“राष्ट्र निर्माता”कहे जाने वाले हजारों शिक्षकों के परिवार अनुकंपा नियुक्ति के लिये दर-दर की ठोकरें खाने को हो रहे मजबूर…

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रायपुर 21मई 2018।  शिक्षकों को “राष्ट्र निर्माता” कहा जाता है लेकिन क्या सिर्फ कहने से ही शिक्षकों का सम्मान हो जाएगा ? आज प्रदेश में दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रित हजारों परिवार के सामने जीवन – यापन का संकट खड़ा हो गया है।वर्षों से अपने अनुकंपा नियुक्ति की आस लगाए हुए दिवंगत शिक्षाकर्मियों के परिवार को अब तक कोई भी सहारा नहीं मिल पाया है ऐसे में हम सरकार के संवेदनशीलता पर सवाल उठना लाजिमी शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रांतीय संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा कि मोर्चा के नौ सूत्रीय मांगों के साथ सबसे अहम एवं महत्वपूर्ण मांग हमारे दिवंगत शिक्षाकर्मी साथियों के परिवार को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान कराना है,जिससे कि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट न खड़ा हो।उन्होंने सरकार से मांग किया है कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में टेट एवं B.Ed को शिथिल करते हुए संबंधितों को शीघ्र अनुकंपा नियुक्ति आदेश जारी किया जाए।

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❓क्या है अनुकम्पा नियुक्ति ?
अनुकम्पा,संवेदना से ओतप्रोत शब्द है, जिसका आशय मृतक शासकीय सेवक के उस परिवार से है जिसके पास आय का समुचित साधन न हो और आर्थिक संकट से घिरा हो, तथा उन्हें तत्काल सहायता की आवश्यकता हो तो उस परिवार के आश्रित को उस विभाग में उसके न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है।

प्रदेश के अन्य कर्मचारियों के लिए “अनुकम्पा नियुक्ति” हेतु नियम क्या है..??
*दिवंगत शासकीय सेवक के आश्रित को उनके शैक्षणिक योग्यता के आधार पर विभाग के तृतीय अथवा चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर तत्काल अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जाती है,भर्ती नियम के अन्य आवश्यक अहर्ताओं के लिए कंडिका 5 के तहत छूट व शिथिलीकरण करते हुए व्यावसायिक योग्यता प्राप्त करने हेतु समय प्रदान किया जाता है।

❓दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों के लिए अनुकम्पा नियुक्ति के नियम क्या हैं..?
*दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति में कोई छूट या शिथिलीकरण नही दी जा रही है। सीधी भर्ती हेतु जो अनिवार्य योग्यता तय की गई वही योग्यता दिवंगत शिक्षाकर्मी के आश्रित से मांगी जाती है अर्थात सहायक शिक्षक पँ पद हेतु 12 वी उत्तीर्ण होने के साथ व्यावसायिक योग्यता “डीएड और टेट” की अनिवार्यता भी मांगी जाती है।जिसके कारण प्रदेश में दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों के अनुकम्पा नियुक्ति के लगभग 3500 से भी अधिक प्रकरण लंबित हैं।जिससे उनके परिवार के समक्ष अत्यंत आर्थिक संकट आ चुका है।जो कि सर्वथा गलत है।

शिक्षाकर्मियों के अनुकम्पा नियुक्ति नियम में क्या गलत है..?
अनुकम्पा एक विशेष राहत है,बिना किसी पेंशन अथवा बिना किसी आय के आर्थिक संकटों से जूझ रहे दिवंगत शिक्षाकर्मी के आश्रित के लिए डीएड में प्रवेश लेना तथा 2 वर्ष तक बिना किसी आय के पढ़ाई करना, लगातार 2 वर्षो तक फीस जमा करना,कम पीड़ादायक नही है,फिर ऊपर से टेट पास करना ठीक वैसा ही है जैसे करेला ऊपर से नीम चढ़ा। यदि आश्रित परिवार सामान्य जाति से हुआ तब तो इन व्यावसायिक योग्यताओं को प्राप्त करना और भी कठिन हो जाता है क्योंकि इन सबमे उत्तीर्ण होने के लिए सामान्य जाति के लोगो को अधिक अंक लाना पड़ता है। इसी तरह यदि आश्रित 12 वी से कम पढ़ी लिखी है तो उनके लिए चतुर्थ वर्ग के पदों पर भर्ती के कोई नियम नही हैं,जबकि अन्य कर्मचारियों के आश्रितों को उसके शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए प्यून आदि चतुर्थ वर्ग के पदों पर नियुक्ति दे दी जाती है।

❓क्या होना चाहिए..?
दिवंगत शिक्षाकर्मियों के आश्रितों को भी प्रदेश के अन्य कर्मचारियों की भांति उनके शैक्षिणक योग्यता के आधार तत्काल अनुकम्पा प्रदान की जानी चाहिए। नियुक्ति पश्चात अनिवार्य व्यावसायिक योग्यता हेतु पर्याप्त समय प्रदान किया जाना चाहिए,तथा शैक्षणिक योग्यता के आधार पर चतुर्थ वर्ग के पदों पर भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। वर्तमान के जटिल नियमो को विलोपित करते हुए अनुकम्पा को विशेष राहत मानते हुए पीड़ित परिवार की तत्काल सहायता की जानी चाहिए।

विरेन्द्र दुबे प्रान्तीय संचालक शिक्षक पँ ननि मोर्चा ने इसे मर्म और संवेदना का विषय बताते हुए कहा कि- हमारे वे शिक्षाकर्मी साथी जो हमारे संघर्षों में कंधा से कंधा मिलाकर चले,जो हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए लड़ते रहे,जिन्होंने प्रदेश के नौनिहालो का भविष्य गढ़ा,जो असामयिक मौत का शिकार बने ऐसे दिवंगत शिक्षाकर्मी साथियों के परिवार की स्थिति अत्यंत खराब है,उन्हें न वेतन मिल रहा है न ही पेंशन।अनुकम्पा नियुक्ति के लिए दर दर की ठोकरें मिल रही है,जटिल नियमो के चलते उनकी नियुक्ति भी नही हो पा रही है।घर के मुखिया को खोने का गम से उबर भी नही पाए कि परिवार के बच्चों और घर के बुजुर्गों के लालन पोषण की जिम्मेदारी ने उनके चेहरे की मुस्कान छीन ली है।अनुकम्पा नियुक्ति पूर्णतः संवेदनशील मामला है, जिसमे एक दुःखी परिवार को दर-दर की ठोकर खाने से और आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने का एक प्रयास होना चाहिए। 2010 के बाद से अब तक के सभी अनुकम्पा के लम्बित मामलों पर तत्काल नियुक्ति दी जानी चाहिए।

जितेन्द्र शर्मा, प्रांतीय उपसंचालक शिक्षक पँ ननि मोर्चा ने अनुकम्पा के लंबित मामलों में जटिल नियमो को विलोपित करते हुए अविलम्ब नियुक्ति प्रदान करने की मांग करते हुए कहा कि इस पर त्वरित पहल हो,अनुकम्पा नियुक्ति मोर्चा की प्राथमिकता है,संविलियन सहित 9 मांगो में अनुकम्पा हमारी प्रमुख मांगो में से एक है। पीड़ित परिवारजन को जब हम अनुकम्पा नियुक्ति दिला पाएंगे वही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।परिवार का सुरक्षित भविष्य हर कर्मचारी का अधिकार है।संवेदनशील मुख्यमंत्री जी इस पर तत्काल निर्णय लें।

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