रायपुर 1 जुलाई 2018। शिक्षा कर्मियों के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 22 वर्षों से समस्याओं से खेलते आ रहे शिक्षाकर्मियों के लिए आज का दिन यादगार पल के रूप में साबित होने जा रहा है।अपने छोटे बड़े मांगों के लिए 22 वर्षों से संघर्षरत शिक्षाकर्मियों के काले अध्याय आज समाप्त हो गए हैं ।आज 1 जुलाई 2018 से सूरज की नई किरणों से शिक्षाकर्मियों के लिए नए युग की शुरुआत हो रही है। “संविलियन” शब्द ही अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण शब्द है जो शिक्षाकर्मियों के अधिकांश समस्याओं के लिए संजीवनी रुपी बूटी है।आज से अब शिक्षाकर्मी नाम से शिक्षाकर्मियों को छुटकारा मिलने जा रहा है।अब सहायक शिक्षक, शिक्षक एवं व्याख्याता के नाम से शिक्षाकर्मी संबोधित किए जाएंगे।समान काम समान वेतन कि वर्षों से पूर्व से मांग करते आ रहे शिक्षाकर्मियों को अब शासकीय शिक्षकों के समान ही वेतन एवं भत्ते एवं सुविधाएं आज से मिलने लगेंगे। 1998 से तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने शिक्षाकर्मी भर्ती प्रक्रिया अपनाई गई थी जिसे बाद में 3 वर्ष में नियमित करने का उल्लेख सेवा शर्तों में भी किया गया था। लगातार शिक्षाकर्मियों ने अपनी मांगों के संदर्भ में शासन को अवगत कराते हुए धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन किए। समय-समय पर आंदोलन पश्चात शिक्षा कर्मियों के वेतन में मामूली वृद्धि कर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया जाता रहा है। लेकिन इस बार के शिक्षाकर्मियों के आंदोलन लगभग सफल रहा।जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने एक लाख से ऊपर शिक्षाकर्मियों को शासकीय शिक्षक रूप में संविलियन करने के निर्णय पर मुहर लगाया।हालांकि अभी वर्ग 3 के कुछ साथी एवं 8 वर्ष से कम के शिक्षक पंचायत संवर्ग में निराशा दिखाई दे रहे हैं। किंतु आने वाला समय उनके लिए भी बेहतर होगा। इसी उम्मीद के साथ आज के ऐतिहासिक दिन को जरूर प्रदेश भर के शिक्षाकर्मी याद रखेंगे।
मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने आशा जताई है कि मोर्चा के मांगों के अनुरूप वर्ग 3 की वेतन विसंगति एवं सभी वर्गों क्रमोन्नति के संबंध में सरकार उचित निर्णय लेगी इस अवसर पर प्रदेश के सभी शिक्षक अपने अपने विद्यालयों में संविलियन पौधा लगाकर इस दिवस को यादगार बनाने का भी कार्य करेंगे उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षकों का यह LB संवर्ग ना केवल शिक्षा विभाग में बल्कि प्रदेश के अन्य विभागों में भी सबसे बड़े शैक्षिक संवर्ग के रूप में छत्तीसगढ़ के विकास में अपनी भूमिका देने अपनी महती भूमिका को समझते हुए योगदान हेतु कृतसंकल्पित है।