वेतन-भत्तों में कटौती राज्य सरकार वापस लें अपना निर्णय

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राजनांदगांव– सरकारी कर्मचारियों के लिए यह जरूरी सूचना है। कोरोना वायरस का कर्मचारियों की नौकरी, तरक्की , प्रमोशन सब पर असर पड़ा है। राज्य सरकार ने कोरोना के कारण प्रदेश में राजस्व की कमी आई है,इसके चलते आज राज्य सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। प्राप्ता जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों व अधिकारीयों के इन्क्रीमेंट (वेतन वृद्धि) पर एक साल के लिए रोक लगा दी है और ये आदेश आगामी आदेश तक जारी रहेंगे हालाँकि 1 जनवरी 2020 और 1 जुलाई 2021 से पूर्व सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय कर्मचारियों पर लागु नही होगा इसके साथ ही पदोन्नति,क्रमोंन्नती के फलस्वरूप देय एरियर्स राशी के भुगतान पर रोक लगा दिया है कोरोना की लड़ाई के नाम पर राज्य कर्मियों के वेतन-भत्तों में भारी कटौती करने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है। इस निर्णय के विरोध में छत्तीसगढ़ के कर्मचारी संगठन ने भी सरकार के निर्णय का विरोध किया है। आने वाले दिनों में राज्यों के कर्मचारी संगठन इसके खिलाफ आवाज उठाने की बात कर रही है। और उम्मीद की है कि सरकार अपने इस फैसले को वापस ले या उसमें संशोधन कर दे।
वेतन-भत्तों पर कैंची चलाने से पहले कर्मियों से सलाह लेनी चाहिए थी।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गुप्ता,जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा,जीवन वर्मा, हंस मेश्राम, चन्द्रिका यादव,देवेन्द्र साहू, राजेश राजपूत,मनोज वर्मा, कमलेश्वर देवांगन,ललिता कन्नौजे,पंचशीला सहारे,राजकुमारी जैन ने कहा है कि देश व् राज्य का हर सरकारी कर्मचारी आज कोरोना की लड़ाई में अपना योगदान दे रहा है। राज्य सरकार को अपने कर्मियों के वेतन-भत्तों पर कैंची चलाने से पहले उन्हें विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने आगे बताया की हम सबने एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष फंड में जमा कराया है। कई विभागों में कर्मियों ने अपनी इच्छानुसार राशि भी दान की है। अब इनकी सेलरी या भत्ते काटकर इन्हें परेशान नहीं करना चाहिए। कई विभागों के कर्मियों ने अपने अपने तरीके से जरूरतमंद लोगों की मदद की है। कोरोना की लड़ाई में राज्य के कर्मचारियों को गली मुहल्लों में आम जनता को मुफ्त राशन , फ्री मास्क व पीपीई किट और दवाइयां बांटते हुए देखा जा सकता है। कामगारों और मजदूरो की मदद करने के लिए इन कर्मचारियों की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। कोविड -19 के संक्रमण के बचाव हेतु लागू देशव्यापी लॉक डाउन के कारण राजस्व प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का हवाला देते हुए राजस्व प्राप्ति की भरपाई कर्मचारियों के इंक्रीमेंट रोकना सर्वथा अनुचित तथा असहनीय है।

मुश्किल वक्त में राज्य कर्मचारियों के वेतन भत्तें कटौती का फैसला गैरजरूरी
छतीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा, प्रवक्ता देवेन्द्र साहू ने कहा कि शासन के पास राजस्व प्राप्ति के अन्य माध्यम भी है उनका उपयोग सरकार को करना चाहिए। कोरोना संक्रमण काल मे निम्न वर्ग को विभिन्न प्रकार के लाभ व सुविधाएं दी जा रही है, वही उद्योग, व्यापार के लिए सहायता का पैकेज जारी किया गया है, तो कर्मचारियो के हिस्से में वर्ष में एक बार वेतनवृद्धि का समय आता है, उस पर रोक लगाने से महंगाई के दौर में उनके परिवार की व्यवस्था बिगड़ जाएगी, आखिर सरकार कर्मचारियो के लिए ऐसे कठोर निर्णय कैसे ले सकती है? इसके बावजूद राज्य भर के समस्त कर्मचारियों के वेतन भत्तों पर कैंची चला दी गई। राज्य सरकार का यह फैसला पूरी तरह गलत है। सरकार को समय रहते वेतन भत्तों में कटौती की आदेश वापस लेनी चाहिए। मुश्किल वक्त में राज्य के कर्मचारियों की डीए कटौती का फैसला सही नही है राज्य सरकार से निवेदन है कि कोरोना जैसी महामारी के मुश्किल वक्त में राज्य कर्मचारियों में वेतन भत्तों में कटौती का फैसला थोपना उचित नहीं है। सरकार को वेतन भत्ते में कटौती से परे फिजूलखर्ची वाली योजनाओं पर रोक लगानी चाहिए। छत्तीसगढ शासन द्वारा कर्मचारियों एवं अधिकारियों के इंक्रीमेंट पर लगाई गई रोक के विरोध में आवश्यक चर्चा एवं रणनीति बनाने के लिये अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के सभी घटक संगठन के प्रदेशाध्यक्ष एवं उनके प्रतिनिधियों की बैठक 28 मई 2020 गुरूवार को शायं 5 बजे स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के कार्यालय रायपुर में आयोजित की गई है।

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