेतन के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान के सापेक्ष वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे देना था तथा मूल वेतन को छ.ग.वेतन पुरीक्षण नियम 2009 के नियम 7 (क) के तहत विद्यमान वेतन को1.86 से गुणांक कर परिगणित राशि पूर्णांक करते हुए वेतन निर्धारण करना था ।
शिक्षक (एल बी)सवर्ग ने राज्य शासन से 10 वर्ष पूर्ण तिथि से समयमान /क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर वेतन निर्धारण की मांग की ।स्कूल शिक्षा विभाग ने दिनांक 6.4.2019 एक आदेश जारी कर एल बी से पूर्व जो शिक्षक (पं/ननि) सवर्ग ने एक ही पद में 10वर्ष की सेवा पूर्ण की है तो तत्समय प्राप्त वेतनमान के अनुसार क्रमोन्नत/समयमान में वेतन निर्धारण करें । और रिवाइज्ड एल पी सी जारी करें ।चूँकि 10 वर्ष की पूर्ण तिथि से पूर्व 8 वर्ष की पूर्ण तिथि से छठवाँ वेतनमान में पुनरीक्षित वेतन प्राप्त कर रहा था अतः 10 वर्ष की पूर्ण तिथि में प्राप्त कर रहे क्रमोन्नति /समयमान के आधार पर पुनरीक्षत वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे में वेतन निर्धारण करना था ।परन्तु स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश का भी परिपालन नही किया गया ।इससे क्षुब्द होकर शिक्षक (पं/ननि) सवर्ग माननीय उच्च न्यायालय के शरण में गए।
छत्तीसगढ़ व्याख्याता ( पंचायत/एलबी) शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष कमलेश्वर सिंह ने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय दुवरा विभिन्न प्रकरणो की सुनवाई के बाद नियोक्ताओ को 10 वर्ष पूर्ण करने वाले शिक्षक(पं/ननि)सवर्ग को पुनरीक्षित वेतनमान में क्रमोन्नत/समयमान वेतनमान का वेतन बैंड एवम् ग्रेड पे देने का आदेश किया ।इसके बाद सभी नियोक्तागण क्रमोन्नत वेतनमान /समयमान वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतनमान का वेतन बैंड +ग्रेड पे में वेतन निर्धारण कर सत्यापन हेतु स्थानीय निधि सपरिक्षक प्रेषित कर रहे है ।परन्तु स्थानीय निधि सपरिक्षा कार्यलय के अधिकारी माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए सत्यापन करने से इंकार कर रहे है इस तरह माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना हो रही है ।अतः क्या स्थनीय निधि सपरिक्षक माननीय उच्चन्यायालय के अधीन नही आता या माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य है या नही यह शिक्षक(पं/ननि)सवर्ग जो वर्तमान ने एल बी हो गए है उनके लिए बड़ी समस्या है ।
हमारे जितने भी शिक्षक(पं/ननि)साथी माननीय उच्चन्यायालय से क्रमोन्नति/समयमान के आधार पर पुनरीक्षित वेतन बैंड +ग्रेड पे में वेतन निर्धारण का प्रकरण दायर किये है या न्यायलय दुवारा अदेशीत किया गया है नियोक्ता दुवरा वेतन निर्धारण कर स्थानीय निधि सपरिक्षक को प्रेषित किया है और स्थानीय निधि सपरिक्षक सत्यापन करने से इंकार कर रहे है । कुछ लोग तो उप संचालक स्थनीय निधि सपरिक्षक को मुख्य पार्टी बनाते हुए हाईकोर्ट में प्रकरण दर्ज करा कर अवमानना याचिका दाखिल करने की तैयारी भी कर रहे हैं।