रायपुर 9 जून।शिक्षा कर्मियों के लिए गठित हाईपावर कमेटी की बैठक CM के साथ कल लगभग सवा घण्टे से अधिक चली। जिसमें संविलियन सहित सभी विषयों पर चर्चा किया गया।लेकिन अभी बताया जा रहा है कि कोई अंतिम निर्णय पर नही पहुंचा जा सका है।अभी एक दौर की मीटिंग और हो सकती है।सूत्रों से जानकारी भी प्राप्त हो रही है कि आगामी 12 जून के कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय किया जा सकता है। ये खबर तय है कि बैठक में संविलियन के मुद्दे पर चर्चा हुई है। हालांकि अब ये किन शर्तों पर दिया जायेगा, शिक्षाकर्मियों के संविलियन में क्या वर्षबंधन भी शामिल रहेगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आयी है।शिक्षा कर्मियों के वेतन भत्तों, पदोन्नति, अनुकम्पा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति से संबंधित मांगों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था। समिति ने समय-समय पर बैठकों का आयोजन किया और उन बैठकों में पंचायत एवं नगरीय निकाय संवर्ग के शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों से सुझाव भी प्राप्त किए। उनके सुझावों पर गहन विचार-विमर्श के बाद समिति द्वारा अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई, जो आज मुख्यमंत्री को सौंपी गई। राज्य शासन द्वारा गठित आठ सदस्यों वाली इस समिति में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव आर.पी. मंडल, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन, सामान्य प्रशासन विभाग की प्रमुख सचिव ऋचा शर्मा, नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. रोहित यादव, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव गौरव द्विवेदी, आदिम जाति विकास विभाग की विशेष सचिव रीना बाबा साहब कंगाले और पंचायत संचालनालय के संचालक तारण प्रकाश सिन्हा शामिल थे।शिक्षक मोर्चा के प्रदेश संचालक संजय शर्मा, प्रदेश उप संचालक हरेंद्र सिंह,देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी,प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, मनोज सनाढ्य, शैलेन्द्र पारीक, सुधीर प्रधान, विवेक दुबे,संजय उपाध्याय ने निवेदन किया है की शिक्षाकर्मियों के जल्द से जल्द इंतजार की घड़ियों को खत्म करते हुए समतुल्य वेतन निर्धारण की विसंगति दूर करते हुए समानुपातिक, कर्मोनन्ति के आधार पर छठवे ( समतुल्य/ पुनरीक्षित) वेतनमान का निर्धारण कर विद्यमान वेतन पर सातवे वेतनमान के निर्धारण का लाभ देते हुए ब्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक के पद संविलियन का लाभ दें ।
साथ ही उनका यह भी कहना है की रिपोर्ट सौपने के तत्काल बाद प्रतिवेदन को सार्वजनिक किया जावे, उन्हें शासन प्रशासन द्वारा शिक्षाकर्मियों के हित में अनुकूल निर्णय लिए जाने की अपेक्षा है और रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद मोर्चा द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी। उसके बाद ही आगे की रणनिति तय की जाएगी।