छत्तीसगढ़ संस्कृत संगोष्ठी का हुआ आयोजन…प्राचीन संस्कृत विद्यालयों को महाविद्यालय के रूप में मान्यता देने की मांग

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छत्तीसगढ़ संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 20/01/19 को बिलासपुर में किया गया जिसमें मुख्य संरक्षक एवं मार्गदर्शक की अनुमति से कार्य कारिणी का गठन किया गया तथा संस्कृत में छुपे हुए संस्कृति ज्ञान विज्ञान को उजागर करने के लिए उपयुक्त क्रियान्वयन हेतु विचार विमर्श मंथन किया गया ।

संगोष्ठी में सदस्यों द्वारा कई नामों की प्रस्तावना की गई जिसमें सर्वसम्मति से

*मुख्य संरक्षक हेतु :-*
*1)राजे श्री राम सुंदर दास जी महंत दूधाधारी मठ रायपुर,*
*2) स्वामी परमात्मानंद संस्कृत विद्या मण्डलं के पूर्वाध्यक्ष,*
*3) श्रीमान आशुतोष चतुर्वेदी डिप्टी कलेक्टर,*
*4)श्रीमान नन्दकुमार चौबे डिप्टी कलेक्टर*

*अध्यक्ष पद के लिए आचार्य श्री नवीन कृष्ण रेणु जी*

*सचिव पद के लिए आचार्य श्री मनीष शर्मा*

*संगठन सचिव हेतु आचार्य श्री मुकेश चौबे जी*

को चुना गया

*इस संगोष्ठी में लिए गये प्रमुख निर्णय:-*

सभी संस्कृत विद्यालयों में शास्त्रीय परम्परागत अध्यापकों की नियुक्ति ।

संस्कृत विद्या मण्डलं के सभी आधुनिक विषयो को संस्कृत भाषा मे भाषांतरण किया जाये।

प्राचीन संस्कृत विद्यालयों को महाविद्यालय के रूप में मान्यता दी जाए जिससे राज्य में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना हो सके।

विद्यालयों में वैकल्पिक भाषा विषय मे संस्कृत को पूर्णतया अनिवार्य किया जावे।

संस्कृत विद्यामण्डलं को संस्कृत संवर्धन प्रतिष्ठान के प्रोजेक्ट के द्वारा ऑडियो वीडियो तैयार कर बच्चों के लिए ऑनलाइन प्रस्तुत किया जाए जिससे डिजिटल इंडिया की बाते सार्थक हो।

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