साथियो,
पुरानी पेंशन हम क्यो चाहते है,??
1. पुरानी पेंशन व्यवस्था का शेयर मार्केट से कोई संबंध नहीं था.
2. पुरानी पेंशन में हर साल डीए जोड़ा जाता था.
3. पुरानी पेंशन व्यवस्था में गारंटी थी कि कर्मचारी या अधिकारी की आखिरी सैलरी का लगभग आधा उसे पेंशन के तौर पर मिलेगा.
4. अगर किसी की आखिरी सैलरी 50 हजार है तो उसे 25 हजार पेंशन मिलती थी. इसके अलावा हर साल मिलने वाला डीए और वेतन आयोग के तहत वृद्धि की सुविधा थी.
5. नौकरी करने वाले व्यक्ति का जीपीएफ अकाउंट खोला जाता था.
6. जीपीएफ एकाउंट में कर्मचारी के मूल वेतन का 10 फ़ीसदी कटौती करके जमा किया जाता था.
7. जब वह रिटायर होता था तो उसे जीपीएफ में जमा कुल राशि का भुगतान होता था.
8. सरकार की तरफ से आजीवन पेंशन मिलती थी.
*एक पौधा का एक संकल्प,*
*पुरानी पेंशन ही एक विकल्प*
*नई पेंशन व्यवस्था में एनपीएस के तहत जो टोटल अमाउंट है, उसका मात्र 60 प्रतिशत ही प्राप्त होता है, बाकी 40 प्रतिशत अनिश्चित और बाजार के शेयर मार्केट के पेंशन प्लान में दिया जाता है।*
*पश्चिम बंगाल में आज भी पुरानी व्यवस्था लागू है. तो आइए अपनी पुरानी पेंशन योजना के लिए मिलकर काम करें और अपने सेवानिवृति के बाद के समय को खुशहाल बनाएं।*
संजय शर्मा
प्रदेश संयोजक छत्तीसगढ़
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा
मो. 9424174447