रायपुर 2 अगस्त 2018। प्रदेश भर में संविलियन की प्रक्रिया चल रही है ऐसे में निम्न से उच्च पद में गलत तरीके से एनओसी प्राप्त करने एवं एनओसी के लिए आवेदन लंबित होने के विषय पर धड़ल्ले से लेनदेन कर noc जारी होने की खबर भी वायरल हुआ था। ऐसे में विधिवत तरीके से सामान्य प्रशासन समिति के अनुमोदन पश्चात एनओसी प्राप्त करने वाले एवं न्यायालय प्रक्रिया से लाभ प्राप्त करने वाले शिक्षाकर्मियों ने गुपचुप तरीके से फर्जीवाड़ा कर अनापत्ति प्रमाण पत्र अथवा अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए लंबित आवेदन होने के आधार पर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है किए प्रदेश भर में ऐसे हजारों प्रकरण में भारी मात्रा में लेन-देन कर लाभ पहुंचाने की तैयारी अधिकारी एवं दलाल जुटे हुए हैं। शिक्षाकर्मियों ने मांग किया है कि
क्या आवेदक द्वारा आवेदन किए गए पावती की कॉपी और उसके आवर क्रमांक की पुष्टि किया किया गया है?क्या 10 साल 8 साल 5 साल बाद आवेदक को एनओसी दिया जा सकता है?
क्या इतने सालों बाद एनओसी जारी कर संबंधी से लेनदेन कर संबंधित को लाभ पहुंचाई गई है ?
क्या ऐसा प्रतीत नहीं होता क्या छत्तीसगढ़ में हर प्रशासनिक कार्य में ऐसे ही पेंडेंसी रहती है जिसका भ्रष्टाचार के रूप में बाद में खेल खेला जाता है।
पूरे छत्तीसगढ़ में कुछ अधिकारियों ने इस मामले में पैसा लेकर जमकर फर्जीवाड़ा और सरकारी पैसों की बर्बादी किया है ।जबकि हाईकोर्ट बिलासपुर से जीते सहयोग शिक्षा कर्मियों को से वंचित रखा गया है इसके कई प्रमाण उपलब्ध है शिक्षाकर्मी ने मांग की है कि इस मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवा कर जिम्मेदार अधिकारियों और शिक्षाकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही किया जाए।
निम्न से उच्च पद के लाभ देने से वरिष्ठ शिक्षक पंचायत संवर्ग से कनिष्ठ शिक्षक पंचायत संवर्ग का वेतन हुआ अधिक जो मूलभूत सिद्धांतों के प्रतिकूल है इसे ऐसे समझें।
सहायक शिक्षक पंचायत में प्रथम नियुक्ति
A की नियुक्ति 2005
B की नियुक्ति 2010
यदि 2005 में नियुक्त सहायक शिक्षक(A)को लगातार प्रमोशन होता है तो प्रथम 7 वर्ष में (2012) मे शिक्षक पंचायत और 14 वर्ष (2019) में व्याख्याता पंचायत में पदोन्नत होता।
सहायक शिक्षक(B) 2010 से 6 साल 2016 तक सहायक शिक्षक (निम्न पद) पर रहा।
2017 में बिना अनुमति लिए या अनुमति लेकर,या केवल अनुमति के लिये आवेदन देकर वर्तमान पद से त्यागपत्र देकर व्याख्यात पंचायत(उच्च पद) बन गया।
अब जब दोनों को संविलियन का लाभ मिल रहा है तो।
2005 के नियुक्त सहायक शिक्षक (पदोन्नति के बाद शिक्षक पंचायत ही बन पाया)
जबकि 2010 के नियुक्त सहायक शिक्षक पंचायत 6 साल तक उस पद में रहकर त्यागपत्र दे दिया औऱ सीधे व्याख्याता पंचायत के पद को ग्रहण किया।
इससे 2005 के नियुक्त सहायक शिक्षक वरिष्ठ होने पर भी संविलियन के बाद वर्तमान में शिक्षक LB का वेतन पाएगा।
किंतु 2010 में नियुक्त सहायक शिक्षक पंचायत निम्न से उच्च के लाभ के कारण कनिष्ठ होने पर भी व्याख्याता पंचायत का वेतन पायेगा। जिसके कारण बिना त्यागपत्र दिए एक ही पद में कार्य करते रहने वालों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।