बिलासपुर। स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया में अब कानूनी अड़चन आने की संभावना बढ़ गई है। प्रदेश में व्याख्याताओं की पदोन्नति के लिए विभागीय प्रक्रिया शुरू करने के खिलाफ शिक्षाकर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। याचिका में 23 साल से कार्यरत शिक्षाकर्मियों (अब शिक्षक एलबी संवर्ग ) को भी पदोन्नति देने की मांग की गयी है। मामले में शासन से हाईकोर्ट ने जवाब माँगा है।
उच्चतर माध्यमिक स्कूल प्राचार्य पद पर पदोन्नति के लिए शासन बनाये है , इसके मुताबिक दस प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती होनी है। इसके लिए विभागीय परीक्षा होगी और इसमें 5 साल शिक्षकीय कार्य करने वाले शिक्षक एवं शिक्षक एल बी संवर्ग शामिल हो सकते है। इसी तरह 25 प्रतिशत पदों पर प्रधान पाठकों पदोन्नत किया जाना है। शेष 65 फीसदी पदों पर विभागीय पदोन्नति दी जानी है। इस 65 प्रतिशत पदों में 70 फीसदी पुराने नियमित व्याख्याता व शेष 30 प्रतिशत पदों पर एलबी व्याख्यता को पदोन्नत करना है ,लेकिन शिक्षा विभाग ने 23 साल बाद भी शिक्षाकर्मियों को पदोन्नति नहीं दी है , वही अब पुराने नियमित व्याख्याताओं को पदोन्नति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए उनसे सीआर एवं चल अचल संपत्ति की जानकारी मांगी जा रही है।इधर शिक्षक एलबी संवर्ग के शिक्षकों द्वारा लगातार पदोन्नति की मांग की जा रही है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने से विभागीय पदोन्नति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। एलबी संवर्ग के शिक्षक राजेश शर्मा सहित अन्य शिक्षकों ने वकील अनूप मजूमदार से याचिका दायर की है। याचिका में नियमित व्याख्याताओं के पदोन्नति में रोक लगाने सहित पदोन्नति प्रक्रिया में एलबी संवर्ग शिक्षकों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है।
प्रारंभिक सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी ने राज्य शासन से जवाब माँगा है , इधर शासन जवाब दिया है की शिक्षक एलबी संवर्ग हेतु अलग से पद रिक्त है। विस्तृत जानकारी शासन से समय माँगा है। कोर्ट ने 23 नवम्बर से सुनवाई होने में जवाब प्रस्तुत निर्देश दिए है।
शिक्षक एल बी संवर्ग के मांग जायज – जिस प्रकार से शिक्षक एलबी संवर्ग पिछले 23 सालों से एक ही पद पर कार्य कर रहे है , और जिस प्रकार से उन्हें पदोन्नति प्रक्रिया से बाहर किये है समझ से परे है। पदोन्नति नहीं होने से सबसे ज्यादा नुकसान सहायक शिक्षक एलबी संवर्ग को हो रहा है क्योंकि वेतन विसंगति के मार के साथ – साथ पदोन्नति से 23 सालों से वंचित है।