रायपुर। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग व संचालक लोकशिक्षण संचालनालय, रायपुर को पत्र भेज कर व्याख्याता व प्रधान पाठक मिडिल के पदोन्नति हेतु न्यायालयीन बाधा को दूर करने तथा सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक प्राथमिक शाला व शिक्षक पद पर शीघ्र पदोन्नति करने की मांग की है।
ज्ञात हो संजय शर्मा ने पूर्व में ही सभी पदोन्नति पर विस्तृत निर्देश जारी करने की मांग की थी ताकि प्रदेश भर के पदोन्नति में एकरूपता तथा एकसाथ पदोन्नति हो किन्तु डीपीआई ने समय पर पूर्ण निर्देश जारी नही किया जिससे बस्तर व दुर्ग संभाग में ही प्रधान पाठक मिडिल पद पर पदोन्नति किया गया, रायपुर, बिलासपुर व सरगुजा संभाग में नियमानुसार त्वरित गति से शिक्षको की स्वच्छ वरिष्ठता सूची नही बनाया गया और कोर्ट से स्थगन हो गया।
एसोसिएशन के मांग के बाद डीपीआई ने vc में नियमानुसार वरिष्ठता सूची बनाने एवम पोस्टिंग के लिए अब निर्देश जारी किया है, अब एक कड़े निर्देश जारी कर सहायक शिक्षक से शिक्षक व प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद पर शीघ्र पदोन्नति किया जावे।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, डॉ कोमल वैष्णव, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा कि पूर्व में शासन द्वारा एल बी संवर्ग के शिक्षक पद पर पदोन्नति हेतु 31 जनवरी तथा प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नति हेतु 5 फरवरी तक समय सीमा तय किया गया था।
उपरोक्त समयावधि में पदोन्नति पूर्ण नही हुआ है, अतः सहायक शिक्षको का प्रधान पाठक प्राथमिक शाला व शिक्षक पद पदोन्नति शीघ्र करने कड़े निर्देश जारी किया जावे।
2, 3 जिलों को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश में कही पर सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के पद पर पदोन्नति नही हुआ है तथा प्रदेश में किसी भी संभाग में सहायक शिक्षक से शिक्षक के पद पर पदोन्नति नही हुआ है, यह आपत्तिजनक है। इस पर डीपीआई को स्पष्ट व कड़ा आदेश जारी करना चाहिए।
वन टाइम रिलेक्सेशन के तहत व्याख्याता व प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला एल बी संवर्ग के पदोन्नति प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ द्वारा आगामी सुनवाई 21 फरवरी तक रोक लगाया गया है, जिसके लिए शासन द्वारा आगामी सुनवाई के पूर्व ओआईसी नियुक्त कर स्थगन को हटवाने हेतु शासन की ओर से तत्काल पक्ष रखा जावे।