18 जून को सभी शिक्षाकर्मियों का शिक्षा विभाग में संविलियन का प्रस्ताव पास कर सकती है कैबिनेट

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रायपुर 16 जून 2018।शिक्षाकर्मियों के संविलियन मुद्दे पर जैसे-जैसे कैबिनेट की बैठक की तारीख नजदीक आती जा रही है तमाम अटकलों पर विराम लगते दिखाई दे रहा है।जिसमें छत्तीसगढ़ में बेहतर मॉडल को अपनाया जाने की चर्चा के बीच ऐसा लग रहा है कि वास्तव में छत्तीसगढ़ में अन्य जगहों की तुलना में बेहतर मॉडल अपनाया जा सकता है। जहां बहुत हद तक मध्य प्रदेश के फार्मूले को अपनाया जा रहा है और उसी के अनुरूप शिक्षा कर्मियों का मूल शिक्षा विभाग में संविलियन करके नया कैडर तैयार किया जा रहा है।परंतु इस में अंतर यह होगा कि वित्तीय समस्या को देखते हुए जो खबरें छन कर आई हैं उसके अनुरूप राज्य सरकार समस्त शिक्षाकर्मियों का संविलियन शिक्षा विभाग में तो करने जा रही है लेकिन सभी को सातवां वेतनमान का लाभ तुरंत प्रभाव से देने से बच रही है और यही कारण है कि मूल शिक्षा विभाग में संविलियन के बाद भी 8 वर्ष का वर्ष बंधन तय किया जा रहा है जो शिक्षाकर्मी 8 वर्ष का वर्ष बंधन पूर्ण करते जाएंगे उन्हें सातवां वेतनमान प्राप्त होता जाएगा जिस प्रकार 2013 में छठवें वेतनमान के लिए फार्मूला अपनाया गया था। उस फार्मूले को मध्य प्रदेश की फार्मूले के साथ जोड़ दिया गया है इतना ही नहीं अन्य छोटी-छोटी मांगे क्रमोन्नति अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में कैबिनेट मे निर्णय लिए जाने की संभावना है जिसके तहत एक ही पद में 10 या 12 वर्ष का कार्य करने की समय सीमा निर्धारित किया जा सकता है। क्रमोन्नति लाभ के लिए जिसमें बहुत से शिक्षाकर्मियों को लाभ निश्चित ही मिलेगा अभी तक के प्रयासों के बीच खबरें की संभावना बहुत अधिक थी कि शिक्षाकर्मियों को शिक्षा विभाग के बजाए पंचायत विभाग में संविलियन किया जा सकता है और पंचायत विभाग मैं हूं शासकीय करण की संभावना दिखाई दे रही थी जो लगभग समाप्त हो चुका है और बड़ा फैसला लेते हुए जिस प्रकार अम्बिकापुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी की सभा में अचानक घोषणा कर सभी को मुख्यमंत्री जी ने चौंका दिया था उसी प्रकार कुछ हटकर फैसला कर समस्त शिक्षाकर्मियों को शिक्षा विभाग में संविलियन कर सभी शिक्षाकर्मियों को एक साथ साधने की कोशिश की गई।और इस कोशिश के साथ ही अलग-अलग जिसमें एक नियमित शिक्षकों का कैडर होता दूसरा संविलियन हो चुके शिक्षाकर्मियों का कैडर और तीसरा 8 वर्ष से कम वाले जो संविलियन से वंचित रह जाते उनका तीसरा कैडर खड़ा हो जाता है इस प्रकार 3 कैडर संचालित करने के बजाय एक ही विभाग में संविलियन कर एक ही विभाग के द्वारा शिक्षा व्यवस्था को संचालित करने की रणनीति छत्तीसगढ़ शासन ने अपनाएं है और साथ ही समस्त शिक्षाकर्मियों को अपने पाले में साधने की कोशिश की है।बरहाल अंतिम निर्णय किस प्रकार सामने आता है यह तो आने वाले 18 जून के कैबिनेट के बाद ही पता चलेगा।
इस बीच शिक्षक पंचायत नगरीय  निकाय मोर्चा के प्रांतीय संचालक संजय शर्मा  ने अपने बयान में कहा है कि पहले ही मोर्चा द्वारा कमेटी एवं सरकार को संविलियन सहित 9 सूत्रीय मांगों के संदर्भ में विस्तृत दस्तावेज सौंपे जा चुके हैं और सरकार से हमे पूरा उम्मीद है कि सरकार द्वारा समानुपातिक वेतनमान/ समकक्ष वेतनमान एवं क्रमोन्नति सहित सभी विषयों पर सकारात्मक निर्णय लेकर कैबिनेट में संविलियन नीति को अंतिम रुप दिया जाएगा।

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