अब छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेंशन की मांग हुई तेज….पेंशन पुरुष गहलोत ने रचा इतिहास…..वादे से मुकर रही छत्तीसगढ़ सरकार

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रायपुर। यह सही है कि देश के 60 लाख nps कर्मचारियों को चांदी की थाली में पुरानी पेंशन खत्म कर 2004 में nps को लुभावने ढंग से परोसा गया,,लेकिन nps की सत्यता अब रिटायर होने वाले कर्मचारियों के साथ सामने आने लगा है।

बिलासपुर में मीरा तिवारी का अंतिम वेतन 50640 रुपये मासिक था, रिटायर होने के बाद प्रतिमाह पेंशन 782 रुपये nps योजना के तहत तय हुआ,,सोचा जा सकता है कि 782 रुपये पेंशन में मोबाइल रिचार्ज नही किया जा सकता, बुढ़ापे के साथ शरीर की क्षीणता में दवाई, सब्जी, भोजन, आवागमन, घरेलू आवश्यकता की पूर्ति कैसे होगी ?

देश व छत्तीसगढ़ के nps कर्मचारियों की यह बड़ी चिंता है कि 51 हजार में घर चलाने वाला कर्मचारी ठीक दूसरे माह 8 सौ रुपये में कैसे गुजर बसर करे,?

यह अनुत्तरित है कि राजनेताओ को एकाधिक पुरानी पेंशन देय है, जबकि देश व राज्य के कर्मचारियों को नवीन पेंशन में धकेल दिया गया है।

विधायिका ने अपने लिए पुरानी पेंशन योजना का चयन किया जबकि कार्यपालिका व न्यायपालिका के कर्मचारियों के लिए नवीन पेंशन योजना को लागू कर दिया गया, अनुत्तरित सवाल यही है कि आखिर नवीन पेंशन योजना को बेहतर बताकर लागू किया गया तो विधायिका ने अपने लिए nps क्यो लागू नही किया,,जबकि उन्होंने ही नियम बनाकर कर्मचारियों पर nps थोप दिया।

पुरानी पेंशन योजना को केंद्र ने 1 अपैल 2004 में बंद कर नई पेंशन योजना लागू की, इस दौरान इसे कर्मचारियों के भविष्य के लिए उज्ज्वल बताया गया और परिणाम अब दिखने लगा है कि देश व सभी प्रदेश में नई पेंशन योजना का व्यापक विरोध कर्मचारी कर रहे है, दरअसल ये बाजार आधारित व्यवस्था है जिससे कर्मचारियों के हिस्से कुछ भी नही आ रहा और सामाजिक कल्याण का ताना बाना भरभराकर गिर रहा है।

केंद्र ने नवीन पेंशन योजना तो 2004 में लागू की और इसे धीरे धीरे सभी प्रदेश सरकार ने भी अंगीकार कर लिया, कर्मचारी बाजार व्यवस्था के भेंट चढ़ गए, केवल पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक पुरानी पेंशन योजना जारी रखा है इसी कारण वहाँ के कर्मचारी पेंशन मामले पर आंदोलित नही है।

दिल्ली की केंद्र अधीन सरकार ने भी पुरानी पेंशन लागू करने का प्रस्ताव केंद्र को दिया परन्तु जिस सरकार ने देश भर में nps लागू किया वह दिल्ली में पुनः ops जारी करने की अनुमति दे यह अप्रत्याशित तो था ही और ऐसा ही हुआ। प्रस्ताव केंद्र के ठंडे बस्ते में है।

केंद्र ने 2004 को नवीन पेंशन लागू किया और इसके बाद हर राज्य ने इसे लागू कर दिया, मूल संकल्पना केंद्र का ही है, छत्तीसगढ़ में भी तत्कालीन सरकार ने 1 नवम्बर 2004 को नवीन पेंशन योजना कर्मचारियों पर थोप दिया।

समय का काल चक्र गतिशील था 2018 के चुनाव पूर्व कांग्रेस ने जनघोषणा पत्र के लिए जिलेवार दौरा किया तब वर्तमान छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिशन के पदाधिकारियों ने सुनियोजित ढंग से सभी जिले में घोषणापत्र कमेटी के प्रमुख को पुरानी पेंशन पुनः लागू करने का मांगपत्र दिया था, तब *कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन लागू करने की कार्यवाही करेंगे* उल्लेखित किया।

राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी जी, प्रियंका गांधी जी भी पुरानी पेंशन योजना के पक्षधर है, यही कारण है कि सीना चौडाकर राजस्थान सरकार ने सहजतापूर्वक पुरानी पेंशन पुनः लागू करने का निर्णय लिया।

पेंशन पुरुष की संज्ञा अशोक गहलोत जी, मुख्यमंत्री राजस्थान के लिए सार्थक ही होगा क्योंकि देश मे कानून बनाकर नई पेंशन योजना लागू किया गया जिसे राजस्थान सरकार ने भी लागू किया था वहाँ से अपने जुनूनी विजन के तहत पूरे देश मे सबसे पहले राजस्थान में पुनः पुरानी पेंशन लागू करने का निर्णय पुरुष के पुरुषार्थ के सामर्थ्य से ही होता है।

आज देश भर के nps कर्मचारी गहलोत जी को आदर्श और सामाजिक कल्याण के प्रणेता मानने लगे है।

*हद कर दी आपने,*

छत्तीसगढ़ में भी nps कर्मचारियों की बड़ी पीड़ा है कि जिस सरकार ने अपने घोषणापत्र में पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया है वही सरकार अपने 3 साल पूरे होने पर विधानसभा में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का कोई विचार नही चल रहा का वक्तव्य देती है, आखिर कहें तो किसे और सुने कौन,? कहा जा सकता है, हद कर दी आपने,,

*एक दिशा तो राजस्थान की कांग्रेस की सरकार ने दी है, संयोग है छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है और राष्ट्रीय नेता पुरानी पेंशन के पक्षधर भी है, बस सामाजिक सरोकार व ईमानदारी की बात है कि छत्तीसगढ़ की सरकार पुरानी पेंशन लागू करने कब निर्णय लेकर छत्तीसगढ़िया साहस को राष्ट्रीय पटल पर रखेगी।*

 

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