राज्य स्तरीय परीक्षा में शिक्षक एवं छात्र परेशान…नेटवर्क के चक्कर मे कभी छत तो कभी पेड़ पर चढ़े शिक्षक

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सूरजपुर :- शनिवार को शिक्षा व्यवस्था की एक तस्वीर पूरे राज्य में खूब वायरल हो रही है, संदर्भ यह है की वातानुकूलित कमरे में बैठकर बड़े अधिकारी और हुक्मरान योजना बनाते हैं जिन्होंने जमीनी स्तर पर अपनी योजनाओं की हकीकत की कल्पना ही नहीं की होती है। ताजा मामला यह है कि राज्य आकलन परीक्षा पूरे प्रदेश में होना है जिसे इंटरनेट सुविधा से जोड़ दिया गया है और इसकी प्रक्रिया ऑनलाइन होनी है। – शनिवार सुबह 8:00 बजे से प्राथमिक शाला की कक्षा 1एवं 2 की परीक्षा होनी थी यह पहला मौका था जब नौनिहालों को ऑनलाइन व्यवस्था के तहत परीक्षा देनी थी। शिक्षकों को मोबाइल ऐप के माध्यम से सारी प्रक्रिया पूर्ण करनी थी, लेकिन समस्या यह थी ऐप खुल ही नहीं रहा था। राज्य की ओर से कोई तत्कालिक सूचना भी नहीं दी गई। इसके बाद शिक्षक कहीं स्कूलों के छत पर तो कहीं पेड़ों पर चढ़कर मोबाइल का नेटवर्क ढूंढते देखे गए। कई शिक्षक स्कूल से दूर आकर के मोबाइल के नेटवर्क तलाशते हुए पाए गए और शिक्षकों के पीछे छोटे-छोटे बच्चे भी दौड़ते घूमते देखे गए कि किसी तरह उनकी परीक्षा ले ही ली जाए, लेकिन समस्या का कोई हल नहीं मिला समय पूर्ण होने तक भी इस परीक्षा को पूर्ण करने के लिए कोई आस दूर-दूर तक नजर नहीं आई। अगर परीक्षा नहीं हुई तो शिक्षकों पर गाज गिरने का भय भी उन्हें सता रहा है। इसलिए शिक्षक और खासकर शिक्षिकाएं जो छत और पेड़ों पर नहीं चल सकते वे सीढ़ी की मदद से चढ़ने का प्रयास करते इस उम्मीद से देखे गए कि शायद उन्हें कहीं नेटवर्क मिल जाए और उनका ऐप खुल जाए, जिस ऐप के माध्यम से बच्चों की परीक्षा होनी है ।
सवाल वही है की योजनाएं तो बंद एसी कमरों में बना ली जाती हैं लेकिन उसके क्रियान्वयन तक की स्थिति का हुक्मरान जायजा भी नहीं लेते हैं। इंटरनेट सेवा आज गांव गांव की समस्या बनी हुई है। कई कई दिनों तक बैंकों के लिंक फेल होते हैं ऐसे में परीक्षा जैसे चीजों को ऑनलाइन जोड़कर जो योजना बनाई गई है पूरी तरह फेल दिखाई दे रही है। जितना वक्त मोबाइल के नेटवर्क ढूंढने में शिक्षक लगा रहे हैं उन्हें बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता तो राज्य के ग्रामीण अंचलों में पढ़ने वाले बच्चे कम से कम अपना और अपने स्कूल का नाम लिखना जरूर सीख जाते लेकिन स्थिति यह है कि शिक्षकों को कभी मध्यान भोजन बनाने भेज दिया जाता है तो कभी पानी भरने। अभी तक यही सरकार तय नहीं कर पाई है कि शिक्षक का वास्तविक कार्य क्या होगा। ऐसे में राज्य के नौनिहालों का भविष्य आज भी अधर में अपना वजूद तलाश रहा है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह ने बताया कि इस वर्ष परीक्षा लेने की पद्धत्ति में बदलाव किया गया है अब राज्य स्तर पर एक साथ एक समय मे परीक्षा होना है अभी जो परीक्षा हुई उसमे प्रतिदिन अलग अलग विषय का पेपर डाउनलोड कराकर बच्चो से लिखित परीक्षा लिया गया गाँव मे ना तो नेट नियमित रहता है एवं ना ही सभी स्कूल में प्रिंटर है एवं सभी शिक्षकों के पास स्मार्ट फ़ोन भी नही है फिर कैसे परीक्षा कार्य सफल हो पायेगा इस पर उच्च कार्यालय को ध्यान देना था प्राथमिक शाला के कक्षा पहली एवं दूसरी का तो एप्प में ही परीक्षा लेना है जो प्रथम दिवस कुछ ही विद्यालय में हो पाया अब सोचनीय विषय है कि दुरस्त अंचल में जहाँ टॉवर नही है वहा कैसे सम्भव हो पायेगा ।नेट खर्च शिक्षक मैनेज कर भी ले तो सभी शिक्षको के पास स्मार्ट फोन कैसे हो पायेगा एवं सभी शिक्षक कैसे स्मार्ट फोन से कार्य कर पाएंगे ।

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