शिक्षा ही सेवा…कोरोना काल की कहानी – संजय शर्मा….आखिर बच्चो का सवाल है

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कोरोना के बढ़ते संक्रमण में बच्चो के सीखने – सिखाने के विषय पर संयम से निर्णय लेने की आवश्यकता है, किसी भी एक डिजिटल स्पेस में 20 लाख बच्चे व 2 लाख शिक्षक की जुड़ने की बात आसान नही है, *यह ललक के साथ समर्पण व सेवा से भी जुड़ा है।*

अभी छत्तीसगढ़ सरकार ने पढ़ाई तुंहर दुआर के रूप में ऑनलाइन योजना जारी किया है, इसका लाभ कैसे और कितने को मिल रहा है, यह चर्चा का विषय हो सकता है, *किन्तु शिक्षा विभाग का बन्द स्कूल में यह सराहनीय कार्य है, कुछ नही से बेहतर है, कुछ बच्चे शिक्षण धारा से जुड़े है, क्लास के कुछ पाठ की चर्चा तो जारी है।*

शिक्षा विभाग ने *वर्चुवल क्लास, अभी गली – मोहल्ले में सामुदायिक सहायता से बच्चो की शिक्षा, लाउडस्पीकर स्कूल शिक्षा, ब्लूटूथ शिक्षा की योजना, नया मोबाइल एप से ऑफलाइन शिक्षा व कॉल सेंटर से शिक्षा योजना* को बालक व शिक्षक के स्वेच्छा से जारी रखने निर्देश दिया है, यह अग्रगामी सोच के साथ अच्छी पहल है।

टीचर्स एसोसिएशन ने कोरोना आपदा में अवसर बनाकर छात्र कल्याण व शिक्षक कल्याण की चर्चा पहले जूम एप फिर जिओ मीट, गूगल मीट, फेसबुक व वेबेक्स एप पर की, जिसमे शिक्षक कल्याण के साथ *इस दौर में बच्चो के लिए पौष्टिक भोजन, दिनचर्या, अध्ययन, शिक्षण कला, चित्रकला, पेंटिंग, वादन, गायन, स्वच्छता, कोरोना अलर्ट, स्कूल की जरूरत, कोरोना सेंटर, साफ सफाई, पुस्तके, मध्यान्ह राशन, ड्रेस – गणवेश, सायकल वितरण, छात्रवृति, शाला संचालन, काउंसिलिंग, अनुशासन व बच्चो के कॅरियर की लगातार चर्चा की है।*

शासन की ऑनलाइन बेबीनार में हजारों शिक्षक ने शिक्षा विभाग की कार्ययोजना में भाग लिया और सराहा, इसी बेबीनार में *बतौर शिक्षक, टीचर्स एसोसिएशन के सुकमा जिला अध्यक्ष आशीषराम ने नवाचार को बताते हुए 5 योजना में अपना सुझाव दिया।* हजारो शिक्षक शासन की योजना का स्वेच्छा से पालन कर ही रहे है, और आगे भी करेंगे, *धन्यवाद उन शिक्षको को जिन्होंने कोरोना काल मे शिक्षा को सेवा माना है।

कोरोना का संक्रमण विस्तार प्राप्त कर रहा है, ऐसे में सम्पूर्ण बच्चो के साथ स्कूल खोलना आपदा को और बढ़ा सकता है, चूँकि बच्चे मिलनसार होते है, साथ पढ़ते, बैठते, खेलते और संक्रमित होंगे, अतः अगस्त के अंत मे ही स्कूल खोलने की समीक्षा किया जावे, *सम्पूर्ण शिक्षक, शिक्षा विभाग की शिक्षा ही सेवा भाव मे सहभागी है,* आखिर हमारे भविष्य के नागरिक (बच्चे) का सवाल है।

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