कबूतरगिरी क्यो,?बे इरादा नजर मिल गई तो….पर नही बदल तो शिक्षक विभाग…. शिक्षकों की समस्याओंं  पर विशेष लेख….जरूर पढ़ें

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स्वाभाविक तौर पर यह लगता है, शिक्षक संवर्ग समाज को दिशा देते है, उनके उजले पक्ष को सभी देखते है, पर उनके स्याह पक्ष को समकक्षी ही समझ पाता है, प्रदेश में ऐसी कोई सेवा नही जहाँ 23 साल से क्रमोन्नति नही मिला हो, पदोन्नति के अलग पद होने के बाद भी पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग से शासकीय निर्देश व पहल नही हो रहा है।

पीढ़ी बनाने वाले सहायक शिक्षक व शिक्षक संवर्ग की वेतन विसंगति दूर नही हुआ, जबकि इस संवर्ग की विसंगति को प्रभावी वर्ग ने स्वीकार भी किया था, गलत वेतन निर्धारण व क्रमोन्नति के उदाहरण दिए जाने पर शिक्षा विभाग द्वारा रिवाइज्ड एल पी सी के निर्देश दिए गए पर “ढांक के तीन पात” नई एल पी सी जारी नही हुआ।

बाजार आधारित नई पेंशन स्कीम में 50,640 रुपये के अंतिम वेतन में 782 रुपये मासिक पेंशन की व्यवस्था है, यह सभी का होगा, आपको 1200 से 1440 मिल जाएंगे, रिटायर होने पर यही राशि आपके घर खर्च, शिक्षा व दवा के लिए होगा, कल्पना कीजिए कितनी भयावह स्थिति होगी जब महंगाई और बढ़ेगी, क्या यह पेंशन कोई सहारा होगा,?

पं/ननि व एल बी संवर्ग साथियो के परिजन अपने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए चौखटे गिनकर 5 वर्ष से थक गए, महंगाई भत्ता 2 साल से सीलबंद है, 2 वर्ष में संविलियन – तो अतिरिक्त सेवा अवधि के लिए लाभ का निर्धारण सिद्धांततः पुष्ट है।

हमे लगता है अभी सेवा लंबी है, पुरानी पेंशन की बात बेकार है, ये तो सभी कर्मचारियो की मांग है, क्रमोन्नति की बात होनी चाहिए, 4 साल में रिटायर होने वाला हर सुबह दिन गिनती कर बोल रहा है कि मैं 900 के पेंशन में ही रिटायर हो न जांऊ, केवल इसी के लिए सरकार सहमत हो जाए, तो जीवन धन्य हो जाएगा,,केवल अपने लिए सोचकर बरगलाना कबूतरबाजी और कबूतरगिरी है।

सूबे का सिपाही हवलदार बन गया, पीएचई में रामलाल बड़े बाबू बन गए, पीडब्लूडी के सब इंजीनियर जिला प्रमुख हो गये, पर नही बदला तो शिक्षा विभाग,,, 22 हजार प्राथमिक शाला में 15 वर्ष से प्रधान पाठक नही है, हमने सुना है यहां प्रमोशन नही होता।

लोक शिक्षा तो दिखाने के लिए है, व्यवस्था तो जरूरी व उच्च पद के लिए बनते है, नियम कायदे भी सहूलियत से तय हो जाता है, अभी अभी साहब का आदेश है कि शिक्षा विभाग में भी पदोन्नति होगी, आप चौकन्ना रहकर देखते रहिए, क्या आपकी जानकारी मंगाई गई, आपके लिए पद की व्यवस्था अलग से है, पर विभाग का कायदा है, सगा – सौतेला।

क्रमोन्नति ही नही होना शोषण है, पद अलग होते हुए पदोन्नति नही देना अन्याय है और 23 वर्ष की सेवा के बाद नई पेंशन देकर 782 रुपये तय करना भेदभाव है, क्योकि इतनी ही अवधि की सेवा कर पुरानी पेंशन में 28000 मासिक पेंशन प्राप्त हो रहा है।

शिक्षा विभाग में शिक्षको से समानता का व्यवहार नही व पूर्ण अधिकार नही, इसीलिए हम शोषण, अन्याय व भेदभाव की खिलाफत में 2 अक्टूबर को सत्याग्रह संदेश के लिए आपको अपील नही कर रहे है, बल्कि आईना दिखाकर आपको भी तैयार कर रहे है, क्योकि हम तो तैयार है।

फिर भी शिक्षा विभाग के लिए यही तराना है –

*बे इरादा नजर मिल गई तो,*
*मुझसे दिल वो मेरा मांग बैठे,*

*कैसे संभलेगा इनसे मेरा दिल,*
*हाय नादान ये क्या मांग बैठे,?*

संजय शर्मा✍️
प्रदेश अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन
मो. 9424174447

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