शिक्षकों ने सरकार को दिलाई जनघोषणा पत्र की याद…..अनुविभागीय अधिकारी एवं तहसीलदार के माज्ञापनध्यम मुख्यमंत्री को सौंपा 

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एक ही पद पर 22 वर्षों से बिना क्रमोन्नति, बिना पदोन्नति के सहायक शिक्षकों के गलत वेतन निर्धारण से ऊपजे वेतन विसंगति व अन्य छह सूत्रीय मांगों को लेकर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांत अध्यक्ष संजय शर्मा के नेतृत्व में चलाए जा रहे अगस्त क्रांति अभियान के चतुर्थ चरण का आगाज छत्तीसगढ़ के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में गुरुवार से प्रारंभ किया गया । इसी कड़ी में कोण्डागांव जिलाध्यक्ष ऋषिदेव सिंह के मार्गदर्शन में गुरुवार को कोंडागांव जिले के विकासखंड बड़े राजपुर में जिला संयोजक अखिलेश राय एवं ब्लॉक अध्यक्ष प्रभुलाल केमरो के नेतृत्व में तहसीलदार को तथा आज 28.08 2020 को कोंडागांव विकासखंड में ब्लॉक अध्यक्ष मन्ना राम नेताम, विकासखंड माकड़ी में ब्लॉक अध्यक्ष रमेश प्रधान, विकासखंड केशकाल में जिला उपाध्यक्ष सदाराम चतुर्वेदानी एवं ब्लॉक अध्यक्ष राम सिंह मरापी के नेतृत्व में अनुविभागीय अधिकारी एवं तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव, विभागीय मंत्री एवं सचिव व संचालक के नाम ज्ञापन सौंपा गया ।
सौपे गए ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री व सरकार को घोषणापत्र अनुरूप पदोन्नति, क्रमोन्नति, वेतन विसंगति, पुरानी पेंशन बहाली, अनुकंपा नियुक्ति, लंबित महंगाई भत्ता, 01 जुलाई 2020 से संविलियन व 02 वर्ष की प्रत्येक सेवा अवधि पर वेटेज निर्धारण की मांगों को पूरा कराने हेतु मांग स्मरण पत्र सौंपा गया ।जिलाध्यक्ष ऋषिदेव सिंह एवं ब्लॉक अध्यक्ष मन्नाराम नेताम ने बताया कि शिक्षाकर्मी से लेकर शिक्षक बनने तक का हमारा 22 वर्ष के संघर्ष के बाद भी हम अन्य कर्मचारी को प्राप्त होने वाले विभिन्न सुविधाओं से वंचित है । आज भी सभी विभागों में पदोन्नति क्रमोन्नति जारी है, लेकिन शिक्षा विभाग में शिक्षक एलबी संवर्ग के साथ ही ऐसा भेदभाव क्यों ? 1998 से लेकर 2020 तक एक ही पद पर बिना पदोन्नति के सेवा दे रहे हैं । 2004 से बंद पुरानी पेंशन के जगह कर्मचारियों को एनपीएस रूपी अभिशाप दे दिया गया । जो आज अंशदायी पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए दुख:दायी साबित हो रही है । वेतन निर्धारण में की गई त्रुटियों के वजह से सहायक शिक्षक 2013 से वेतन विसंगति की दंश झेल रहे हैं ।
2018 में संविलियन के पश्चात यह अंतर अब गहरा खाई का रूप ले लिया है । जिससे एक वर्ग हमेशा नाखुश व सरकार के निर्णय से संतुष्ट हैं । शिक्षाकर्मी के पद पर रहते हुए सेवा देते मृत्यु के गाल में समा गए उन शिक्षकों के परिजन आज भी अनुकम्पा नियुक्ति की जटिलताओं में उलझे हैं । अनुकंपा का मतलब होता है दया, लेकिन योग्यताओं का इतना भार परिजनों के कंधे पर डाल दिया गया है- जैसे प्रथम श्रेणी में हास्य सेकंड, डीएड, बीएड व शिक्षक पात्रता परीक्षा । जिससे मृतकों के परिजन अनुकंपा नियुक्ति के लाभ से अभी भी वंचित है । सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में विधान सभा पटल पर जुलाई 2020 से संविलियन की घोषणा की गई थी । व शिक्षा कर्मी प्रथा को समाप्त करने की पहल की थी । लेकिन सरकार नवंबर 2020 से आदेश जारी किया जिससे सभी शिक्षकों में निराशा व्याप्त है । शासन -प्रशासन सरकार से आग्रह किया गया कि अपने जनघोषणा अनुरुप हमारी मांगो को शीध्र पुरा करें ।
ज्ञापन सौंपने के दौरान ब्लॉक अध्यक्ष मन्नाराम नेताम, जिला अध्यक्ष ऋषिदेव सिंह, गुरूदीप छाबड़ा, ब्लॉक कोषाध्यक्ष अमलेश बारले, अशोक साहू, अनिल कोर्राम, चन्द्रेश चतुर्वेदी,अवध किशोर मिश्रा, मनोज तिवारी, नीरज कुमार ठाकुर चन्दूलाल देशमुख, केशकाल में ब्लॉक अध्यक्ष रामसिंह मरापी, बिन्दियां अग्निहोत्री, मनोज सक्सेना, माकड़ी में ब्लॉक अध्यक्ष रमेश प्रधान, नितेश शर्मा, ऋषि नागवंशी, नरसिंह शोरी आदि उपस्थित रहे ।

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