“टेबलेट सिस्टम से एसएलए परीक्षा का पुरजोर विरोध…फेडरेशन ने कहा ये तमाशा बन्द करे सरकार अन्यथा प्रदेशभर में जमकर इसका करेंगे विरोध…”

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“टेबलेट सिस्टम से एसएलए परीक्षा का पुरजोर विरोध…फेडरेशन ने कहा ये तमाशा बन्द करे सरकार अन्यथा प्रदेशभर में जमकर इसका करेंगे विरोध…”

रायपुर //- छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष मनीष मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता हुलेश चन्द्राकर एवँ बसंत कौशिक ने संयुक्त बयान जारी कर, शिक्षा विभाग में किये जा रहे प्रयोग व टेबलेट से लिए जा रहे परीक्षा प्रणाली का पुरजोर विरोध किया है।
यह बात उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शिक्षा विभाग में सरकारी स्कूलों के परीक्षा के नाम पर डिजिटल सिस्टम के का खेल खेला जा रहा है। जिसका सहायक शिक्षक फेडरेशन विरोध करता है।
आज भी भारत देश के कई दूरस्थ अंचल में नेटवर्क सिस्टम सही नहीं है और शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों को प्रयोगशाला बनाने का जो खेल प्रशासन खेल रही है वह निंदनीय है… न तो स्कूलों में सही नेटवर्क है, न ही किसी सरकारी स्कूल को 5G नेटवर्क का wi-fi उपलब्ध है। तो ऐसे में क्या सरकारी स्कूल केवल प्रयोग का माध्यम बन गया है ??? आज सरकारी स्कूलों में योग्य शिक्षक तो है पर आये दिन नित नए प्रयोग के चलते कभी शिक्षकों को धुप में खड़ा होकर नेटवर्क तलासते दिख रहे है, तो कभी भवन के छत में चढ़ कर, और आये दिन केवल शिक्षकों को app डाऊनलोड करने, च्वाइस सेंटर में ऑनलाइन, प्रपत्र भरने और न जाने कितने कामो में शिक्षकों की ऊर्जा को बर्बाद कर केवल और केवल शासन के बेतुके आदेश
का पालन करने बाध्य है। पर सिस्टम फेल दिखाई दे रहा….
यदि सरकार digital india के तहत कम कराना चाहते है तो स्वागत है, पर स्कूलों में ये सुविधा पहले प्रदान करें। ऊर्जावान शिक्षक डिजिटल मोबाइल में भी काम करने तैयार है….आज छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों के 98% स्कूलों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या है, वो भी जब ऐसे एप से काम करना हो….बड़े शहरों के शानदार वाई-फाई में बैठकर इस तरह के सोंच पैदा करने वाले सिस्टम को जमीनी हकीकत जानकर कार्य को अमलीजामा पहनना चाइये। आज छत्तीसगढ़ के शिक्षा व्यवस्था में कुछ नया करने की जज्बा को सलाम है पर व्यवस्था को दुरुस्त कर काम करें…..कुछ गतिविधि आधारित प्रश्न भी लिखित के दौरान दिया गया जबकि ऐसे गतिविधि आधारित प्रश्न(FA-1) को लिखित पेपर(PA-1) के दिनांक से 15 दिन पूर्व देखर कार्य करना था साथ ही दिए गए प्रश्नो में कम्प्यूटराइज चित्र भी दिया गया था, जिसे देखकर बच्चे कहानी लिखते, हिंदी और अंग्रेजी में ये सब बिना हाथ में पेपर के संभव नहीं हो रहा था, पर ऊपर के आदेश का अवहेलना न हो इसलिए मज़बूरी में यह सब करना पड़ा, जिससे भारी समस्या का सामना करना पड़ा। ये दर्द किसी से छुपी नहीं है…..
छ.ग.सहायक शिक्षक फेडरेशन और समस्त शिक्षक संवर्ग यह निवेदन करता है की इस तरह से शिक्षा व्यवस्था में हो रहे अचानक परिवर्तन से केवल और केवल बच्चों का ही नुकसान होगा…..आज बच्चे भी दबे जुबान से इस बात का जिक्र कर रहे है की हाथ में पेपर होने से अलग विश्वास होता है…. शिक्षकों को 5G डाटा उपलब्ध करवाए और वाई-फाई…तभी इस तरह के सिस्टम सफल होगा नहीं तो केवल प्रयोग और प्रयोग से बच्चों का ही नुकसान है…..

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