रायपुर। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजीद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, प्रदेश सचिव मनोज सनाढ्य, प्रदेश कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा है कि 2 वर्ष से अधिक सेवा के बाद वेतन में अंतर है तो वेटज निर्धारण की मांग न्यायसंगत है।
एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में 2 वर्ष से अधिक सेवा के बाद वेतन के स्तर में अंतर है, अर्थात वेतन अधिक है। 2, 4, 6, 8 10 वर्ष के सेवा अवधि के वेतन वाले शिक्षको का वेतन क्रमशः अधिक है, हालांकि 8 वर्ष के बाद संविलियन हो चुका है, किन्तु संविलियन नही हुए शिक्षको के वेतन में भी सेवा अवधि अनुसार वेतन में अंतर है।
अब जब 2 वर्ष की सेवा वाले शिक्षको का जुलाई 2020 में संविलियन का निर्णय लिया गया है, ऐसे में अधिक वेतन वाले शिक्षको को वेतनवृद्धि देना न्यायसंगत है, या जिस वेतन में है, उसके आधार पर वेतन निर्धारण जरूरी है।
अधिक सेवा के लिए वेटेज का प्रावधान नही होने से वेतन विसंगति बढ़ेगा।*
सहायक शिक्षक के वेतन विसंगति की बात तो शिक्षा कर्मी सेवा से पूर्व की संरचना है, जो शासन व शिक्षा विभाग की बड़ी विसंगति है,,वेतन विसंगति दूर करने एक स्वर से आवाज उठाना जरूरी है।
जो शिक्षक साथी कहते है कि विसंगति पर प्रश्न नही उठाया गया, उन्हें स्मरण करना चाहिए 2012-13 का 38 दिन का हड़ताल, जिसमे 8 वर्ष सेवा पूर्ण करने पर शिक्षक समतुल्य वेतनमान का आदेश दिया गया,,इसी समय 40 हजार शिक्षक बर्खास्त व निलम्बित थे, जिनकी बहाली हुई,,आरोप लगाना एक बात है, शिक्षक को सेवा में वापस लाना पहली प्राथमिकता होती है।
हड़ताल शिक्षक संघर्ष समिति द्वारा किया गया था, जिसमे संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, केदार जैन, विकास राजपूत, चंद्रदेव रॉय, कृष्ण कुमार नवरंग, रंजीत बनर्जी, आकाश झा शामिल थे,,,1 वर्ष की सेवा के लिए 1 वार्षिक वेतनवृद्धि की चर्चा मुख्य सचिव सुनील कुमार ने की थी,,पर आदेश में 2 वर्ष के लिए 1 वार्षिक वेतन वृद्धि हो गया,, *यही से शिक्षक संवर्ग की वेतन विसंगति बढ़ता गया,,कुछ साथियो को समयमान व कुछ को क्रमोन्नति वेतनमान भी मिल गया था,,पर शिक्षक समतुल्य वेतनमान में न्यूनतम के आधार पर वेतन का निर्धारण हुआ, जिससे प्रतिमाह 6 से 10 हजार वेतन का नुकसान हुआ, जिसका तात्कालिक समय मे भी विरोध किया गया था।
2017 का हड़ताल शिक्षक मोर्चा के बैनर में था, जिसमे संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, केदार जैन, विकास राजपूत, चंद्रदेव रॉय के नेतृत्व में हुआ, जिसमे हड़ताल वापस लिया गया,,,और उम्मीद थी कि निर्णय होगा, और अंततः 8 वर्ष की सेवा पर संविलियन का निर्णय हुआ।
कोई नही चाहता कि वर्ष बंधन कर लाभ मिले, सभी को लाभ मिले तो किसी को भी आपत्ति नही होती,,,हां, यह सही है कि जिसकी सेवा अधिक होती है, उसे वेटेज का अधिकार होता है,, याद रखिए हड़ताल खत्म होता ही है, और निर्णय उसके बाद ही लिए जाते है, जो शासन द्वारा एकतरफा ही होता है,,और बड़े हड़ताल के समाप्त होने पर वेतन विसंगति रहने पर पुनः साथी एकजुट नही हो पाते,,क्योकि हड़ताल तो शिक्षको पर ज्यादती व कार्यवाही होने पर ही खत्म होता है।
वर्तमान में पुनः 2 वर्ष से अधिक सेवा के लिए वेतनवृद्धि नही दिया गया तो वेतन विसंगति स्वाभाविक होगी, अतः एकजुट होकर वेतन विसंगति को दूर करने पहल जरूरी है, तात्कालिक समय मे हमने हमेशा पहल किया, पर शासन ने निर्णय नही लिया, इससे वेतन विसंगति बढ़ती गई, *पहचान लीजिए कौन है जो 2 वर्ष से अधिक सेवा के लिए भी एक समान न्यूनतम वेतनमान चाहते है, उन्ही लोगो को विसंगति की आवाज बुरी लगती है।