DA के लिए आज से महासंग्राम…. आज 25 को जलाभिषेक, 26 से प्रतिदिन रैली निकालकर नारेबाजी के साथ सौपेंगे ज्ञापन

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रायपुर। संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, विकास राजपूत ने बताया कि प्रदेश के समस्त शिक्षक अनिश्चित कालीन हड़ताल में शामिल रहेंगे, पर पंडाल लगाकर धरना में नही बैठेंगे, जिससे स्कूलों में पूर्णतः तालाबंदी रहेगी, मध्यान्ह भोजन भी प्रभावित होगा, प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारी महंगाई के बोझ से दबा जा रहा है और छत्तीसगढ़ में 12% महंगाई भत्ता लंबित है, इससे सभी कर्मचारी आक्रोशित है, प्रतिदिन अलग अलग अधिकारियों को माननीय मुख्यमंत्री जी, मुख्य सचिव, सचिव, वित्त विभाग व सचिव सामान्य प्रशासन विभाग के नाम पर समूह में एकत्रित होकर प्रदर्शन कर, रैली निकालकर नारेबाजी के साथ ज्ञापन सौपेंगे।

देय तिथि से 34% मंहगाई भत्ता व 7 वें वेतनमान के आधार पर गृहभाडा़ भत्ता प्रदान करने की मांग को लेकर –

दिनांक 26 जुलाई 2022 को सभी ब्लॉक इकाई द्वारा एसडीएम / तहसीलदार के माध्यम से समूह में एकत्रित होकर नारेबाजी के साथ DA व HRA की मांग का ज्ञापन सौपेंगे

दिनांक 27 जुलाई 2022 को प्रत्येक जिला में जिला इकाई द्वारा प्रत्येक जिला में जिला कलेक्टर के माध्यम से समूह में एकत्रित होकर नारेबाजी के साथ DA व HRA की मांग का ज्ञापन सौपेंगे।

दिनांक 28 जुलाई को हरियाली के दिन ब्लॉक इकाई द्वारा स्थान चयन कर बैगा व बैल को सांकेतिक रूप से ज्ञापन देकर DA व HRA के लिए कामना करेंगे।

दिनांक 29 जुलाई 2022 को संभाग इकाई द्वारा प्रत्येक संभाग में कमिश्नर के माध्यम से समूह में एकत्रित होकर नारेबाजी के साथ DA व HRA की मांग का ज्ञापन सौपेंगे।

दिनांक 30 जुलाई को राजधानी रायपुर में प्रांतीय इकाई द्वारा रैली निकालकर DA व HRA की मांग का ज्ञापन मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को सौपेंगे।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 34% मंहगाई भत्ता के स्थान पर अभी भी राज्य के कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों, को केवल 22 % मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है, तथा पेंशनरों को केवल 17 % मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है, जबकि केंद्र सरकार व अन्य राज्य सरकारों द्वारा कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों व पेंशनरों को 34 % मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों को 12 % कम मंहगाई भत्ता प्राप्त हो रहा है तथा गृह भाड़ा भत्ता को अब तक 7 वें वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित नही किया गया है, जिससे छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारियों, शिक्षकों, अधिकारियों व पेंशनरों को प्रति माह 4 हजार से 14 हजार तक आर्थिक नुकसान हो रहा है।

 

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