शिक्षा कर्मियों एक बार फिर झटका…non-noc निम्न से उच्च पद मामले पर पुनः पंचायत संचालनालय से मार्गदर्शन मिला

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रायपुर 25 जुलाई 2019। नियुक्त से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए निम्न से उच्च पद में नियुक्त होने वाले शिक्षाकर्मियों को एक बार फिर पंचायत संचालनालय झटका दे दिया है पंचायत संचनालय द्वारा जारी मार्गदर्शन में कहा गया है कि पूर्व में जारी पत्र में में लेख किया गया है कि ऐसे शिक्षक पंचायत संवर्ग जो अपने नियोक्ता से अनापत्ति सहमति प्राप्त किए बिना ही। समान पद से समान पद अथवा निम्न पद से उच्च पद में नियुक्त हुए हैं उनके पूर्व पद की सेवा अवधि को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए नहीं जोड़े जाने क्लेश किया गया है।

इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के अनुदेश क्रमांक 12-03/2018/20 दो दिनांक 13/07/2018 में संविलियन हेतु वरिष्ठता के संबंध में प्रावधान किया गया है जिसके अनुसार विभाग द्वारा एनओसी प्राप्त कर समान पद से समान पद अथवा निम्न पद से उच्च पद में कार्य करने वाले शिक्षक पंचायत संवर्ग सेवा काल की गणना निम्न पद पर कार्य करने के प्रथम कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाएगी।
जिनके एनओसी का आवेदन कार्यालय में लंबित है उन्हें एनओसी प्रदान किया जाना मानकर सेवा अवधि की गणना निम्न पद में कार्यभार ग्रहण तिथि से की जाएगी।
जो कर्मचारी एनओसी प्राप्त कर ग्रामीण निकाय से नगरी निकाय अथवा नगरी निकाय से ग्रामीण निकाय पर निम्न पद से उच्च पद में नियुक्त हुए हैं उनकी सेवा की गणना उच्च पद में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से की जाएगी।
पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त प्रावधान को ध्यान में रखते हुए ऐसे शिक्षक पंचायत संवर्ग जिन्होंने नियुक्त आके कार्यालय में एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया है तथा बिना एनओसी प्राप्त किए समान पद से समान पकवा निम्न पद से उच्च पद पर नियुक्त हुए हैं उनके पूर्व पद की सेवा अवधि को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन के लिए लड़ना किया जाना उचित नहीं होगा ज्ञात हो कि इस संदर्भ में कल ही मुख्यमंत्री जनदर्शन में पाटन के शिक्षाकर्मियों ने आवेदन लगाया था कि जब निम्न पद से उच्च पद में बिना एनओसी प्राप्त किए शिक्षक पंचायत संवर्ग को पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ दिया जा सकता है तो संविलियन का लाभ क्यों नहीं दिया जा सकता इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय से स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को कार्यवाही करने के लिए पत्र लिखा गया है।अब देखना होगा कि आने वाले समय में इस पर स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से क्या निर्णय लिया जाता है।

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