कर्मचारियों की पीड़ा- आज भी DA की घोषणा नही होने से प्रदेश के कर्मचारी हुए निराश-छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ

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*केंद्र के बराबर DA नही मिलने से प्रत्येक सहायक शिक्षक को 5500 से 6000 रुपये,शिक्षक को 7500 से 10000 रुपये तथा व्याख्याता को 8000 से 11000 रुपये का हो रहा प्रतिमाह नुकसान*

*बढ़ती महंगाई की गति ने कर्मचारियों को किया बेहाल,क्योंकि मिल रहा मंहगाई भत्ता 3 वर्ष पहले की।एक ओर मंहगाई के लिए हर जगह प्रदर्शन कर रहे पर छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के मंहगाई भत्ते को 3 साल से रोक कर रखना दुःखद है।मांग- छ्ग में भी 34% DA दिया जावे-वीरेंद्र दुबे*

बढ़ती मंहगाई के बीच प्रदेश कर्मचारियों का बजट बिगड़ा हुआ है। वहीं आक्रोश भी है कि छ्ग शासन द्वारा उन्हें केंद्र के बराबर 34% DA नही दिया जा रहा है,जिससे उन्हें प्रतिमाह लगभग 6000 रुपये से 12000 रुपये का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

*छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने जानकारी देते हुए कहा कि* छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनवरी 2020 से 4%, जुलाई 2020 से 3%, जनवरी 2021 से 4%,जुलाई 2021 से 3% तथा जनवरी 2022 से फिर 3% कुल 17% मंहगाई भत्ते को रोक कर रखा है,जिससे प्रदेश कर्मचारियों में गहरी निराशा व्याप्त है। आज मुख्यमंत्री द्वारा DA की घोषणा होने की के प्रति प्रदेश कर्मचारी आशान्वित थे कि इस बार जैसे राजस्थान की केंद्र सरकार ने तत्काल 34% केंद्र के बराबर DA देने की घोषणा की वैसे ही कुछ छत्तीसगढ़ के मुखिया भी करेंगे किंतु ये खाई अब भी बनी रहेगी। उल्लेखनीय है कि नियमानुसार प्रत्येक राज्य को केंद्र के बराबर ही DA देना होता है अपने प्रदेश के कर्मचारियों को,इसलिए जब जब केंद्र बढ़ाती है तब तब राज्य भी DA बढ़ाती है। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी आजDA की घोषणा नही होने से अभी केंद्र से 17% पीछे रहे हैं इससे प्रत्येक कर्मचारी को प्रति माह भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है,इसलिए केंद्र के बराबर 34%DA छत्तीसगढ़ में भी दिया जावे ताकि प्रदेश के शिक्षक/कर्मचारी इस बढ़ती मंहगाई के बीच संतोषजनक जीवन यापन कर सके।

*प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने कहा कि* हम शासन के हर अच्छे कार्य का स्वागत करते हैं,जैसा हमने अभी पेंशन के लिए भव्य आभार सम्मेलन किया,पहले भी हमने संविलियन के लिए रमन सरकार का आभार जताया था परन्तु जब कोई कर्मचारी अहित होता है तो हम पुरजोर विरोध कर कोई मांग भी उसी शिद्दत से करते हैं। केंद्र के बराबर DA को प्राप्त करना प्रत्येक कर्मचारी का अधिकार है,अतः सभी लंबित 34%DA की घोषणा किया जाना चाहिए था। पर DA का न मिलना अत्यंत निराशाजनक है। बढ़ती मंहगाई के अनुरूप ही DA मिलना चाहिए।वैसे भी राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा छ.ग. की सफल आर्थिक नीतियों और आर्थिक विकास को पुरजोर तरीक़े से सभी मंचों पर रखा जाता है ,फिर भी कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता रोकना कर्मचारियों व उनके परिवार के साथ सरासर अन्याय है।

34% DA की मांग करने वालो में प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे, प्रांतीय कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी,प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, प्रांतीय उपाध्यक्ष सुनील सिंह,डॉ.सांत्वना ठाकुर,विष्णु शर्मा,सहसचिव सत्येंद्र सिंह, प्रांतीय मीडिया प्रभारी जितेन्द्र शर्मा,सन्गठन मंत्री विवेक शर्मा,प्रांतीय प्रवक्ता गजराज सिंह, संगठन सचिव जितेंद्र गजेंद्र,राजेश शर्मा, घनश्याम पटेल,अतुल अवस्थी,अजय वर्मा,गोविंद मिश्रा जिलाध्यक्षगण प्रहलाद जैन,शिवेंद्र चंद्रवंशी, सन्तोष मिश्रा,दिनेश राजपूत, कुलदीप सिंह,शैलेष सिंह, प्रदीप पांडेय, रवि मिश्रा, संतोष शुक्ला, विनय सिंह, हिमन कोर्राम, दीपक वेंताल, भोजराज पटेल,भानु प्रताप डहरिया,यादवेंद्र दुबे, उपेंद्र सिंह,जोगेंद्र यादव,विनय सिंह, सर्वजीत पाठक, ओमप्रकाश खैरवार,कैलाश रामटेके,कृष्णराज पांडेय,,पवन दुबे,करनैल सिंह,श्री मती शशि कठोलिया,अब्दुल आसिफ खान,सुशील शर्मा,विक्रम राजपूत ,गौतम शर्मा, मारुति शर्मा,अमित सिन्हा,द्वारिका भारद्वाज,अशोक देशमुख,तिलक सेन,विजय बेलचंदन आदि सम्मलित हैं।

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