शिक्षा कर्मियों की सबसे बड़ी मांग है क्रमोन्नति….जाने कैसी शुरू हुई आर्थिक विसंगति….क्रमोन्नति/समयमान और वेतन विसंगति पर तथ्यात्मक जानकारी…क्या है इसके समाधान के उपाय

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शिक्षाकर्मियों का संविलियन 01 जुलाई 2018 एवं 01 जुलाई 2019 को होने के बाद से प्रति माह नियमित वेतन मिलने के बाद भी बहुसंख्यक वर्ग में ख़ामोशी है, विशेषकर शिक्षाकर्मी वर्ग 03 से एल.बी.संवर्ग में संविलियन किये गए बहु-संख्यक सहायक शिक्षक को बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है और पूर्व से चली आ रही वेतन विसंगति की वजह से उन्हें उम्मीद के हिसाब से कोई विशेष लाभ नही मिल रहा है। वेतन विसंगति दूर किया जाना चाहिए, इससे वर्ग 03 और सभी शिक्षाकर्मियों के ख़ामोशी को खुशियों में बदला जा सकता है।
अविभाजित मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मी भर्ती तथा सेवा की शर्तें नियम 1997 में ही वेतन विसंगति का बीजारोपण हो गया था। यदि 1997 में ही तत्कालीन सरकार में वेतन पुनरीक्षण नियम 1998 के समतुल्य शिक्षाकर्मी वर्ग 01 को 4000-100-6000, वर्ग 02 को 3500-80-4700-100-5200, वर्ग 03 को 2750-70-3800-75-4400 दिया गया होता तो विसंगति कम हो जाती। परन्तु वर्ग एक को 1200-40-2000, वर्ग दो को 1000-30-1600, वर्ग तीन को 800-20-1200 दिया गया।
शासकीय नियमित शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान का सिलसिला 01.04. 2007 से देय संशोधित वेतनमान से शुरू हुआ, जिसमें वर्ग 01 को 5300-150-8300, वर्ग 02 को 4500-125-7000, वर्ग 03 को 3800-100-5800 स्वीकृत किया गया। जो कि नियमित शिक्षकों के पांचवे वेतनमान से क्रमशः 200, 500 व 200 कम करके किया गया था। राज्य शासन के अपने आदेश तिथि 17.05.2013 के अनुसार 8 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर शिक्षाकर्मियों को 01.05.2013 से देय शासकीय शिक्षकों के समतुल्य छ.ग.वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 (3 एवं 4) की अनुसूची एक का वेतन बैंड वर्ग 01 को 9300-34800+ग्रेड पे 4300, वर्ग 02 को 9300-34800 ग्रेड पे 4200 तथा वर्ग 03 को 5200-20200 ग्रेड पे 2400 स्वीकृत किया गया।
यहां पर उल्लेखनीय बात यह है कि शासकीय शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान स्वीकृत तो कर दिया गया, परन्तु 23 जून 2018 को जिस प्रकार से शिक्षा सचिव के द्वारा 08 वर्ष की पूर्ण तिथि से वेतन रिवीजन करते हुए 01.07.2018 को प्राप्त वेतन का 2.57 से गुणा कर प्राप्त राशि को वेतन मैट्रिक्स में वेतन निर्धारण करने का निर्देश दिया गया है, ठीक उसी तरह से दिनांक 01.05.2013 को समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर तत्कालीन समय में मिल रहे मूल वेतन में 1.86 से गुणा कर वेतन निर्धारण का आदेश दिया गया होता तो आज की स्थिति में वेतन विसंगति की बात ही नही होती। जबकि केवल वेतन निर्धारण नियम 07 को छोंड़कर नियम 08 के तहत न्यूनतम में वेतन निर्धारण कर दिया गया। नियम 05 को छोंड़कर नियम 13 के तहत पदोन्नत वेतन के आधार पर वेतन पुनरीक्षण कर दिया गया।
वेतन पुनरीक्षण नियम 09 के तहत प्रत्येक वर्ष मूल वेतन का 3% वार्षिक वेतन वृद्धि, नियम 10 के तहत प्रत्येक वर्ष 01 जुलाई को वार्षिक वेतन वृद्धि करने का नियम लागू किया गया तो नियम 07 के तहत 01.05.2013 से पूर्व के विद्यमान मूलवेतन का 1.86 से गुणा करने, नियम 05 के तहत समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान में वेतन उन्नयन के आधार पर क्यों नही किया गया ?
*वेतनमान निर्धारण में हुई विसंगति को इस प्रकार से सुधार किया जाना चाहिए..*
— पहला कि समतुल्य वेतनमान में 01.05.2013 से पूर्व प्राप्त समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर वेतन पुनरीक्षण करते हुए वेतन की गणना की जाये तथा 01.07.2018 की स्थिति में प्राप्त विद्यमान मूलवेतन का 2.57 से गुणांक कर वेतन निर्धारण किया जाये।
— दूसरा यह कि 08 वर्ष की स्थिति में समतुल्य वेतनमान के न्यूनतम में वेतन निर्धारण किया गया है। प्रत्येक वर्ष वेतन वृद्धि की गणना करते हुए 10 वर्ष की तिथि में शासकीय शिक्षकों के समान समयमान योजना के तहत प्रथम उच्चतर वेतनमान का वेतन बैंड एवं ग्रेड में क्रमशः एलबी कैडर के व्याख्याता को 4800, शिक्षक को 4400 एवं सहायक शिक्षक को 4200 ग्रेड पे दिया जाये।
— तीसरा यह कि छ.ग.वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 के नियम 05 के 01.07.2018 की स्थिति में क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर वेतन निर्धारण किया जाये।
वेतन विसंगति को समयमान/क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर छ.ग.वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 के नियम 07(क) के तहत करके दूर किया जा सकता है, इससे वर्ग 03 सहित सभी को लाभ हो सकेगा।
इसके साथ ही सभी का संविलियन किया जाना चाहिए ताकि शिक्षा के क्षेत्र में समरूपता स्थापित हो सके।

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