“अतिशेष के नाम पर शिक्षकों की प्रताड़ना बन्द हो, 2009 का न्यूनतम दो-एक का सेटअप तत्काल लागू करे राज्य सरकार”—‘जाकेश साहू’

0
1027

‘रायपुर’। शिक्षाकर्मी वर्ग 03 नेता एवं ‘छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन’ के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने राज्य सरकार से मांग की है कि प्रदेश में अतिशेष के नाम पर शिक्षकों की प्रताड़ना तत्काल बन्द होनी चाहिए अन्यथा प्रदेश के 1,09,000 शिक्षाकर्मी वर्ग 03 स्कूलों में पढ़ाना छोड़ सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
जाकेश साहू ने सभी प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दिए बयान में कहा कि सरकार 2009 में स्वीकृत शिक्षा विभाग का सेटअप तुरन्त लागू करें।
2009 में राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग का सेटअप लागू किया था जिसके तहत राज्य के प्रत्येक प्राथमिक शालाओं में न्यूनतम दो-एक का शिक्षक स्टॉप होगा अर्थात एक प्रधान/प्रभारी पाठक एवं दो सहायक शिक्षक/एलबी/पंचायत संवर्ग। साथ ही दर्ज संख्या के आधार पर शिक्षकों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
इसी सेटअप के आधार पर स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति बड़े पैमाने पर की गई थी परंतु दुर्भाग्य यह है कि बाद में इस सेटअप का पालन ही नहीं किया गया बल्कि प्रत्येक प्राथमिक स्कूलों में दो-एक का न्यूनतम शिक्षक स्टॉप न रखकर मात्र दो शिक्षकों का स्टॉप रखा गया।
राज्य शासन द्वारा 2009 के शिक्षा विभाग के उक्त सेटअप का पालन नहीं करने के कारण ही प्रदेश के सभी जिलों व ब्लाको में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की संख्या अतिशेष हो गई। बाद में इन अतिशेष शिक्षकों को जबर्दस्ती यंहा-वँहा, जंहा-तँहाँ कंही भी भेजा गया। यह प्रक्रिया एक बार नहीं बल्कि कई बार की गई। कई शिक्षकों को तो दूसरे जिले एवं ब्लाको में भेजा गया।
आज भी प्रत्येक वर्ष अतिशेष के नाम पर हजारों शिक्षकों को बेवजह प्रताड़ित किया जाता है जो बिल्कुल ही गलत, अनुचित व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।
‘फेडरेशन’ के प्रदेश संयोजक जाकेश साहू ने राज्य सरकार से मांग की है कि सरकार तत्काल 2009 का सेटअप प्राथमिक शालाओं में लागू करे जिसके तहत सभी प्राथमिक शालाओं में न्यूनतम दो-एक का स्टाफ होगा तथा जिससे कोई भी शिक्षक अतिशेष नहीं होगा।
चूंकि प्राथमिक विद्यालयों में एक से लेकर पांच तक अर्थात 5 कक्षाए होती है ऐसे में 5 कक्षाओ के लिए मात्र दो शिक्षक किसी भी स्थिति में ऊँचीत व सही नहीं है।
पहले स्कूल के संचालन के लिए प्रत्येक प्राथमिक शालाओं में एक प्रधानपाठक होते थे जो स्कूल का पूरा व्यवस्था सम्भालते थे लेकिन आज की स्थिति में 70 % प्रतिशत स्कूलों में प्रधानपाठक नहीं है। राज्य सरकार को चाहिए कि स्कूलों में अतिशीघ्र ही प्रधान पाठकों की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर करें। 2009 के सेटअप के आधार पर प्रत्येक स्कूल में एक प्रधानपाठक सहित दो अन्य सहायक शिक्षक/एलबी/पंचायत संवर्ग हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.