रायपुर 19 जुलाई 2018। प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षाकर्मियों का संविलियन तो कर दिया गया है और उसकी प्रक्रिया भी लगभग पूर्णता की ओर है लेकिन अभी भी वर्ग 3 के शिक्षा कर्मियों की वेतन विसंगति समाप्त नहीं हो पाई है ऐसे में लगभग 80000 वर्ग 3 सहित शिक्षक पंचायत एवं व्याख्याता पंचायत असंतुष्ट नजर आ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पंचायत सचिवों के छठवें वेतनमान निर्धारण के संबंध में आदेश जारी किया गया है।
पंचायत विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि वर्तमान प्राप्त वेतन को वेतन पुनरीक्षण अधिनियम के अनुसूची 2 के आधार पर वेतन का निर्धारण किया जाना है जो कि नियमों के अनुकूल है।
जबकि शिक्षक पंचायत संवर्ग को 01-05-2013 से छठवें वेतनमान के लाभ संबंधी आदेश जारी किए गए थे जिसमें वेतन पुनरीक्षण अधिनियम के अनुसूची 2 के आधार पर वेतन निर्धारण नहीं किया गया था।
शिक्षक पंचायत संवर्ग का वेतन निर्धारण अधिनियम के प्रारंभिक वेतन पर कर दिया गया था जिससे कनिष्ठ और वरिष्ठ शिक्षक पंचायत संवर्ग का वेतन लगभग एक समान हो गया।
अब चुकी 30 जून की स्थिति में प्राप्त वेतनमान पर सातवें वेतनमान का निर्धारण करने के आदेश शिक्षा विभाग के द्वारा जारी किया गया है ऐसे में प्रदेश के अधिकांश शिक्षक पंचायत संवर्ग जो 30 जून की स्थिति में वेतन प्राप्त कर रहे हैं वही विसंगतिपूर्ण है।
ऐसे में विसंगतिपूर्ण वेतन के आधार पर ही सातवें वेतनमान का लाभ मिलने से पुनः विसंगतिपूर्ण वेतन का निर्धारण हो रहा है।
ऐसे में सरकार को चाहिए की 2013 के वेतन निर्धारण में जो विसंगति पंचायत विभाग के द्वारा की गई थी उसे सुधार कर ही सातवें वेतनमान का लाभ देने से शिक्षाकर्मियों में व्याप्त वेतन विसंगति कुछ हद तक दूर किया जा सकता है।
शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रांतीय संचालक संजय शर्मा ने पंचायत विभाग से मांग किया है कि 2013 में पुनरीक्षित वेतनमान के आदेश जो जारी किए गए थे उसमें हुए त्रुटि को सुधार कर वेतन पुनरीक्षण अधिनियम के अनुसूची दो के आधार पर वेतनमान का निर्धारण करते हुए सातवें वेतनमान का लाभ प्रदान करने एवं वेतन विसंगति को दूर करने के लिए संशोधित आदेश जारी किया जावे।
