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राज्य के दो लाख शिक्षकों को मिलेगा प्रशिक्षण…प्रशिक्षण कार्यक्रम में बड़ा बदलाव…स्कूल से राज्य स्तर तक सीखने के परिणामों की  निगरानी के लिए मूल्यांकन केन्द्र स्थापित

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रायपुर, 21 अगस्त 2019। राज्य के शासकीय स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार और आधुनिक पढ़ाई करने के लिए दो लाख शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों के शासकीय स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए योजना बनाई है। इसके लिए निष्ठा (नेशनल इनिसिएटिव ऑन स्कूल टीचर हेड हॉलीस्टिक एडवांसमेंट) नाम से पोर्टल भी तैयार किया गया है। 

राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को समान रूप से बेहतर बनाने के लिए शिक्षक अभ्यास और मूल्यांकन में मानकों की आवश्यकता है। स्कूल से राज्य स्तर तक सीखने के परिणामों की निगरानी करना है। इस दृृष्टि से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के तहत एक मूल्यांकन केन्द्र स्थापित किया गया है जो पाठ््यक्रम सुधार की धुरी बन जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा छत्तीसगढ़ में इस केन्द्र की स्थापना और संचालन के लिए 48 करोड़ रूपए की मंजूरी प्रदान की है।
स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव श्री गौरव द्विवेदी ने 5 दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला के उदधाटन अवसर पर मूल्यांकन केन्द्र के उद््देश्य बताते हुए कहा कि राज्य के प्रत्येक बच्चे के पास शिक्षा के सर्वोत्तम संसाधनों तक पहुंच के साथ सीखने के समान अवसर होने चाहिए। यह अवसर केवल शहरी क्षेत्रों के स्कूलों तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि ग्रामीण और दूर दराज के क्षेत्रों तक भी पहुंचे। श्री द्विवेदी ने कहा कि आने वाले दिनों में यह मूल्यांकन केन्द्र सामान्य मानकों का विकास करेगा, जो राज्य में बेहतर शैक्षिक परिणामों के लिए शिक्षक प्रशिक्षण सामग्री, अध्ययन सामग्री, कक्षा अभ्यास और मूल्यांकन को रेखांकित करेंगा।
मूल्यांकन केन्द्र कक्षा स्तर पर शिक्षक अभ्यास के लिए मानक बनाएगा, जिसमें पाठ योजना, शिक्षण रणनीति, योग्यता आधारित शिक्षण परिणाम रूपरेखा, फॉर्मेटिव और योगात्मक आकलन से मूल्यांकन, प्रश्न पत्र, प्रशिक्षण कार्यक्रम जो कक्षा की आवश्यकता का ध्यान में रखते हुए डिजाइन और वितरित किए गए है। इसके साथ ही चुनौतियां, रिर्पोट कार्ड, मूल्यांकन कार्यक्रम और अनुसंधान के कार्य भी होंगे।
मूल्यांकन केन्द्र के लिए आधार को राज्य स्तरीय मूल्यांकन के साथ रखा गया था, जो इस वर्ष सभी विषयों के लिए कक्षा-1 से 8 तक की वार्षिक परीक्षा एक साथ सभी शासकीय स्कूलों में आयोजित की गई। यह पहल देश में अपनी तरह की अनूठी पहल थी। इससे छत्तीसगढ़ सरकार को राज्य में विद्यार्थियों और शिक्षकों में सीखने के स्तर में मदद मिलेगी।
राज्य स्तरीय आकलन के साथ राज्य ने छात्र-स्तर, कक्षा स्तर, स्कूल स्तर के साथ-साथ जिला और राज्य स्तर पर सीखने के परीणामों का डेटा विश्लेषण करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की शुरूआत की थी। इसका उपयोग विद्यार्थी सीखने में उपचारात्मक सुधार के लिए किया जाएगा। शिक्षकों के लिए अपने विद्यार्थियों के मूल्यांन डाटा तक पहुंचने के लिए स्तर और मोबाइल एप्लिकेशन, 38 हजार स्कूलों के 30 लाख विद्यार्थियों के एक करोड़ 2 लाख पेपरों का आकलन, विश्लेषण और प्रौद्योगिकी उपकरणों के साथ किया गया। आकलन से डाटा के निरंतर विश्लेषण के लिए आगे जाना होगा। मूल्यांकन उपयोग कार्रवाई अनुसंधान के लिए भी किया जाएगा, जो इस मूल्यांकन केन्द्र के तहत किया जाएगा जिसमें स्कूल शिक्षक, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के विषय विशेषज्ञ, सीटीआई और आईएसई शामिल है। यह शोध शिक्षक प्रदर्शन और छात्र सीखने के स्तर में सुधार के लिए केन्द्र में विकास और प्रशिक्षण कार्य जारी रखने के लिए साक्ष्य आधारित केस स्टडीज प्रदान करेगा। इसी प्रकार गहन शोध और विश्लेषण के परिणामस्वरूप राज्य में विद्यार्थियों और शिक्षकों की सफलता की कहानियां और उपलब्धि को समय-समय पर प्रलेखित और साझा किया जाएगा। यह शिक्षा प्रणाली में सभी हितधारकों को प्रेरित करने में मदद करेगा।
इस अवसर पर संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद श्री पी दयानंद, संयुक्त सचिव स्कूल शिक्षा श्री सौरभ कुमार अतिरिक्त संचालक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद श्रीमती सुनीता जैन, आकलन समिति के सदस्य, आकलन प्रकोष्ठ के सदस्य और जिला शिक्षा अधिकारी एवं शासकीय शिक्षा महाविद्यालय से विषयवार शिक्षक उपस्थित थे। कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा केन्द्र की गतिविधियों का प्रबंधन और संचालन, राज्य के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, समग्र शिक्षा, राज्य सूचना विज्ञान केन्द्र, लोक शिक्षण संचालनालय और मूल्यांकन विशेषज्ञ भी उपस्थित थे। विषय विशेषज्ञ श्रीमती पूनहानी, डॉ. नीना झा, श्रीमती चारू मल्होत्रा, श्री अजय कुमार, श्रीमती श्रुती शर्मा, श्री आनंद प्रकाश, प्रमुख डोमेन विशेषज्ञ श्री सोमशेखर ने प्रशिक्षण दिया।

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