Teacher’s day special:डॉ॰ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूतनी ग्राम में, जो तत्कालीन मद्रास से लगभग 64 कि॰ मी॰ की दूरी पर स्थित है, 5 सितम्बर 1888 को हुआ था। जिस परिवार में उन्होंने जन्म लिया वह एक ब्राह्मण परिवार था। उनका जन्म स्थान भी एक पवित्र तीर्थस्थल के रूप में विख्यात रहा है। राधाकृष्णन के पुरखे पहले कभी ‘सर्वपल्ली’ नामक ग्राम में रहते थे और 18वीं शताब्दी के मध्य में उन्होंने तिरूतनी ग्राम की ओर निष्क्रमण किया था। लेकिन उनके पुरखे चाहते थे कि उनके नाम के साथ उनके जन्मस्थल के ग्राम का बोध भी सदैव रहना चाहिये। इसी कारण उनके परिजन अपने नाम के पूर्व ‘सर्वपल्ली’ धारण करने लगे थे।
डॉ॰ राधाकृष्णन एक ग़रीब किन्तु विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। उनके पिता का नाम ‘सर्वपल्ली वीरास्वामी’ और माता का नाम ‘सीताम्मा’ था। उनके पिता राजस्व विभाग में काम करते थे। उन पर बहुत बड़े परिवार के भरण-पोषण का दायित्व था। वीरास्वामी के पाँच पुत्र तथा एक पुत्री थी। राधाकृष्णन का स्थान इन सन्ततियों में दूसरा था। उनके पिता काफ़ी कठिनाई के साथ परिवार का निर्वहन कर रहे थे। इस कारण बालक राधाकृष्णन को बचपन में कोई विशेष सुख प्राप्त नहीं हुआ।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा जताई थी। यहां पढ़ें शिक्षक दिवस से जुड़ी ये 10 बातें:
1. 1962 में देश के राष्ट्रपति बने डॉक्टर राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद् और शिक्षक के रूप में दुनियाभर में जाने जाते हैं।
2.डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए।
3. डॉक्टर राधाकृष्णन के पिता उनके अंग्रेजी पढ़ने या स्कूल जाने के खिलाफ थे। वह अपने बेटे को पुजारी बनाना चाहते थे।
4. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन बेहद ही मेधावी छात्र थे और उन्होंने अपनी अधिकतर पढ़ाई छात्रवृत्ति के आधार पर ही पूरी की।
5. सर्वपल्ली राधाकृष्णन छात्रों में इतने लोकप्रिय थे कि जब वह कलकत्ता जा रहे थे, उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय से रेलवे स्टेशन तक फूलों की बग्घी में ले जाया गया था।
6. जाने—माने प्रोफेसर एच.एन.स्पेलडिंग डॉक्टर राधाकृष्णन के लेक्चर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय में उनके लिए चेयर स्थापित करने का फैसला कर लिया।
7. शिक्षा के क्षेत्र में डॉक्टर राधाकृष्णन के अभूतपूर्वthe योगदान के लिए 1931 में उन्हें ब्रिटिश सरकार ने नाइट के सम्मान से भी नवाजा।
8. वर्ष 2015-16 तक देश में कुल शिक्षकों की संख्या 42,74,206 है। इनमें राज्य सरकार और सर्व शिक्षा अभियान द्वारा नियुक्त शिक्षक शामिल हैं।
9. भारत में प्राथमिक महिला शिक्षकों की भागीदारी 2014 तक 49.49 फीसदी थी। जबकि माध्यमिक शिक्षा में यह भागीदारी 43.21 प्रतिशत थी।
10. दुनिया में सबसे ज्यादा महिला शिक्षक रूस में हैं। वर्ष 2014 में यहां 98.81 प्रतिशत प्राथमिक महिला शिक्षक थीं। इसके बाद ब्राजील (89.64%) का नंबर आता है।