कबीरधाम/पंडरिया/ कापादह :। लाखों रुपए की मोटी फीस देकर बड़े नामी गिरामी प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चे को भेजने के बाद भी विशिष्ट सफलता को तरसते अभिभावकों के बीच मिसाल बनकर उभरा है एक ऐसा सरकारी स्कूल जिसने सबको अचंभित कर रखा है, अपने मेहनत और प्राप्त परिणामों से। वह स्कूल है शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला कापादह विकासखंड पंडरिया जिला कबीरधाम का जहां सत्र 2018 -19 में हाईस्कूल परीक्षा में कुल परीक्षार्थी 65 सम्मिलित हुए। उत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या 65 रही और प्रथम श्रेणी में पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या भी 65 ही रही, जिसमें 15 विद्यार्थी प्राविण्य सूची से उत्तीर्ण हुए। इतना ही नहीं विगत 4 सत्र से यह विद्यालय 100% परीक्षा परिणाम देने का कारनामा बड़े ही सुखद ढंग से करते आ रहा है।
क्या अलग है जो अन्य स्कूलों से बेहतर बनाता है इस स्कूल को
- प्रचार्य श्री रूपचंद जायसवाल बताते हैं।
- इसके लिए शिक्षकों ने स्वयं के लिए नियम, अनुशासन और केवल काम को ही तरजीह देते हुए “कर्म ही पूजा है” के सिद्धांत पर शासन का आदेश जो शाला लगने का समय प्रातः 11:00 बजे को दरकिनार करते हुए प्रातः 8:00 से विद्यालय लगाना प्रारंभ किया, जो कि अनवरत शाम 5:00 बजे तक चलता रहा। इसके लिए प्रतिदिन 2 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई जो एक्स्ट्रा क्लास का दायित्व संभालते हैं।
- अवकाश के दिन रविवार को भी कक्षाएं संचालित की गई केवल महत्वपूर्ण त्यौहार जैसे दशहरा, दिवाली और होली को छोड़कर शेष सभी दिनों में कक्षाएं संचालित की गई।
- साथ ही शिक्षकों के द्वारा सभी विद्यार्थियों के मोबाइल नंबर लिए गए और यदि जब कोई विद्यार्थी कक्षा में अनुपस्थित रहता तो तुरंत उनके घर जाकर उनके पालकों से संपर्क करते हुए विद्यार्थी के अनुपस्थिति का कारण जानकर उसे पुनः शाला में लाया जाता है।
- साथ ही प्राप्त किए गए मोबाइल नंबर के आधार पर रात्रि 11:00 बजे बच्चे के सोने की जानकारी ली जाती और सुबह 5:00 बजे फोन कर पढ़ने के लिए बच्चे को जगाने के लिए पालकों को कहा जाता और ऐसे ग्रुप विद्यार्थियों के बनाए गए जिनमें एक होशियार बच्चा और साथ में एक कमजोर विद्यार्थी को सम्मिलित किया गया। ताकि होशियार विद्यार्थी के साथ कमजोर विद्यार्थी सीखते हुए अपने दक्षता में सुधार कर सके।
इस प्रकार सकारात्मक और अनूठे प्रयास और विशिष्ट लगन के बलबूते शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कापादह के इन शिक्षकों ने वह कर दिखाया जो अतुलनीय और अविश्वसनीय है। जिससे हम निश्चित ही कह सकते हैं कि इनका कार्य सूरज को आईना दिखाने के समान है। और इनको जितनी शुभकामनाएं दी जाए उतनी कम है। अभी स्थिति यह है कि उस क्षेत्र के आसपास के समस्त अभिभावक यह चाहते हैं कि उनका बच्चा इस स्कूल में प्रवेश पा सके ताकि उनका भी गुणवत्ता सुधार हो सके। निश्चित ही इस प्रकार के अनुकरणीय प्रयासों को प्रशंसा मिलनी चाहिए और यथासंभव शिक्षक को ऐसे ही कर्मवीर होना चाहिए।