प्रदेश में अभी वर्तमान में कई जगह 44 डिग्री से भी ऊपर तापमान रिकॉर्ड किया गया है ऐसे में स्कूल संचालन होने से पालको एवं बच्चों को परेशानी हो रही थी।भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के अधिकांश जिलों के कलेक्टर द्वारा छात्रों के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए जिले के समस्त शासकीय,अशासकीय शालाओं में अवकाश घोषित करने संबंधी आदेश जारी किया गया है।
दूसरी ओर मुंगेली जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी किया है कि जिले के स्कूलों में 1 मई से दसवीं और बारहवीं की कक्षाएं लगाई जाएंगी। जिला शिक्षा अधिकारी मुंगेली ने सभी प्राचार्यो शासकीय हाई स्कूल/हायर सेकेंडरी स्कूलों को 1 मई 2019 से शाला में होने वाले अध्यापन संबंधी निर्देश जारी किए हैं।जिसमें कहा गया है कि 1 मई से सभी शासकीय शालाओं में ग्रीष्मकालीन अध्यापन किया जाना है।
प्रदेश के अधिकांश जिलों में जहां भीषण गर्मी के कारण अवकाश घोषित किया जा रहा है वहीं मुंगेली जिले में अलग स्थिति दिखाई दे रही है।अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रदेश के अधिकांश जिलों में गर्मी पड़ रही है वहीं मुंगेली जिले में अभी तापमान सामान्य है जबकि आए दिन पत्र पत्रिकाओं में प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी की खबरे प्रकाशित हो रही है। मुंगेली जिले में तानाशाही का आलम यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने बच्चों की शतप्रतिशत उपस्थिति की सारी जिम्मेदारी शिक्षकों एवं प्राचार्यों को दे दी है।अब इस गर्मी में यदि पालक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते या बच्चे स्वयं स्कूल नहीं आना चाहते तो इसमें शिक्षक क्या कर सकता है।
ग्रीष्म कालीन अवकाश ऐसे ही नहीं दिया जाता हम सभी जानते हैं कि कर्क रेखा का छत्तीसगढ़ के उपरी हिस्से के कुछ जिलों से होकर गुजरने के कारण उन जिलों में अत्यधिक तापमान बढ़ने के साथ ही छत्तीसगढ़ के बाकी जिले भी ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक तापमान से प्रभावित होते हैं जिस कारण ग्रीष्मकालीन अवकाश प्रदान किया जाता है ताकि बच्चे गर्मी से होने वाले रोगों से बच सकें।
इस विषय में शिक्षक नेता प्रदीप पांडेय ने ग्रीष्म कालीन अवकाश में समर क्लास लगाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि
समर क्लास के नाम पर बच्चों की ग्रीष्म कालीन अवकाश छीनकर शासन बच्चों के बचपन और बचपन के आनंद के साथ खिलवाड़ कर रही है।यह पूर्णतः औचित्यहिन है।एक ओर जहां मई जून के महीने में सुबह से ही गर्म हवाएं चलने लगती है तो दूसरी ओर प्रदेश में शादी विवाह का मौसम भी होता है ऐसे में बच्चों का समर क्लास में आना नहीं के बराबर होता है।गिनती के बच्चों के साथ समर क्लास चलना बस खाना पूर्ति बन के रह जाएगी। हमें आज भी याद है कि कैसे हम पूरे वर्ष भर गर्मी की छुट्टियों का इंतजार करते थे तरह तरह के कार्यक्रम बना के रखा करते थे जो आज भी बचपन के मीठी यादों के रूप में हमारे मन मस्तिष्क को रोमांचित कर देता है।आज भी बच्चे गर्मी की छुट्टियों का इंतजार करते हैं किसी को शादी में जाना है तो किसी को नानी नाना,बुआ मौसी के घर जाना है।ऐसे में अचानक समर क्लास लगाने का निर्णय मासूम बच्चों के साथ एक तरह से अत्याचार है।इस सबमें जो सबसे लाचार और असहाय प्राणी कोई है तो वह है शिक्षक जिसे ना तो गर्मी में लू का खतरा होता है ना ही ठंड में ठंड लगती है और ना ही वे बारिश में भीगते हैं।जब जहां चाहे उन्हें काम में लगा दिया जाता है। प्रदीप पांडेय ने कहा कि इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।