संविलियन रूपी ब्रह्मास्त्र का खाका बहुत पहले ही तैयार कर लिया था शासन ने ! वास्तव में पिटारे के अंदर है क्या?

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shiksha karmi news GROUP

Exclusive:शिक्षाकर्मियों की बहुप्रतीक्षित मांग संविलियन को लेकर शिक्षाकर्मियों में बेचैनी साफ देखी जा रही है वहीं राज्य शासन शांत और सधे हुए अंदाज में संविलियन के मुद्दे पर शनै:-शनै: आगे बढ़ रही है| प्राप्त जानकारी के अनुसार जहां हाई पावर कमेटी का रिपोर्ट आज देर शाम तक मुख्यमंत्री जी को सौंपे जाने की संभावना है इस बीच जिस तरह की खबरें छनकर सामने आई है उसके अनुसार शिक्षाकर्मियों के संविलियन के लिए जो खाका तैयार किया गया है वस्तुतः वह खाका शासन ने बहुत पहले ही तैयार कर लिया था| वास्तव में केवल उसको नया रूप देकर नए ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है| नए प्रस्ताव के मुताबिक प्राप्त जानकारी के अनुसार संविलियन के लिए 8 वर्ष सेवा अवधि बंधन के साथ ही मुख्यत: प्रस्ताव में सम्मिलित सबसे अहम व मुख्य बिंदु जो होगा वह शिक्षाकर्मियों के मौजूदा विभाग पंचायत विभाग में ही संविलियन किए जाने की संभावनाओं का है जिसके अनुसार जिस तरह पंचायत निकाय में कार्यरत वर्तमान नियमित कर्मचारी जो जनपद और जिला पंचायत कार्यालयों में लिपिक संवर्ग एवं अन्य कर्मचारी जो कार्यरत हैं जिन्हें सातवां वेतनमान का लाभ हुआ तथा अन्य शासकीय कर्मचारियों को देय सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं उसी तर्ज पर शिक्षाकर्मियों को भी पंचायत विभाग में ही शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने की कवायद चल रही है इससे एक और जहां पुराने नियमित शिक्षकों के मन में जो संशय थी वरिष्ठता व अन्य मुद्दों को लेकर साथ ही व्याख्याता पदों पर सीधी भर्ती के मामले को लेकर जो कानूनी अड़चनों का बाधा दिखाई पड़ रहा था और शिक्षाकर्मी भी अपनी वरिष्ठता को खोना नहीं चाह रहे थे इन तमाम बातों का हल हर एक प्रकार से अफसरों और शासन ने इस तरह निकाला कि क्यों ना शिक्षाकर्मियों का संविलियन मौजूदा विभाग में ही कर दिया जाए जिससे शिक्षाकर्मियों को शासकीय सेवक का दर्जा भी मिल जाएगा उनकी वरिष्ठता भी कायम रहेगी और जो जिस पद में कार्यरत हैं उसी पद में ही वह शासकीय कर्मचारी कहलाए जाएंगे| इस प्रकार का रास्ता शासन ने अपनाया जिससे एक और बड़ा फायदा शासन को यह होगा कि शासकीय करण होने के बाद भी शिक्षाकर्मी पंचायत विभाग के कर्मचारी रहेंगे अतः शासन को भारत सरकार से प्राप्त होने वाली अनुदान व सहयोग राशि पूर्व अनुरूप यथावत मिलती रहेगी और यदि इसके ठीक विपरीत शासन शिक्षाकर्मियों का संविलियन शिक्षा विभाग में करती है तो उस स्थिति में राज्य शासन को दिल्ली सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि का एक बड़ा हिस्सा समाप्त हो जाएगा और समस्त वित्तीय भार राज्य शासन के ऊपर आ जाएगा जिससे भी निजात पाने का यह उपाय राज्य शासन के द्वारा ढूंढ लिया गया है| इस प्रकार देखा जाए तो जैसे पूर्व में शासन ने एक प्रस्ताव लाया था जिसमें पंचायत विभाग में ही प्रधान पाठक के पद सृजित कर नियमित प्रधानपाठक के रूप में शिक्षाकर्मियों को पदोन्नत करने की योजना बनाई गई थी लगभग उसी योजना को नया रूप देते हुए नए ढंग से संविलियन के लिए प्रस्तुत किया गया है| इस प्रकार अधिकारियों ने राज्य शासन के समक्ष हाई पावर कमेटी के माध्यम से अपनी जो रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए तैयार रखी है वस्तुतः उसका खाका वर्षों पहले ही शासन द्वारा तैयार किया जा चुका है हलाकि तकनीकी दिक्कतों की वजह से उसे लागू नहीं किया जा सका था लेकिन अब जबकि संविलियन का मन बना चुकी है सरकार तब उसने अपने पुराने फार्मूले को एक नया रूप देकर संविलियन के लिए कदम बढ़ाया है| बहरहाल रिपोर्ट आने तक सभी कुछ अटकलों व कयासों की बात है रिपोर्ट आने के बाद और घोषणा होने के बाद ही पता चलेगा कि वास्तव में पिटारे के अंदर क्या है और शिक्षाकर्मी इसे किस रूप में स्वीकार करते हैं|

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