कंगाली की कगार पर प्रदेश के संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मी….किसी को तीन, तो किसी 4 महीने से नहीं मिली पगार….सबसे बुरा हाल नगरीय निकाय के शिक्षाकर्मियों का….सब पूछ रहे हैं सवाल- कैसे मनेगा तीजा…कैसे गुजरेगी राखी का त्यौहार

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राजनांदगांव-इस त्योहार भी शिक्षाकर्मी के घर विरानी होगी ?… इस तीजा भी शिक्षाकर्मी भाई अपनी बहन को तोहफा नहीं दे पायेगा !…इस गणेश पूजा भी शिक्षाकर्मियों के घर पकवान नहीं बनेगा ! ना राखी पर मुंह मीठा होगा, ना ही नये कपड़े मिलेंगे !….ये सुनना जितना शर्मनाक है, सोचिये शिक्षाकर्मी परिवारों के लिए ये दर्द कितना दर्दनाक होगा, जिनके घर तीन-तीन महीनों से पगार नहीं आयी है। घर का राशन जुगाड़ से चल रहा है….…तंगहाली में जिंदगी कट रही है।
संविलियन से वंचित शिक्षाकर्मी की जिंदगी अभी भी कंगाली में गुजर रही है। सबसे बुरा हाल नगरीय निकाय के अधीन पदस्थ शिक्षाकर्मियों का है, जिनका तीन से चार महीने का वेतन बकाया पड़ा है। पंचायत विभाग के भी शिक्षाकर्मियों का हाल बुरा है, लेकिन नगरीय निकाय की स्थिति ज्यादा खराब है। जहां प्रदेश के हजारों शिक्षाकर्मियों का तीन-तीन…चार-चार महीने से वेतन बकाया पड़ा है।

शिक्षाकर्मियों के लंबित वेतन भुगतान पर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री संजय शर्मा ने तीखी आपत्ति दर्ज करायी है।राजनांदगांव जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा प्रवक्ता देवेंद्र साहू ने कहा है कि
“पूरे प्रदेश के अलग-अलग ब्लॉक से वेतन को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही है कहीं 4 महीनों का वेतन लंबित है तो कहीं 3….. स्थानीय स्तर पर और प्रदेश स्तर पर भी अधिकारियों को इस विषय से अवगत कराया जा चुका है बावजूद इसके आबंटन के अभाव में वेतन भुगतान नहीं हो पाया है । पंचायत और नगरीय निकाय के शिक्षाकर्मी अपने ही वेतन के लिए अधिकारियों के सामने गुहार लगाने को मजबूर हैं । और यही हाल प्रदेश के सभी जिले व ब्लॉक में है, जिन शिक्षको का संविलियन नही हुआभ, वे दंश झेल रहे है, चाहे लाख दावे किए जाए लेकिन सच्चाई यही है कि जब तक ट्रेजरी से वेतन की व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक यही स्थिति बनी रहेगी इसीलिए प्रदेश के शिक्षाकर्मी सम्पूर्ण संविलियन की मांग कर रहे थे पर दिया भी गया तो वो भी 1जुलाई 2020 के जगह 1 नवम्बर 2020 में ही होगा।

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