शिक्षक और mdm एजेंसी के घर-घर जाने अथवा पालकों बच्चो को स्कूल बुलाने से बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा,बड़ी मात्रा में दाल आदि की एक साथ उपलब्धता भी होगी बड़ी समस्या
पूरे देश मे कोरोना के कहर से बचने तथा इसके संक्रमण को रोकने के लिए सभी जगह लॉक डाउन किया गया है,तथा सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए आपस मे दूरी बनाए जाने को पूरा बल दिया जा रहा है,ऐसे समय मे लोक शिक्षण संचालनालय का आदेश कि 3 और 4 अप्रैल को प्राथमिक और माध्यमिक शाला के समस्त विद्यार्थियों को 40 दिनों का सूखा खाद्यान्न (चावल और दाल) वितरित किया जावे, लॉकडाउन की मंशा का स्पष्ट उलंघन की आशंका है, क्योंकि सामग्री वितरण होने से भीड़ अवश्य होगी,जिससे संक्रमण का खतरा होगा।
शालेय शिक्षाकर्मी संघ छग के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने इस वितरण से होने वाली समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए मांग किया लॉकडाउन का पूर्ण पालन और संक्रमण को रोकने के लिए 3 और 4 अप्रैल की जगह खाद्यान्न वितरण लाकडाउन खत्म होने के बाद किये जावें।
अभी वितरण करने से निम्न समस्याएं आ सकती है:-
संक्रमण का बड़ा खतरा
लॉकडाउन होने से शिक्षकों का स्कूल तक पहुँचना दुष्कर
बड़ी मात्रा में दाल की एक साथ उपलब्धता वो भी स्थानीय बाजार से मुश्किल है।
वाहन सभी बन्द है तो बड़ी मात्रा में चांवल और दाल का परिवहन कैसे होगा।
स्कूलों में तराजू नही हैं तो एक एक बच्चे के लिए निर्धारित सामग्री शिक्षक कैसे तौल कर देगा।*
सुझाव
3 और 4 अप्रैल के वितरण को स्थगित कर लॉकडाउन समाप्ति के बाद वितरण सुनिश्चित किया जावे।
mdm खाद्यान्न(चावल दाल) ग्राम पंचायत राशन दुकानों से ही राशन कार्ड द्वारा वितरित की जा सकती है।
मप्र की तरह मध्यान्ह भोजन चलाने वाली एजेंसी के सदस्य/रसोइया/ शाला प्रबंधन के सदस्य/ ग्राम पंचायत द्वारा वितरण किया जा सकता है। अथवा लाकडाउन के अंतर्गत नियुक्त वालिटियर्स के द्वारा भी वितरित किया जा सकता है।
प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने प्रदेश के समस्त शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे लॉकडाउन के नियमों का पूर्ण पालन करते हुए सुरक्षित रहें।
प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने जानकारी दी कि शालेय शिक्षाकर्मी संघ इस आशय का पत्र लोक शिक्षण संचालनालय को प्रेषित करने जा रहा है।